हवा चली और छूट गए
मेरे सपने टूट गए ........
अपना मुझे बताने वाले ,
हँस-हंसकर अपनाने वाले !
यादों की खुशबू-सा बनकर,
प्राणों में बस जाने वाले !
जीवन के किस पथ पर जाने-
मुझसे,मुझको लूट गए !
मेरे सपने टूट गए .....
रोज समय की सही समीक्षा ,
मगर प्राण में पली प्रतीक्षा !
संघर्षों के सूल संजोये ,
बार - बार दी अग्नि परिक्षा !
हारा सच्चा प्यार हमारा ,
जीत हजारों झूंट गए !
मेरे सपने टूट गए .....
आज अकेलापन खलता है ,
पल-पल मन-आँगन जलता है !
आशाओं का सूरज उगता ,
उगता नही ,सिर्फ ढलता है !
शेष रह गये गीत अभागे ,
जो अधरों से फूट गए !
मेरे सपने टूट गए .....
सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंBadhiya
जवाब देंहटाएंBadhiya
जवाब देंहटाएंकोमल,भावपूर्ण रचना। .
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai dherendra ji bhavpurn sunndra rachna waah
हटाएंअपना मुझे बताने वाले ,
हँस-हंसकर अपनाने वाले !
यादों की खुशबू-सा बनकर,
प्राणों में बस जाने वाले !
जीवन के किस पथ पर जाने-
मुझसे,मुझको लूट गए !
मेरे सपने टूट गए ..... badhai
bahut sundar bhav...........
जवाब देंहटाएंअपना मुझे बताने वाले ,
जवाब देंहटाएंहँस-हंसकर अपनाने वाले !
यादों की खुशबू-सा बनकर,
प्राणों में बस जाने वाले !
जीवन के किस पथ पर जाने-
मुझसे,मुझको लूट गए !
मेरे सपने टूट गए .....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (21-12-13) को "हर टुकड़े में चांद" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1468 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार....
हटाएंबहुत खुबसूरत प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
सुन्दर...
जवाब देंहटाएंहम पंछी थे एक डाल के.
जवाब देंहटाएंहवा चली और छूट गए
मेरे सपने टूट गए ...
बेहतरीन सच और अनुभूति आनंद से भरी
सपने होते ही हैं टूटने के लिए..सुंदर कविता !
जवाब देंहटाएंप्राणों में बस जाने वाले !
जवाब देंहटाएंजीवन के किस पथ पर जाने-
मुझसे,मुझको लूट गए !
मेरे सपने टूट गए .....बहुत सुन्दर
कोमल,भावपूर्ण........बहुत सुन्दर रचना .......
जवाब देंहटाएंएक चिर-व्यथा का सच्चा बयान!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंटूटे भाव भी आहलादित कर गए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअद्भुत शब्दाभिव्यक्ति, भाव के अन्दर तक।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन भारत का सबसे गरीब मुख्यमंत्री और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंaabhaar - harsvardhan jjee
हटाएंसुन्दर पंग्तियाँ !!!!
जवाब देंहटाएंwah sundar bhav , sundar rachna
जवाब देंहटाएंदिल को छूते हुए शब्द .. भावपूर्ण ...
जवाब देंहटाएंव्यथित ह्रदय से निकली करुण पुकार ... मर्म स्पर्शी!
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण.
जवाब देंहटाएंजीवन के किस पथ पर जाने-
जवाब देंहटाएंमुझसे,मुझको लूट गए !
मेरे सपने टूट गए ....वाह! बहुत खूबसूरत
आज अकेलापन खलता है ,
जवाब देंहटाएंपल-पल मन-आँगन जलता है !
आशाओं का सूरज उगता ,
उगता नही ,सिर्फ ढलता है !
शेष रह गये गीत अभागे ,
जो अधरों से फूट गए !
मेरे सपने टूट गए .....
भावपूर्ण.....
वाह्ह्ह बहुत भावपूर्ण दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति ,बहुत बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachana bhavparak evam chintneey kavita.
जवाब देंहटाएंaapka zawaab nahi bhai ... whatever you write. you write the feeling of heart
जवाब देंहटाएंभावप्रबल ...हृदयस्पर्शी बहुत सुंदर रचना ....उत्कृष्ट !!
जवाब देंहटाएंमगर प्राण में पली प्रतीक्षा !
जवाब देंहटाएंसंघर्षों के सूल संजोये ,
बार - बार दी अग्नि परिक्षा !
हारा सच्चा प्यार हमारा ,
जीत हजारों झूंट गए !
मेरे सपने टूट गए .....antarman ko chhuti rachna
अकेलेपन और सपने टूटने का का दर्द लिए भावपूर्ण कविता.
जवाब देंहटाएंBHAVPURN .....Life is Fight with Discipline
जवाब देंहटाएंमन की टीस को उकेरा है आपने .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
दर्द को बयां करना बहुत मुश्किल होता है
जवाब देंहटाएंलेकिन आप खूबसूरत अभिव्यक्ति करते है
सादर
बहुत गहन और सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंरोज समय की सही समीक्षा ,
जवाब देंहटाएंमगर प्राण में पली प्रतीक्षा !---------
waah bahut khub
जीवन के किस पथ पर जाने-
जवाब देंहटाएंमुझसे,मुझको लूट गए !
मेरे सपने टूट गए
..... सपने टूटने का का दर्द लिए भावपूर्ण कविता....बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर रचना .. बहत खूब ..
जवाब देंहटाएंअपना मुझे बताने वाले ,
जवाब देंहटाएंहँस-हंसकर अपनाने वाले !
यादों की खुशबू-सा बनकर,
प्राणों में बस जाने वाले !
जीवन के किस पथ पर जाने-
मुझसे,मुझको लूट गए !
मेरे सपने टूट गए .....
बहुत सुन्दर रचना .. बहत खूब .....