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शनिवार, 21 जुलाई 2012

आदर्शवादी नेता,



मै भी देश का बन्दा हूँ

मै आदर्शवाद का झंडा हूँ,

हर साल इसे रंग लेता हूँ

इसलिए अभी तक नेता हूँ

कुछ कुछ मै सबको देता हूँ

आखिर मै भी जन नेता हूँ

वादों से जन का पेट चले

हर पाँच साल में वोट मिले

कुर्सी में बैठ कर मुझको

स्वर्गासन सा आनंद मिले

पोशाक मेरे स्वेताम्बर है

छीटे पड़ना स्वाभाविक है

माहौल बनाने के खातिर

मै पुनः साफ़ कर लेता हूँ

स्वाभाविक मधु मुस्कान लिए,

कितनो का मत हर लेता हूँ

बस हल्की नील चढाकर के,

मै कुर्सी को पा लेता हूँ

तू खाना खा कर जीवित है

मै जनमत खाकर ज़िंदा हूँ

मै भी देश का बन्दा हूँ,

मै आदर्शवाद का झंडा हूँ,

dheerendra,bhadauriya

बुधवार, 11 जुलाई 2012

राजनीति,तेरे रूप अनेक,...


राजनीति तड़त है!
सत्ता से विछुडने पर,
राजनीति ललक है-
राजनीति ऐठ है,
डराने धमकाने की?
राजनीति पकड़ है,
अपने इष्ट से-
सदा चिपके रहने की,
राजनीति अस्त्र है,
साधन है,
पद को भुनाने का
राजनीति पहचान है
व्यक्ति के चरित्र और सिद्धांत की?
राजनीति छद्म आडंबर है,
काले कारनामो को,
चन्दन पुष्पित कर,
पूजित करने का?
राजनीत महाजाल है
माया ही माया,
सदा को लुभाती है ?
राजनीत सुंदर घाटी है
जिसमे सुख सौन्दर्य के.
अनगिनित दीवाने है ?
राजनीत कुर्सी का पर्यायवाची है!
जिसमे संन्यास की कल्पना,
भयानक अभिशाप है राजनीति"
मह्त्वाकान्क्षाओ की पूर्ती का,
लोकप्रिय सुलभ साधन है,
राजनीति मुक्तिदाता है
विवादों की स्थित में,
संन्यास की घोषणा ?
राजनीतिक जीवन का
मोक्ष है वरदान है,
राजनीति,बिल्ली है
जिस पर झपटती है,
सूरमा भी भय से
हो जाता है चूहा ?
राजनीति छल कपट का
लोक प्रिय व्यापार है
चरित्र जितना गिरा हो
वस्त्र उतने धवल होने चाहिए
राजनीति में अभिशाप है
ईमानदारी और नैतिकता का
छिन जाती है पल भर में
अच्छी भरी कुर्सी,
घोषित हो जाते है,
विद्रोही और विश्वासघाती,
कल तक थे जो ईमानदार
राजनीति में लक्ष्मण रेखा है,
अनुशासन ,,,?
सच बोलने का परिणाम,
अकल्पनीय,और भयानक भी,,,,,,,

dheerendra bhadauriya