बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है

बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है

कुहासों   ने   घूंघट  उतारा  नही  है,
अभी मेरे प्रियतम का इशारा नहीं है!

किरणों  का  रथ  लगता  थम गया,
सूरज  ने अभी  पूरब निहारा नही है!

चारो  दिशाओं  में धुंधलके  है  फैले,
 पूनम  के  चाँद  को  गंवारा नहीं  है! 

चाँदनी  रातें   फीकी  सी  लग   रही,
मेरे प्रियतम  ने दीप  उजारा नही है!

हेमन्त  जा   रहा  शिशिर  आ  रहा,
बसंत  ने  अभी रूप 
संवारा  नहीं है!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया,

43 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !!
    बहुत ही सुंदर और प्यारी रचना ...!!

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  2. धुंधलके में आपका यह कवितागीत बहुत प्‍यारा लगा।

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  3. "कुहासों ने घूंघटउतारा नही है" - वाह वाह

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक कल चर्चा मंच पर है
    आभार

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  5. बड़ी देर कर दी हुज़ूर आते-आते!! क्या चित्र खींचा है!! बस आ ही चला है बसंत!!

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  6. हेमन्त जा रहा शिशिर आ रहा,
    बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है......बहुत ही सुंदर

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  7. वसंत हेमंत और शिशिर के बीच अटका है !
    सुन्दर वर्णन !

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  8. आ गया वसंत धीरेन्द्र जी...
    खिड़की से बाहर झांकिए तो सही :-)

    सुन्दर ग़ज़ल...
    सादर
    अनु

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  9. खूबशूरत अहसास बहुत खूब ,सुन्दर अभिव्यक्ति

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  10. बहुत सुंदर चित्रों और अनुपम शब्दों से सजा बसंत आया... सुंदर चित्रण ....!!

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  11. बहुत सुंदर और प्यारी रचना .....

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  12. बसंत बस आने को ही है....शिशिर की विदाई है..सुंदर कविता आपकी बन आई है

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  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  14. बहुत खूब ...धरा वासन्ती रंग में रंगने लगी है... वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं..
    http://himkarshyam.blogspot.in

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  15. बस अब घूँघट उठ ही रहा है । खूबसूरत रचना

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  16. बस अब घूँघट उठ ही रहा है । खूबसूरत रचना

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  17. सुंदर और प्यारी रचना.....वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

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  18. आपकी इस प्रस्तुति को आज की जन्म दिवस कवि प्रदीप और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  19. बड़ी प्यारी और सशक्त रचना, वसंत की शुभकामनायें।

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  20. बहुत ही सुन्दर मनभावन कविता के लिए बधाईयाँ.........

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  21. मन बसंतमय हो गया। मेरी नई कविता समय की भी उम्र होती है, पर आपका स्वागत है।

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  22. बसंत का खूबसूरत शब्द-चित्र प्रस्तुत किया है आपने,बहुत ही सुंदर रचना ........

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  23. बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने वसंत ऋतू का

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  24. वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

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  25. हर शेवर बसंत की दस्तक देता ... प्रेम में सरोबर ..

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  26. वाह !!
    बहुत ही सुंदर और प्यारी रचना ..

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  27. बहुत सुंदर श्रेष्ठ रचना है !

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,