पिता
पिता जीवन है,संम्बल है,शक्ति है,
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है,
पिता अंगुली पकडे बच्चे का सहारा है,
पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है,
पिता ! पिता पालन है पोषण है परिवार का अनुशासन है,
पिता ! पिता धौस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है,
पिता ! पिता रोटी है कपड़ा है मकान है,
पिता ! पिता छोटे परिंदे का बड़ा आसमान है,
पिता ! पिता अप्रदर्शित अनंत प्यार है,
पिता है तो बच्चों को इन्तजार है,
पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने है,
पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने है,
पिता से परिवार में प्रतिपल राग है,
पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है,
पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है,
पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है,
पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती है,
पिता ! पिता रक्त में दिये हुये संस्कारों की मूर्ती है,
पिता ! पिता एक जीवन को जीवन का दान है,
पिता ! पिता दुनिया दिखाने का अहसान है,
पिता ! पिता सुरक्षा है अगर सिर पर हाथ है,
पिता नही तो बचपन अनाथ है,
तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो,
पिता का अपमान नही उन पर अभिमान करो,
क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई पाट नहीं सकता,
और ईश्वर भी उनके आशीषों को काट नही सकता !
विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है,
माँ-बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है,
विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएँ व्यर्थ है,
यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ है,
वो खुशनसीब है,माँ-बाप जिनके साथ होते है,
क्योंकि,माँ-बाप के आशीषों के हाथ हजारों हाँथ होते है,
-----------------------------------------------------------------
पं.ओम व्यास 'ओम' जी की उक्त रचना को मेरे (whatsApp)
में मेरे मित्र ने शेयर किया था ,रचना मुझे बेहद पसंद आई,और मैंने अपने ब्लॉग के माध्यम से आप सभी मित्रों के साथ शेयर कर रहा हूँ,आशा करता हूँ, कि आप सभी को रचना बेहद पसंद आयेगी...!
बहुत बेहतरीन रचना ....!!!
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna hai dheerendra ji dhanyavad hamse share karne hetu
हटाएंबहुत सुंदर रचना साझा करने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंयह स्व. पं ओम व्यास 'ओम' जी की रचना है. कविता का शीर्षक है..माँ संवेदना है तो पिता क्या है? यह कविता मेरे दिल के बेहद करीब है. पिता पर इससे बेहतर कविता नहीं हो सकती. शुक्रिया इस कविता को साझा करने के लिए... स्व॰पं॰ओम व्यास 'ओम' जी को श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंरचनाकार का नाम बताने के लिए आभार ,श्याम जी,,,!
हटाएंजब पिता के प्रति उद्गार इतने भावुक करने वाले हों तो रचनाकार कोई भी हो, क्या अंतर पड़ता है!!
जवाब देंहटाएंसलिल वर्मा जी !! आपने सही कहा, रचना जब अच्छी हो तो रचनाकार का नाम 'गौण' हो जाता है, परन्तु आपको रचनाकार के बारे में जानकारी हो तो आप शायद ये जानने कि कोशिश कर सकते है कि उनकी और कौन कौन सी रचनाएँ है ? जैसे स्व. पं ओम व्यास 'ओम' जी की एक और सुन्दर रचना है 'मां' -
हटाएंमाँ, माँ-माँ संवेदना है, भावना है अहसास है
माँ, माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है,
माँ, माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
माँ, माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,
माँ, माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँ, माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,
माँ, माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँ, माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,
माँ, माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँ, माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,
माँ, माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँ, माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है,
माँ, माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँ, माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,
माँ, माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँ, माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,
माँ, माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कं धों का नाम है,
माँ, माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,
माँ, माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँ, माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,
माँ, माँ चुल्हा-धुँआ-रोटी और हाथों का छाला है,
माँ, माँ ज़िंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है,
माँ, माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है,
तो माँ की ये कथा अनादि है,
ये अध्याय नही है…
…और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
तो मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूँ
http://bhav.wordpress.com/2010/06/01/255/
एक सहारा, जग से प्यारा।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना है !! सादर धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : समीक्षा - यूसी ब्राउज़र 9.5 ( Review - UC Browser 9.5 )
कवि प्रदीप - जिनके गीतों ने राष्ट्र को जगाया
एक संबल तो मौन रहता है पर कितना जरूरी होता है ... पिता को समर्पित भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंsundar rachna ...
जवाब देंहटाएंसच है..पिता परमात्मा है..जीवन दाता है...भावपूर्ण रचना ..
जवाब देंहटाएं_/\_
जवाब देंहटाएंमेरी आँखें नाम है
बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंsach bahut hi bhavmayi rachna share kee hai aapne .aabhar
जवाब देंहटाएंMarmsparshi.....
जवाब देंहटाएंपिता को समर्पित भावपूर्ण रचना. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, धन्यबाद .
जवाब देंहटाएंek acchhi rachana padhvaane ke liye aabhar !
जवाब देंहटाएंpita hai to asaman hai uski chhtr chhaya me sukh chain hai ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार....शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंस्वर्गीय पंडित औम व्यास उज्जैन वालों की बेहतरीन रचना ........पढवाने के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंपिता को समर्पित अति सुंदर भाव...साथ ही माँ पर भी रचना पढने को मिली..बहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर...
:-)
पिता के प्रति पण्डित ओम व्यास "ओम" जी की बहुत सुन्दर कविता है।
जवाब देंहटाएंShare karne kay liye shukriya....sach mey umda rachna
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही गहन और सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शमिल करने के लिए आभार ! हर्षवर्धन जी,,,,
जवाब देंहटाएंपिता पर काम नाममात्र हुआ है। जिन्होंने इस अकथ को आवाज़ देने की कोशिश की है,उनसे भी बहुत कुछ छूटा है। फिर भी,इतना ही काफी है कि किसी ने कोशिश की तो सही।
जवाब देंहटाएंमां के लिये तो बहुत कुछ कहा गया,परंतु पिता के लिये आपके
जवाब देंहटाएंद्वारा व्यक्त भावों के प्रति नतमस्तक हूं.
मुझे याद आरहे हैं---बाबूजी,जो हिमायल से खडे रहे हम सबको भविष्य देने के लिये और
अकेलेपन की खाइयों में अकेले भटकते रहे----मैं अब जान पाई.
पिता पर अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंअर्थ पूर्ण भावपूर्ण रचना पिता (स्वार्थ हीं अम्ब्रेला है ,छाता है )
जवाब देंहटाएंपिता अंगुली पकडे बच्चे का सहारा है,
पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है,
अतिसुन्दर मनोहर
पिता से परिवार में प्रतिपल राग है,
पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है,
पिता से परिवार में प्रतिपल राग है,
जवाब देंहटाएंपिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है,
bahut khoob
rachana
सचमुच बहुत सुन्दर रचना ...आभार इसे साझा करने के लिए
जवाब देंहटाएंमाता पिता जीवन की धुरी है ! माँ की महिमा के बारे में बहुत रचनानाएं पढ़ी है परन्तु पिता की महिमा के बारेमें इतना विस्तार से पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई L पिता का कठोरता तो सबको दीखता है परन्तु उसके पीछे छुपे सुभेच्छा , ,प्रेम और संवेदना बहुत कम लोगों को दिखाई देता ,है बहुत अच्छी रचना !
जवाब देंहटाएंक्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई पाट नहीं सकता,
जवाब देंहटाएंऔर ईश्वर भी उनके आशीषों को काट नही सकता !
पिता की उपस्थिति ही संबल देती है ......
बहुत ही सुन्दर रचना !
nice
जवाब देंहटाएंइस सार्थक रचना को साझा करने के लिए शुक्रिया ......माता-पिता तो सभी परिभाषाओं से परे हैं
जवाब देंहटाएंaapki rachna bahut hi pasand aai ,mata pita ki jagah koi nahi le sakta
जवाब देंहटाएंक्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई पाट नहीं सकता,
जवाब देंहटाएंऔर ईश्वर भी उनके आशीषों को काट नही सकता !
सूंदर प्रस्तुति।।।
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंकविवर ओम व्यास जी की इतनी उत्कृष्ट रचना को हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ! पिता के प्रति समर्पित यह एक सम्पूर्ण एवं अत्यंत श्रेष्ठ रचना है !
जवाब देंहटाएंॐ व्यास जी की श्रेष्ठरचनाएं पढ़वाने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंbhai bahut sundar rachana lagi maine is rachana ko kai jagah share bhi kiya .....bahut bahut aabhar bhadauria ji
जवाब देंहटाएंसुन्दर-
जवाब देंहटाएंसादर नमन-
बहुत खूब -- जय हो
जवाब देंहटाएंरचना साझा करने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना को साझा करने के लिए शुक्रिया ....
जवाब देंहटाएंपिता के प्रति समर्पित अत्यंत श्रेष्ठ रचना है !
जवाब देंहटाएंपिता पर अत्यंत श्रेष्ठ रचना है !
जवाब देंहटाएं