वेंकटनगर में हमारे बहुत करीबी पारिवारिक मित्र और पड़ोसी,
दायें से - श्री रामकृष्ण गुप्ता,उनकी बहन और जीजाजी, केदार नाथ त्रासदी में लापता,
अभी भी आशा है,
हिम्मत न हारो तुम ,अभी भी आशा है
आँख में आँसू न लाओ,अभी भी आशा है,
कोई आ सकता अभी, कोई दस्तक देगा
द्वार पर कान लगाओ,अभी भी आशा है,
आख़री क्षण में ,परिणाम बदल सकता है
आख़री जोर लगाओ अभी भी आशा है,
अब भी संभव है कि ,शायद कोई लौट आये
हारकर लौट न जाओ ,अभी भी आशा है,
जूझना छोड़कर, टूटो न अभी ओ जीवन
अभी न मौत को बुलाओ, अभी भी आशा है,
ईश्वर अभी है, शायद कोई करिश्मा कर दे
हृदय को धीर बँधाओ , अभी भी आशा है,
dheerendra dheer