जख्म
जब तेरी याद आई आँखों में आँसू आ गये,
तुम्हारी खातिर हँसते-हँसते जख्म खा गये!
न दिन को चैन रहा न रात को नीद आई,
जिसके लिए जंग छेडा वो गैरों को भा गई!
एक इन्तजार था कि कभी तुझे घर लायेगें,
कल्पना न की थी कभी ऐसा जख्म पायेगें!
बेवफा, देखना एक दिन हम जरूर याद आयेगें,
ये झूठ,फरेब,के आँसू हम छुपा के मुस्कुरायेगें!
dheerendra bhadauriya,,,
जब तेरी याद आई आँखों में आँसू आ गये,
तुम्हारी खातिर हँसते-हँसते जख्म खा गये!
न दिन को चैन रहा न रात को नीद आई,
जिसके लिए जंग छेडा वो गैरों को भा गई!
एक इन्तजार था कि कभी तुझे घर लायेगें,
कल्पना न की थी कभी ऐसा जख्म पायेगें!
बेवफा, देखना एक दिन हम जरूर याद आयेगें,
ये झूठ,फरेब,के आँसू हम छुपा के मुस्कुरायेगें!
dheerendra bhadauriya,,,
बेवफ़ा को याद नहीं रखते ।
जवाब देंहटाएंनहीं बेवफा को ही बस याद रखते हैं
हटाएंवफा तो हमेशा साथ चलती है !
BAHUT BAHUT KHOOB SHUSHEEL SIR..
हटाएंमुझे फख्र है मोहब्बत पे अपनी है एतबार भी ,तुझे याद बनके सतायेंगे ...बढ़िया प्रस्तुति है भाई साहब .बधाई ..कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंशनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं .
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html
दया याद में हैं नहीं, करूँ नहीं फ़रियाद |
जवाब देंहटाएंवादा का दावा किया, छोड़ वाद परिवाद |
छोड़ वाद परिवाद , सही निष्ठुरता तेरी |
दूँ जख्मों को दाद, रात यह सर्द घनेरी |
रविकर जागा खूब, दर्द के गजब स्वाद में |
रहा नहीं अब ऊब, भेज मत दया याद में ||
bahut gahre bhav ........
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा,
जवाब देंहटाएंदर्द बयां करती post
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगूगल पेज रैंकिंग में कौन कहाँ पर
बेवफा,देखना एक दिन हम जरूर याद(तडपायेगें)आयेगें,
जवाब देंहटाएंये झूठ-फरेब के आँसू ,हम छुपा(भुला)के मुस्कुरायेगें!
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंएक इन्तजार था कि कभी तुझे घर लायेगें,
कल्पना न की थी कभी ऐसा जख्म पायेगें!... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंएक इन्तजार था कि कभी तुझे घर लायेगें,
कल्पना न की थी कभी ऐसा जख्म पायेगें!
...........waah bahut sundar dheerendra ji bahut khub
बेहतरीन अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबेवफा को भूल जाने में ही है भलाई...
जब जब उसकी याद आती है
दिल को बड़ा तडपाती है...
:-)
बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनीकी ब्ला͉ग
बेहद सुन्दर ग़ज़ल , क्या बात है सर .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंसबके सामने तो मुस्कराना ही होगा..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खुबसूरत।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंएक इन्तजार था कि कभी तुझे घर लायेगें,
कल्पना न की थी कभी ऐसा जख्म पायेगें!
..वाह
एक इन्तजार था कि कभी तुझे घर लायेगें,
जवाब देंहटाएंकल्पना न की थी कभी ऐसा जख्म पायेगें
sundar bhav ....
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब धीरेंदर जी..
जवाब देंहटाएंधीरेंद्र जी,
जवाब देंहटाएंआप इतना सुंदर लिखते हैं, जिसके लिए मेरे पास कोई विशेषण नही है। आप मेरे पोस्ट पर आकर मुझे अहर्निश प्रोत्साहित करते हैं, इसके लिए मैं आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं । धन्यवाद।
BAHUT SUNDAR DHEERENDRA SIR..
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंबेहेतेरीन प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंमनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंभावनाओं को अच्छे और भावपूर्ण शब्द दिए हैं आपने!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,,,बस पढ़ते गए,,और डूबते चले गए ,यादों के नदी में...|
जवाब देंहटाएंrecent post-"ऐसे भी होते हैं |
बेवफाओं को यूं याद क्यों करते हैं ...
जवाब देंहटाएंकुछ तो रिश्ता होगा जो इतनी याद है ... भावनाओं का तूफ़ान लिखा है ...
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंvehad samvedanshil prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत ही संवेदनशील प्रस्तुति है सर ,बहुत बढ़िया । "साथी " ब्लॉग पर आपका स्वागत है ,ज्वाइन अस ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजब तेरी याद आई आँखों में आँसू आ गये,
तुम्हारी खातिर हँसते-हँसते जख्म खा गये!
bahut khoob waah
जवाब देंहटाएंन दिन को चैन रहा न रात को नीद आई,
जिसके लिए जंग छेडा वो गैरों को भा गई!
बहुत सुन्दर भाव लिए बेहतरीन रचना,
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
बहुत सुन्दर भावमयी रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... भावमयी रचना..बधाई....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना..ये आपकी विशेषता है कि चंद पंक्तियों में ही गहरी बात कह जाते हैं।
जवाब देंहटाएंati sunder
जवाब देंहटाएंJisane aapko bhula diya use kya yasd rakhna.
जवाब देंहटाएंAchchi prastuti.
तुम्हारी खातिर हँसते-हँसते जख्म खा गये!
जवाब देंहटाएंWaah! itna sab kuchh saste hate hain, fir bhi nahin kuchh kahye hain. Yh ek pakshiy pyaar bhi kabhi-kabhi ajeeb rang lata hai .... tarah ke gul khilata hai. sahta hai sab kuchh lekin fir usko 'bewafa' nahin kah pata. yahi to pyaar aur chaahat ki para kaashthaa hai ....
बेवफा, देखना एक दिन हम जरूर याद आयेगें,
जवाब देंहटाएंये झूठ,फरेब,के आँसू हम छुपा के मुस्कुरायेगें!
बहुत सुन्दर रचना ...दिल है की मानता नहीं ..
शीशे के उस पार तुम, हम बैठे इस पार
जवाब देंहटाएंतस्वीरों में क़ैद तुम , बाहर हम लाचार
बाहर हम लाचार , जख्म हैं बहुत पुराने
अब भी गाते यार,तलत सहगल के गाने
दिल का गेहूँ डाल, आज भी चक्की पीसे
हर टुकड़े में आप , तोड़ कर देखे शीशे ||
मन के प्रबल उदगार ...हृदयस्पर्शी सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbaht khb
जवाब देंहटाएंmere blg par swagat hai
बेहतरीन रचना !!
जवाब देंहटाएंसंवेदना और भावों से पूर्ण अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबेवफा, देखना एक दिन हम जरूर याद आयेगें,
जवाब देंहटाएंये झूठ,फरेब,के आँसू हम छुपा के मुस्कुरायेगें!... वाह, बहुत खूब लिखा है धीरेंदर जी!
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