पुरानी होली
कम पैसा पर रुतवा था
कम ज्यादा कुछ रकबा था
कम ज्यादा कुछ रकबा था
मेहनत की हम खाते थे
इज्जत से सो जाते थे
इज्जत से सो जाते थे
पूनम की वो रातें थी
सच्ची झूंठी कुछ बातें थी
जब होली की रुत आती थी
तब भंग पिलाई जाती थी
हम रंग खेलने जाते थे
रंग में लथपथ आते थे
होरियारो की टोली आती
भगदड़ सी तब मच जाती
भगदड़ सी तब मच जाती
होली में फागें जमती थी
होंठों पर चिलमें रमती थी
होंठों पर चिलमें रमती थी
नुक्कड़ और चौपालों पर
कक्का जी के गालों पर
कैसा मंजर वो लगता था
रंग बराबर जमता था
अब सब कुछ बीराना है
होली अब बस अफ़साना है
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
वाह बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंहोली अब बस अफ़साना है....................true
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.......
जवाब देंहटाएंसच...अब पहले से रंग कहाँ..
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति.
सादर..
अनु
सच कहा अब तो सब कुछ वीराना ही है
जवाब देंहटाएंvery nice presentation .
जवाब देंहटाएंहम रंग खेलने जाते थे.अब घर से नहीं निकलते हैं.सच कहा आपने अब होली तो हो ली ,वाकई अफसाना रह गयी है होली
जवाब देंहटाएंहम रंग खेलने जाते थे.अब घर से नहीं निकलते हैं.सच कहा आपने अब होली तो हो ली ,वाकई अफसाना रह गयी है होली
जवाब देंहटाएंवाकई खूबसूरत होली होती थी वो !!!
जवाब देंहटाएंवर्तमान युग में तो सभी त्योहारों के रंग फीके पद गए हैं |आए दिन बीता कल ही नजर आता है |
जवाब देंहटाएंसत्य बयां करती रचना |
आशा
होली तो होली है..अब या तब नहीं शाश्वत है इसकी मस्ती..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंअब सब कुछ बीराना है
जवाब देंहटाएंहोली अब बस अफ़साना है
सटीक - प्रशंसनीय
खूबसूरत रंगों की बहार होती थी होली ....सच अब वो रंग कहाँ ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति.
सादर..
सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सटीक रचना ......समय के साथ सब कुछ बदलने लगता है.......
जवाब देंहटाएंहोली का आनन्द अद्भुत था तब, अब सच में वीराना है।
जवाब देंहटाएंसमय के साथ सब कुछ बदलने लगता है...अब वो रंग कहाँ
जवाब देंहटाएंअब सब कुछ बीराना है
जवाब देंहटाएंहोली अब बस अफ़साना है....सच में !
रचना शामिल करने के लिए आभार ! यशोदा जी....
जवाब देंहटाएंउफ्फ! क्या क्या याद दिला दिया!! जाने कहाँ गये वो दिन!!
जवाब देंहटाएंव्यतीत को समेटती सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंअब सब कुछ बीराना है
जवाब देंहटाएंहोली अब बस अफ़साना है
सही कहा है अब सब कुछ पहले जैसा कहाँ ?
सुन्दर रचना !
very nice post .
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही सुन्दर और सटीक रचना की प्रस्तुति, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंसचमुच न अब वो पहले से रंग रहे न उमंग .... सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअब होली तो बस हो ली...
जवाब देंहटाएंसच कहते हैं होली एक अफसाना ही बन कर रह गयी है !
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता लिखी है.
sach kaha apne....ab kahan wo pehle si baat
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .. इस अफ़साने को दोहराना होगा .. होली को मनाना होगा ...
जवाब देंहटाएंसच कहा है...वह होली तो अब बस यादों में बची है...बहुत सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंवो भी क्या मस्ती भरे दिन थे
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
सादर होली की अग्रिम बधाई
अब सब कुछ बीराना है
जवाब देंहटाएंहोली अब बस अफ़साना है...................बहुत खूब .
kaafi dino baad ek sunder rachana holi par padhane ko mili
जवाब देंहटाएंwaah ati sundar
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! सुन्दर रचना !!
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जवाब देंहटाएंअब सब कुछ बीराना है
होली अब बस अफ़साना है...................बहुत खूब .