मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

होली की हुडदंग कमेंट्स के संग


  1. प्रथम कुण्डलिया शालिनी रस्तोगी  जी,, को  छ्न्द  समर्पित.......

    वृन्दावन के दृश्य का, सुंदर हुआ बखान
    बच-बच भागें गोपियाँ, भीग रहे परिधान
    भीग रहे परिधान , रंग कान्हा ने डाला
    धूम मची हर ओर , ढीठ है मुरली वाला
    होली का त्यौहार,लगे सबको मन-भावन
    प्रेम रंग में डूब , गया सारा वृन्दावन ||


  2. आदरणीय कालीपद "प्रसाद" जी की रचना को समर्पित....

    लड्डू हल्वा बर्फियाँ , ठंडाई और भांग
    होली के त्यौहार में, भाँति-भाँति के स्वांग
    भाँति-भाँति के स्वांग , सूरतें गोरी- काली
    आँख तरेरे कहीं , देखती है घरवाली
    साली भी है मस्त, देख जीजा का जल्वा
    मतवाले पी भाँग , माँगते लड्डू – हल्वा ||

  3. आदरणीय रविकर जी के अद्भुत सवैया छंदों को समर्पित...

    होली के त्यौहार पर , रचे सवैया-छंद
    शब्द चयन अद्भुत अहा, भाव भरे आनंद
    भाव भरे आनंद , रंग बरसायें अक्षर
    छुपे कहाँ हैं आज , सामने आयें रविकर
    खेलें रंग—गुलाल , गटकें भांग की गोली
    भूलें सब परहेज , मस्त हों खेलें होली ||


  4. आदरेया डॉ. निशा महाराणा जी की उत्कृष्ट रचना को सादर समर्पित....

    नौकरिया सौतन भई , होली है बेरंग
    कोयलिया क्यों कूक कर,करती मुझको तंग
    करती मुझको तंग, न भाये टेसू मन को
    नैना नीर बहाय ,तरसते पिय दरसन को
    जियरा जर-जर जाय , बसे परदेस सँवरिया
    होली है बेरंग , भई सौतन नौकरिया ||


  5. आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी की रचना को सादर समर्पित.......

    फागुन गुमसुम गुम हुआ, तुम बिन सब बेनूर
    होली का त्यौहार है , छोड़ो आज गुरूर
    छोड़ो आज गुरूर , झूम कर खेलें होली
    प्रेम - रंग में डूब , करें हम हँसी – ठिठोली
    जीवन आज सजायँ , फूल चाहत के चुन-चुन
    सिखलाने को प्यार , महीना आया फागुन ||

  6. परम आदरणीय श्री अरुन  शर्मा अनंत को सादर समर्पित.....

    बीबी बैठी मायके , गुझिया ना दे स्वाद
    भंग गटकता रात-दिन, हो कर के आजाद
    हो कर के आजाद , मनाता जी भर होली
    मचा रहा हुड़दंग , लिये मित्रों की टोली
    बड़े दिनों के बाद , मिले सब यार करीबी
    किस्मत की है बात , मायके बैठी बीबी ||
  7. श्री अरुण निगम जी रचना पर सादर समर्पित,,,,

    बीबी बैठी माइके ,होरी नही सुहाय
    सजनी मोरे घर नही,रंग न मोको भाय
    रंग न मोको भाय रूठ मइके में बैठी
    होली में दिलवाव ,नहि तो रहेगी ऐठी
    अरूण अब ले आव,बड़ी एल.ई.डी.टीबी
    घर लौट आ जाये ,गई जो मइके बीबी,,,,



     लिंक

    प्रस्तुतकर्ता  -  धीरेन्द्र सिंह भदौरिया,

49 टिप्‍पणियां:

  1. Holi ke baad Holi ka ye rasaswadan......mazedaar laga!! behtareen rachnayen.

    जवाब देंहटाएं
  2. रचना पर रचना रूप में धन्यवाद कहने का यह अंदाज़ भी बहुत अच्छा लगा.

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  3. अरुण कुमार निगम जी! और धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी! -जोड़ी सलामत रहे और हम सबको कुंडलियों का प्रसाद मिलता रहे -आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. होली धमाल पर बहुत ही बेहतरीन कुंडलियाँ,आभार.

    जवाब देंहटाएं
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  6. वाह वाह , एक से बढ़कर एक।
    सभी मस्त !

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  7. बहुत ही बेहतरीन कुंडलियाँ,आभार.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    इंजीनियर प्रदीप कुमार साहनी अभी कुछ दिनों के लिए व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है और आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (03-04-2013) के “शून्य में संसार है” (चर्चा मंच-1203) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर..!

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  9. बहुत बहुत धन्यवाद अरुण कुमार निगम जी ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है ..
    साभार
    शालिनी

    जवाब देंहटाएं
  10. अरूण अब ले आव,बड़ी एल.ई.डी.टीबी
    घर लौट आ जाये ,गई जो मइके बीबी,,,,waah holi ho to is tarah
    bahut khub bhai ji

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. एक चले रीमोट से , एक धरे रीमोट
      पीर वही समझे यहाँ,जिसने खाई चोट ||

      आभार ..........

      हटाएं
  11. अरूण अब ले आव,बड़ी एल.ई.डी.टीबी
    घर लौट आ जाये ,गई जो मइके बीबी,,,,waah holi ho to is tarah
    bahut khub bhai ji

    जवाब देंहटाएं
  12. उत्तर
    1. सर ! प्राइज़ से कम नहीं, सरप्राइज़-सी टीप
      हाय गज़ब !मोती भरी , यह नन्हीं-सी सीप ||

      आभार आदरणीय रविकर जी, आपका अवकाश से लौट आना हमें खुशियों की सौगात दे गया...

      हटाएं
  13. बहुत अच्छा लगा ये अंदाज ..........

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  14. वाह .. ये तो सोने पे सुहागा वाली बात हो गई ...
    लाजवाब भई जी बधाई ...

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  15. रंगारंग प्रस्तुति...बेहद खूबसूरत!!

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  16. वाह! आपने तो सबके रंग में खुद को रंग डाला... :-)
    बहुत सुंदर!
    धीरेन्द्र जी की रचना भी बहुत बढ़िया!
    ~सादर!!!

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  17. वृन्दावन के दृश्य का, सुंदर हुआ बखान
    बच-बच भागें गोपियाँ, भीग रहे परिधान
    भीग रहे परिधान , रंग कान्हा ने डाला
    धूम मची हर ओर , ढीठ है मुरली वाला
    होली का त्यौहार,लगे सबको मन-भावन
    प्रेम रंग में डूब , गया सारा वृन्दावन ||

    बहुत खूब लिखा है अरुण भाई निगम जी ने .

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  18. बेहतरीन कुंडलियाँ आभार.... निगम जी

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  19. सार्थक प्रस्तुति होली पर |होली की शुभ कामनाएं |
    आशा

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  20. बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति

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  21. भाई वाह !! मजा आ गया होली के हुडदंग का..अब गुझिया भी मिल जाये तो फिर वह वाह वाह हो जाय !!!

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  22. अरुण जी के सभी छंद व् आपका छंद सभी बेहतरीन शानदार प्रस्तुति बधाई|

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  23. आदरणीय गुरुदेव श्री अरुण सर जी सादर प्रणाम आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है आपके द्वारा रचित और हम सभी को समर्पित यह सुन्दर कुंडलिया ह्रदय को प्रेम से तर कर गए, आपका यह प्रेम समर्पण भाव आपके उदार ह्रदय को व्यक्त करता है, आपको नतमस्तक प्रणाम सादर स्वीकार करें.

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