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बुधवार, 11 जुलाई 2012

राजनीति,तेरे रूप अनेक,...


राजनीति तड़त है!
सत्ता से विछुडने पर,
राजनीति ललक है-
राजनीति ऐठ है,
डराने धमकाने की?
राजनीति पकड़ है,
अपने इष्ट से-
सदा चिपके रहने की,
राजनीति अस्त्र है,
साधन है,
पद को भुनाने का
राजनीति पहचान है
व्यक्ति के चरित्र और सिद्धांत की?
राजनीति छद्म आडंबर है,
काले कारनामो को,
चन्दन पुष्पित कर,
पूजित करने का?
राजनीत महाजाल है
माया ही माया,
सदा को लुभाती है ?
राजनीत सुंदर घाटी है
जिसमे सुख सौन्दर्य के.
अनगिनित दीवाने है ?
राजनीत कुर्सी का पर्यायवाची है!
जिसमे संन्यास की कल्पना,
भयानक अभिशाप है राजनीति"
मह्त्वाकान्क्षाओ की पूर्ती का,
लोकप्रिय सुलभ साधन है,
राजनीति मुक्तिदाता है
विवादों की स्थित में,
संन्यास की घोषणा ?
राजनीतिक जीवन का
मोक्ष है वरदान है,
राजनीति,बिल्ली है
जिस पर झपटती है,
सूरमा भी भय से
हो जाता है चूहा ?
राजनीति छल कपट का
लोक प्रिय व्यापार है
चरित्र जितना गिरा हो
वस्त्र उतने धवल होने चाहिए
राजनीति में अभिशाप है
ईमानदारी और नैतिकता का
छिन जाती है पल भर में
अच्छी भरी कुर्सी,
घोषित हो जाते है,
विद्रोही और विश्वासघाती,
कल तक थे जो ईमानदार
राजनीति में लक्ष्मण रेखा है,
अनुशासन ,,,?
सच बोलने का परिणाम,
अकल्पनीय,और भयानक भी,,,,,,,

dheerendra bhadauriya