तुलसी बिन सून लगे अंगना
( सवैया छंद )
किस लायक जीवन प्यार बिना,किस लायक प्रीत बिना सजना ,
ममता किस लायक पूत बिना, तुलसी बिन सून लगे अंगना !
किस लायक जीवन धेय बिना, किस लायक साजन के सजना ,
सरिता किस लायक नीर बिना, बिन भाव लिये कविता पढना !
ममता किस लायक पूत बिना, तुलसी बिन सून लगे अंगना !
किस लायक जीवन धेय बिना, किस लायक साजन के सजना ,
सरिता किस लायक नीर बिना, बिन भाव लिये कविता पढना !
अलगाव रहा अपनेपन से, निज जीवन में बिखराव रहा !
पग है अति बोझिल मंजिल के, मन मे इतना उलझाव रहा !
पग है अति बोझिल मंजिल के, मन मे इतना उलझाव रहा !
शुचि धीरज भाव भरा फिर भी, भ्रम-भाव भरा भटकाव रहा !
दुख से न दुराव रहा अब तो,सुख से न विशेष लगाव रहा !
दुख से न दुराव रहा अब तो,सुख से न विशेष लगाव रहा !
फकीराना अंदाज़ लिए हैं ये लाजवाब छंद ...
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया ...
बहुत बढ़िया छंद....
जवाब देंहटाएंबधाई!!
सादर
अनु
बहुत बेहतरीन छंद ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर...
:-)
बहुत सुन्दर छंद ,पहुत प्रभावी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर छंद ,पहुत प्रभावी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर छंद ,पहुत प्रभावी !
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र भाई ... हर विधा पर आपकी कलम चल रही hai साधुवाद
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत छंद .......
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए धन्यवाद।
भावपूर्ण छंद ....बधाई !
जवाब देंहटाएंदुख से न दुराव रहा अब तो,सुख से न विशेष लगाव रहा !.......................यह सब परिस्थितियों की विडम्बना से उपजा दर्शन है, जो कई-कई मायनों में विचारणीय है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
आभार ....सरिता जी ,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन छंद ...बहुत सुंदर........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : कोई बात कहो तुम
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंवाह ...दोनों प्रस्तुति मनमोहक
जवाब देंहटाएंछंदमय रचना की मिठास के क्या कहने
सुन्दर भावप्रणय प्रद्तुती
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति सर।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : चित्तौड़ की रानी - महारानी पद्मिनी
अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Poverty Eradication Day)
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
सादर
अलगाव रहा अपनेपन से, निज जीवन में बिखराव रहा !
पग है अति बोझिल मंजिल के, मन मे इतना उलझाव रहा !
शुचि धीरज भाव भरा फिर भी, भ्रम-भाव भरा भटकाव रहा !
दुख से न दुराव रहा अब तो,सुख से न विशेष लगाव रहा !
बहुत खूब भदौरिया साहब।
अमृतबिन्दु अवस्थायें...
जवाब देंहटाएंदोनों सुन्दर लाजवाब छंद ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
Anokha andaaz.. Prabhaavshali..
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदुख से न दुराव रहा अब तो,सुख से न विशेष लगाव रहा !
जवाब देंहटाएं...वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
बहुत ही सुंदर, जीवन का दर्शन लियं छंन्द। न मुक्तिर्नबंध वाला भाव।
जवाब देंहटाएंशानदार
जवाब देंहटाएंकिस लायक जीवन प्यार बिना,किस लायक प्रीत बिना सजना ,
जवाब देंहटाएंममता किस लायक पूत बिना, तुलसी बिन सून लगे अंगना !
बहुत सुन्दर ...
आभार ,,,,हर्षवर्धन जी ,,,
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंछंद कम ही पढने को मिलते हैं आजकल.
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण छंद लिखे हैं आप ने...
सच बिना भाव कविता पढना नीर बिन नदिया के जैसा ही है.
तुलसी बिन सून लगे अंगना ......................nice
जवाब देंहटाएं.दीपावली की शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत छंद हैं दोनों ! दीपावली के पर्व की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंदीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
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