प्यार में दर्द है,
प्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है
वो सनम जब यहाँ बेवफा हो गया
टुकड़े-टुकड़े जिगर के मेरे कर गया,
हँस के मैंने उसे बस यही था कहा
तू मेरा प्यार है, वो तेरा प्यार है !
प्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है!
सबके लब तर यहाँ जाम खाली नही
नजरें साकी की मुझपे इनायत नहीं,
फांसले जब बढे मैंने इतना कहा
क्या यही जीत है क्या यही हार है !
प्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है!
प्यार को रूप रंगत से मतलब नही
प्यार को सोने चाँदी की दरकत नही,
उनके सौदाईपन पे किसी ने कहा
इस्क की जीत है, हुश्न की हार है !
प्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है!
प्यार के नाम पर,तुम ये क्या कर गये
नाम लेके वफा का जफा कर गये,
उनके दिल से मेरे दिल ने इतना कहा
न तेरी जीत है , न मेरी हार है !
प्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है!
dheerendra singh bhadauriya
वाह :)
जवाब देंहटाएंप्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्यार की अजब दास्तां है, जानता ही नहीं है कि वह दुखी है या खुश।
जवाब देंहटाएंप्यार में दर्द है , पर यह दर्द भी न जाने क्यों सगा सा लगता है,
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना !
उनके दिल से मेरे दिल ने इतना कहा
जवाब देंहटाएंन तेरी जीत है , न मेरी हार है !
................. बहुत ही सुंदर भावभरी रचना !!!
सुंदर भाव व शब्द..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना। सादर।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : विश्व किस्सागोई दिवस ( World Storytelling Day )
विश्व गौरैया दिवस
सुंदर शब्द व सुंदर भाव ....!!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चामंच में स्थान देने के लिए आभार ! शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंप्यार में दर्द है पर मीठा सा...बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंपीड़ा में भी कहीं सुख है तो 'प्यार' प्रदत्त पीड़ा में ही है.
जवाब देंहटाएंभावुक हृदय की कराह सुन रहा हूँ आपकी ग़ज़ल में .
शानदार रचना
जवाब देंहटाएंकुछ दर्द दुखते हैं मगर अपने लगते हैं अलग होते भी बहुत दर्द देते हैं
जवाब देंहटाएं...बहुत सुन्दर रचना.
बहुत सुंदर भाव और सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंसबके लब तर यहाँ जाम खाली नही
जवाब देंहटाएंनजरें साकी की मुझपे इनायत नहीं,
फांसले जब बढे मैंने इतना कहा
क्या यही जीत है क्या यही हार है !
बेहतरीन भावों कि लड़ियाँ लाज़वाब
man moh ,iya is kavita ne....wah
जवाब देंहटाएंदिल को छूते शब्द
जवाब देंहटाएंतो
आँख नम करती रचना
सादर
सच है कि प्रेम में कोई जीत हार नहीं होती ...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ....!
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत उम्दा पोस्ट...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@चुनाव का मौसम
sunder prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया..सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूब सुंदर रचना ...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर :)
जवाब देंहटाएंउनके दिल से मेरे दिल ने इतना कहा
जवाब देंहटाएंन तेरी जीत है , न मेरी हार है ! .... वाह सर, क्या बात कही है , बहुत खूब!
बहुत सुन्दर::::
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