आम बस तुम आम हो
हे आम के बृक्ष उदार तुम, उपकार करते हो सदा
भगवान् ने तुमको रचा है,करने जगत का फायदा
तुम हो मदन के बाण , तुम में खूबियाँ बे शुमार है
पथिकों विहंगों प्रेमियों को, तुम्हीं से बस प्यार है
बौर आते ही बसंत में, तब सुगंध सब को मोहती
विखर उठती छटा अनुपम जो मधुलिका सी सोभती
पत्थर चले डंडे पड़े राजा फलों में विख्यात हो
रहते सदा चुप देखते ,जैसे तुम्हे कुछ हुआ न हो
ठंडक सहो , गर्मी सहो , बर्षात तो सहते सदा
ओले गिरे आँधी चले , विचलित न होते तुम कदा
औषधि गुणों की खान तुम हो, पंछियों के आस रे
शान्ति मिलती यात्रियों को, सुखद एक प्रवास रे
पूजनीय उदार तुम हो कल्याणकारी ताज हो
तुमसे बने,जो 'आम 'खाये ,हितकारियों का राज हो
उपयोग बाहुलता लिये , हे आम बस तुम आम हो
यह चिरातन सत्य है , कि तुम शान्ति के पैगाम हो
dheerendra singh bhadauriya
अच्छा है आम तक है आदमी होने के बाद आम आदमी हो जाता है फिर शुरु होती है गड़बड़ :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ।
हे आम के वृक्ष उदार तुम, उपकार करते हो सदा
भगवान ने तुमको रचा है,करने जगत का फायदा
वाह वाह !
आम को ले'कर बहुत सुंदर रचना लिखी है आदरणीय धीरेन्द्र सिंह जी
सादर शुभकामनाओं सहित...
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआम को खास बनाती हुई आपकी ये कविता बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.....
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ek ye hi to hain jo kahe jate aam hain aur hote khas hain .nice expression .thanks
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (11-05-2014) को ''ये प्यारा सा रिश्ता'' (चर्चा मंच 1609) में अद्यतन लिंक पर भी है!
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मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार ....शास्त्री जी ...!
हटाएंफलों का राजा है तो यह आम 'आम' कहाँ रहा ! यह भी तो 'खास' ही हो गया ना फलों में ! नि:संदेह आम तो बस आम है ! इस जैसा कोई और कहाँ ! बहुत ही सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंहे आम के बृक्ष उदार तुम, उपकार करते हो सदा
जवाब देंहटाएंभगवान् ने तुमको रचा है,करने जगत का फायदा
बहुत सुन्दर, कहते है ना परोपकारार्थ फलते फूलते वॄक्ष !
फल का राजा आम के लिये बेहद सुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रसपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुन्दर पोस्ट ..
जवाब देंहटाएंpapa bhut achhi kavita aam par apne ghar ke aam yaad a gye
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना धीरेन्द्र भाई ..आम की महिमा न्यारी है
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
आम को विशेष बना दिया आपने ... बहुत ही अच्छी रचना है ..
जवाब देंहटाएंआम को तो बहुत ख़ास बना दिया आपकी रचना ने!!
जवाब देंहटाएंहे आम बस तुम आम हो........बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएं"आम ' है पर फलों का राजा है
जवाब देंहटाएंकिन्तु "विशेष नहीं आम फल है !
बेटी बन गई बहू
फलों के राजा आम की प्रतिष्ठा में प्रस्तुत रचना अति प्रशंसनीय है बहुत- बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंWah sir kya bat hai ......... lajbab likha hai apne .
जवाब देंहटाएंबस तुम आम हो........बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंक्या बात वाह भदौरिया जी!
जवाब देंहटाएंसबको भाता आम
जवाब देंहटाएंआम जैसी मीठी रचना
आम पर लाजवाब रचना.... आम की तरह रचना में भी बहुत मिठास है.......बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया
आम जब तक आम है तब तक खास है, जैसे ही खास बन गया तो आम ना रहेगा … बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंफल का राजा आम , सुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना |आम आम होते हुए भी खास होता है गर्मीं के मौसम में |
जवाब देंहटाएंआम तो आम है..फलों का राजा..जो खास बन जाता है..
जवाब देंहटाएंअदभुत रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अपने सुन्दर शब्दों से आम को खास बना दिया आपने....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता.....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंफलो का राजा आम , बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंnice 'aam bas aam hai'
जवाब देंहटाएंvery nice 'aamis aam' aur uska jabaw nahin
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