गीत,
तुम न्यारी तुम प्यारी सजनी
लगती हो पर- लोक की रानी
नख से शिख तक तुम जादू
फूलों सी लगती तेरी जवानी,
केशों में सजता है गजरा
नैनों में इठलाता है कजरा
खोले केश सुरभि है बिखरे
झुके नैन रच जाए कहानी,
माथे पर सौभाग्य की बिंदिया
जिसके गिरफ्त में मेरी निदिया
पहने कानों में चन्दा से कुंडल
और तन पर भाये चूनर धानी,
कर कमलों में कंगना सजते
पैरों में बिछिया नूपुर बजते
संगीत तेरे आभूषणों का सुन
बलखाये कमर चाल मस्तानी,
निकले होठोंसे हँसीं का झरना
यौवन पुष्पों का उठना गिरना
देखकर तेरी मदमस्त अदाये
गढ़ जाए न कोई नई कहानी,
dheerendra bhadauriya,,,,,
तुम न्यारी तुम प्यारी सजनी
लगती हो पर- लोक की रानी
नख से शिख तक तुम जादू
फूलों सी लगती तेरी जवानी,
केशों में सजता है गजरा
नैनों में इठलाता है कजरा
खोले केश सुरभि है बिखरे
झुके नैन रच जाए कहानी,
माथे पर सौभाग्य की बिंदिया
जिसके गिरफ्त में मेरी निदिया
पहने कानों में चन्दा से कुंडल
और तन पर भाये चूनर धानी,
कर कमलों में कंगना सजते
पैरों में बिछिया नूपुर बजते
संगीत तेरे आभूषणों का सुन
बलखाये कमर चाल मस्तानी,
निकले होठोंसे हँसीं का झरना
यौवन पुष्पों का उठना गिरना
देखकर तेरी मदमस्त अदाये
गढ़ जाए न कोई नई कहानी,
dheerendra bhadauriya,,,,,
धीरेन्द्र आज तो आपने अपनी काव्य रचना में श्रंगार रस का अनुपम चित्रण किया है !!
जवाब देंहटाएंShringar ras,sangopang!
जवाब देंहटाएं....सुन्दर दृष्टि
जवाब देंहटाएं.
.नारीवादियों के कहर से बचो महराज :-)
सौन्दर्यानुभूति कराती रचना !
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही बढिया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमाथे पर सौभाग्य की बिंदिया
जिसके गिरफ्त में मेरी निदिया
पहने कानों में चन्दा से कुंडल
और तन पर भाये चूनर धानी,
सुंदर भाव
बेहतरीन प्रस्तुति सर वाह सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंश्रृंगार रस की वर्षा कर दी आपने। ..वाह!
जवाब देंहटाएंtasveer ne kavita ki sundarta me char-chaand laga diye hain.
जवाब देंहटाएंतस्वीर किसी और की लगाई है
जवाब देंहटाएंकविता किसी और पर बनाई है !
बहुत अच्छी है !
कुछ तो फर्क है, कि नहीं - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, श्रंगार रस में पगी..
जवाब देंहटाएंश्रंगार रस की सुंदर वर्षा.........
जवाब देंहटाएंwaah..bahut sundar...
जवाब देंहटाएंश्रृंगार की पराकाष्ठा है यह कविता!!
जवाब देंहटाएंकेशों में सजता है गजरा
जवाब देंहटाएंनैनों में इठलाता है कजरा
खोले केश सुरभि है बिखरे
झुके नैन रच जाए कहानी,
माथे पर सौभाग्य की बिंदिया
जिसके गिरफ्त में मेरी निदिया(नींदिया )....
पहने कानों में चन्दा से कुंडल
और तन पर भाये चूनर धानी,
देखकर तेरी मदमस्त अदाये (अदाएं ).....
गढ़ जाए न कोई नई कहानी, रोमांटिक
ram ram bhai
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बुधवार, 26 सितम्बर 2012
मेरी संगत अच्छी है
रोमांटिक अंदाज़ की बढ़िया गजल .
सुंदर प्रेममय रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
देखकर तेरी मदमस्त अदाये
जवाब देंहटाएंगढ़ जाए न कोई नई कहानी
वाह !!!!!!!! सुंदर श्रृंगार रस से परिपूर्ण रचना........
देखकर तेरी मदमस्त अदाये
जवाब देंहटाएंगढ़ जाए न कोई नई कहानी
वाह !!!!!!!! सुंदर श्रृंगार रस से परिपूर्ण रचना........
.
जवाब देंहटाएंआदरणीय धीरेन्द्र जी
प्रणाम !
आपकी यह शृंगारिक रचना तो ग़ज़ब ढा रही है …
नख से शिख तक तुम जादू
फूलों सी लगती तेरी जवानी
वाह ! वाऽह ! वाऽऽह… !
जीवन में रस बना रहे …
आनंद पाते रहें… आनंद बांटते रहें …
):
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
चित्र के अनुरूप है गीत
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जितनी सुन्दर तस्वीर ...वैसी ही सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंNaarii, ke saariirik sundarata ke drashan to kara diya,naarii ke vastavik svarup maatrtv se kb parichay karava rahe hae.
जवाब देंहटाएंSaundarya aur Shringaar ka sundar mishran...
जवाब देंहटाएंbadhiya Geet....
श्रृंगार रस में पगी बढ़िया प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "श्रद्धांजलि : सदाबहार देव आनंद" को भी एक बार अवश्य पढ़े। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग पता है:- Harshprachar.blogspot.com
Very nice Geet.padhkar aanandit ho gye.
जवाब देंहटाएंअग्रजों ने कुछ छोड़ा नहीं मेरे कहने को।
जवाब देंहटाएंबेहद कोमल प्रेम पगी अभिव्यक्ति ....आभार एवं बधाईयां !!!
जवाब देंहटाएंShringaar Ras Hai Ya Shrinagar Ras Hai..??
जवाब देंहटाएंचूनर है तेरी धानी सजनी ,
जवाब देंहटाएंदिल की है राजधानी सजनी ,
फूलों में है रात की रानी ,
अमर है तेरी प्रेम कहानी .
तुम न्यारी तुम प्यारी सजनी
लगती हो पर- लोक की रानी
नख से शिख तक तुम जादू
फूलों सी लगती तेरी जवानी
बढ़िया रोमांटिक चीज़ें ला रहे हो ,मन भा रहे हो दोस्त ,उलटा पुलटा कुछ भी हमसे भी लिखवा रहे हो .द्रुत टिपण्णी के लिए दोस्त आपका शुक्रिया कृपया यहाँ भी दस्तक दें -
बुधवार, 26 सितम्बर 2012
मेरी संगत अच्छी है
सुप्रिय महेंद्र श्रीवास्तव जी !
खूबसूरत गीत ....
जवाब देंहटाएंसरस, मधुर और रोचक गीत।
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंनायिका वर्णन सज रहा है ।
जवाब देंहटाएंआपके रचना में संपूर्ण सौन्दर्य उतर आया है नायिका का | बहुत खुबसूरत रचना .....
जवाब देंहटाएंश्रंगार रस की अनुपम कृति .... आभार
जवाब देंहटाएंwaah sajeev kalpna.....
जवाब देंहटाएंअति सुंदर...मनमोहक रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर श्रृंगार गीत.
जवाब देंहटाएंकेशों में सजता है गजरा
जवाब देंहटाएंनैनों में इठलाता है कजरा
खोले केश सुरभि है बिखरे
झुके नैन रच जाए कहानी,
खुबसूरत नख शिख वर्णन
वाह बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंBHAI VAHA
जवाब देंहटाएंशृंगार रस से सराबोर सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंवाह वाह आज आपकी इन्ही पक्तियो को पढकर कक्षा 12 मे पढा पदमावती महाकाव्य याद आ गया जिसमे रानी पदमावती के श्रगांर का वर्णन है
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (01-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
vaah kyaa baat hai sunder geet,,,,,,
जवाब देंहटाएंसौंदर्य से भरपूर रचना |
जवाब देंहटाएंसादर |
देर से पढ़ पायी ...क्षृंगार प्रधान बहुत सुंदर रचना ...!!
जवाब देंहटाएं