आँसुओं की कीमत
मेरे आँसुओं की कीमत तुम चुका न सकोगी,
मेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी!
तडपते थे हम एक दिन अपने प्यार में कभी,
मुझको भुला के तुम वह दिन भुला न सकोगी!
खाई थी कसमे निभाने की न होगें जुदा कभी,
मुझको जुदा करके तुम जुदाई सह न सकोगी!
मुझको छोड़ कर यूँ तन्हा तुम चल दिए कहाँ,
मेरी न सही तो दुसरे की भी तुम हो न सकोगी!
उन रास्तों पर मत जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
तुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे मिल न सकोगी!
तुमने बहुत तडपाया मुझे संकून तुमको न मिलेगा,
मेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी!
तडपते थे हम एक दिन अपने प्यार में कभी,
मुझको भुला के तुम वह दिन भुला न सकोगी!
खाई थी कसमे निभाने की न होगें जुदा कभी,
मुझको जुदा करके तुम जुदाई सह न सकोगी!
मुझको छोड़ कर यूँ तन्हा तुम चल दिए कहाँ,
मेरी न सही तो दुसरे की भी तुम हो न सकोगी!
उन रास्तों पर मत जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
तुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे मिल न सकोगी!
तुमने बहुत तडपाया मुझे संकून तुमको न मिलेगा,
जख्म जो दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी!
अपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगें,
अपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगें,
जितना करो तलाश तुम "धीर" को पा न सकोगी!
dheerendra"dheer"
बेहतरीन ग़ज़ल .....
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (19-02-2014) को भैया भ्रष्टाचार भी, भद्रकार भरपूर; चर्चा मंच 1528 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार , शास्त्री जी,,, !
हटाएंउफ्फ! धीरू भाई! दर्द की नदिया बहा दी है आपने मतले से मक़्ते तक!! कमाल की ग़ज़ल कही है!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति, बेहतरीन ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंपुरानी यादें ताजी करती प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंहृदय नम करती पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर ग़ज़ल की सब पंक्तियां ...
जवाब देंहटाएंउन रास्तों पर मत जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
जवाब देंहटाएंतुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे मिल न सकोगी! ..
बहुत खूब ... सभी शेर जैसे दिल से निकले हैं ...
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब धीरेन्द्र जी !
जवाब देंहटाएंउन रास्तों पर मत जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
जवाब देंहटाएंतुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे मिल न सकोगी! ..
बहुत खूब... सब पंक्तियां ...बेहद सुंदर
बहुत खुबसूरत रचना है !
जवाब देंहटाएंNew post: किस्मत कहे या ........
मुझको छोड़ कर यूँ तन्हा तुम चल दिए कहाँ,
जवाब देंहटाएंमेरी न सही तो दुसरे की भी तुम हो न सकोगी
मन के भाव सहज लेकिन सुंदर तरीके से अभिव्यक्त हुए हैं ....!!!
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ब्लॉग बुलेटिन में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार ! हर्षवर्धन जी ,,,!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंnice presentation.
जवाब देंहटाएंkoi bhi bhul nahi payega ...bataye naa yah baat aur hai ...bahut sundar
जवाब देंहटाएंमेरे आँसुओं की कीमत तुम चुका न सकोगी,
जवाब देंहटाएंमेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी!
प्यार में बहे आसूं बड़े कीमती होते है जीवन के
अनंत दुःख धूल जाते है !
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति सर॥
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंप्रेम की पीड़ा।
जवाब देंहटाएंउन रास्तों पर मत जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
जवाब देंहटाएंतुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे मिल न सकोगी! ..
बहुत खूब... सुंदर पंक्तियां ...
उन रास्तों पर मत जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
जवाब देंहटाएंतुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे मिल न सकोगी! ..
बहुत खूब ... दिल से निकले सुंदर शेर ...!