आप इतना यहाँ पर न इतराइये.
आप इतना यहाँ पर न इतराइये
चंद सासों की राहें सभल जाइये,
अज़नबी मान करके कहाँ जा रहे
आपको भी यहाँ हमसफर चाहिये !
जख्म लेकर यहाँ मै तो जीता रहा
जहर मिलता रहा जहर पीता रहा,
जिंदगी के तजुर्बे बड़े ख़ास हैं
रुबरु होने उनसे चले आइये !
एक मासूम के पास जाना कभी
प्यार से उसके गालों को छूना कभी,
उसके मुस्कान में है जहाँ की ख़ुशी
अपने दामन में भर कर उन्हें लाइये !
जर्रे- जर्रे में जिसका यहाँ नूँर है
पास होते हुये भी बहुत दूर है,
दर्द का एक कतरा किसी दीन से
माग करके उसी में उसे पाइये !
रचनाकार - विक्रमसिंह ( केशवाही ) शहडोल, म.प्र.
दोस्तों,मेरे पुत्र पंकज की 16 जनवरी को तिलक एवं 25 जनवरी को शादी होने के कारण आप लोगों की पोस्ट पर नही पहुच पा रहा हूँ,न ही लिख पा रहा हूँ,इसलिए विक्रम सिंह जी की रचनाओं को आप के साथ साझा कर रहा हूँ,,,,,!
जवाब देंहटाएंपंकज बेटे को बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनायें
हटाएंसादर
धीरेन्द्र जी पुत्र के विवाह की अग्रिम बधाइयाँ स्वीकार करें।
हटाएंसुंदर रचना साँझा करने के लिए शुक्रिया
जर्रे- जर्रे में जिसका यहाँ नूँर है
जवाब देंहटाएंपास होते हुये भी बहुत दूर है....बहुत सुन्दर ...
बहुत सुन्दर ...धीरेन्द्र जी बधाई
जवाब देंहटाएंजिन्दगी की जीवंतता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआप सभी लोगो का मैं अपने ब्लॉग पर स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप सभी मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...
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हमारी शुभकामनाएँ एवम आशीष!!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्री जी....
जवाब देंहटाएंप्यार ऐसा ही बरसता रहे, दुनिया पर।
जवाब देंहटाएंजख्म लेकर यहाँ मै तो जीता रहा
जवाब देंहटाएंजहर मिलता रहा जहर पीता रहा,
जिंदगी के तजुर्बे बड़े ख़ास हैं
रुबरु होने उनसे चले आइये ..
ज़िंदगी से तो हर पल रूबरू होना पढता है ... उसके तजुर्बे ही तो जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं ...
क्या ही मासूमियत है मिसरों में, वाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंwaah !एक मासूम के पास जाना कभी
जवाब देंहटाएंप्यार से उसके गालों को छूना कभी,
उम्दा पेशकश -
जवाब देंहटाएंशुक्रिया महाशय -
बहुत ही सुन्दर रचना । कुछ अलग भी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना । कुछ अलग भी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना । कुछ अलग भी ।
जवाब देंहटाएंवाह ,बहुत खूब... सुन्दर रचना के लिए साधुवाद !
जवाब देंहटाएंhttp://himkarshyam.blogspot.in/
बहुत बहुत बहुत खुबसूरत बड़ा अच्छा लगा पढ़कर |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंआप के दोस्त भी लाजवाब है रचना देखकर यही लगता है ,,,सस्नेह बधाई उन्हें
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ......!!
जवाब देंहटाएंमासूम की मुस्कान से बेहतर क्या पाईये !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
दर्द का एक कतरा किसी दीन से
जवाब देंहटाएंमाग करके उसी में उसे पाइये !
..................वाह ,बहुत खूब
एक मासूम के पास जाना कभी
जवाब देंहटाएंप्यार से उसके गालों को छूना कभी,
उसके मुस्कान में है जहाँ की ख़ुशी
अपने दामन में भर कर उन्हें लाइये !.................वाह बहुत ही बेहतरीन पंक्तियाँ |
बेहद खूबसूरत अहसास
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंbahut hi khub ..badhayi
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना जीवनदर्शन लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना |आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई हो आपको और पंकज को ढेर सारी शुभकामनाएं !
धीरेंद्र जी
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई।।
हृदयस्पर्शी बेहतरीन पंक्तियाँ ...!!बहुत सुंदर रचना ...!!
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंदर्द का एक कतरा किसी दीन से
जवाब देंहटाएंमाग करके उसी में उसे पाइये !
sunder likha hai
rachana
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजर्रे जर्रे में जिसका यहाँ नूर है
जवाब देंहटाएंपास होते हुए भी बहुत दूर है.....बहुत खूबसूरत और गूढ़ दर्शन ..हर तरफ उसी का ही नूर है...
दर्द का एक कतरा किसी दीन से
जवाब देंहटाएंमाग करके उसी में उसे पाइये !
बहुत सुन्दर रचना !
सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनाएं...
एक मासूम के पास जाना कभी
जवाब देंहटाएंप्यार से उसके गालों को छूना कभी,
उसके मुस्कान में है जहाँ की ख़ुशी
अपने दामन में भर कर उन्हें लाइये !.................वाह बहुत ही बेहतरीन पंक्तियाँ |