बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है
कुहासों ने घूंघट उतारा नही है,
अभी मेरे प्रियतम का इशारा नहीं है!
कुहासों ने घूंघट उतारा नही है,
अभी मेरे प्रियतम का इशारा नहीं है!
किरणों का रथ लगता थम गया,
सूरज ने अभी पूरब निहारा नही है!
चारो दिशाओं में धुंधलके है फैले,
पूनम के चाँद को गंवारा नहीं है!
चाँदनी रातें फीकी सी लग रही,
मेरे प्रियतम ने दीप उजारा नही है!
हेमन्त जा रहा शिशिर आ रहा,
बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है!
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया,
वाह !
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar gajal badhai aapko
हटाएंवाह !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और प्यारी रचना ...!!
धुंधलके में आपका यह कवितागीत बहुत प्यारा लगा।
जवाब देंहटाएं"कुहासों ने घूंघटउतारा नही है" - वाह वाह
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक कल चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंआभार
आभार दिलबाग जी
हटाएंबड़ी देर कर दी हुज़ूर आते-आते!! क्या चित्र खींचा है!! बस आ ही चला है बसंत!!
जवाब देंहटाएंहेमन्त जा रहा शिशिर आ रहा,
जवाब देंहटाएंबसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है......बहुत ही सुंदर
bahut khubsurat likha hai aapne lNew post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
जवाब देंहटाएंNew Post: Arrival of Spring !
वसंत हेमंत और शिशिर के बीच अटका है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर वर्णन !
Bhadiya
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआ गया वसंत धीरेन्द्र जी...
जवाब देंहटाएंखिड़की से बाहर झांकिए तो सही :-)
सुन्दर ग़ज़ल...
सादर
अनु
very nice .
जवाब देंहटाएंखूबशूरत अहसास बहुत खूब ,सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चित्रों और अनुपम शब्दों से सजा बसंत आया... सुंदर चित्रण ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और प्यारी रचना .....
जवाब देंहटाएंबसंत बस आने को ही है....शिशिर की विदाई है..सुंदर कविता आपकी बन आई है
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
बहुत सुंदर रचना ...!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...धरा वासन्ती रंग में रंगने लगी है... वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंhttp://himkarshyam.blogspot.in
बस अब घूँघट उठ ही रहा है । खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबस अब घूँघट उठ ही रहा है । खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर और प्यारी रचना.....वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति को आज की जन्म दिवस कवि प्रदीप और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआभार । हर्षवर्धन जी ।
हटाएंसुन्दर रचना।। सादर धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : कवि प्रदीप - जिनके गीतों ने राष्ट्र को जगाया
गौरैया के नाम
बड़ी प्यारी और सशक्त रचना, वसंत की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर मनभावन कविता के लिए बधाईयाँ.........
जवाब देंहटाएंमन बसंतमय हो गया। मेरी नई कविता समय की भी उम्र होती है, पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंमनमोहक रचना ...!!बहुत सुंदर ..
जवाब देंहटाएंबसंत का खूबसूरत शब्द-चित्र प्रस्तुत किया है आपने,बहुत ही सुंदर रचना ........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने वसंत ऋतू का
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंहर शेवर बसंत की दस्तक देता ... प्रेम में सरोबर ..
जवाब देंहटाएंवाह !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और प्यारी रचना ..
बहुत सुंदर श्रेष्ठ रचना है !
जवाब देंहटाएं