रविवार, 15 दिसंबर 2013

एक बूँद ओस की.


















एक बूँद ओस की......


सुबह सुबह पत्तों पर दूर से,
कुछ चमकते देखा-?
ऐसे लगा जैसे
पत्तों में कोई मोती उग आया,
कौतूहल बस पास गया
मुझे लगा शायद ये पत्तों के आँसू है,
समझ के मेरी बातों को
वो मुझसे कुछ कहने लगी,
तम्हे भ्रम हुआ है |
न मै आँसू हूँ, न मै मोती
प्रकृति द्वारा बनाई गयी
मै तो एक बूँद ओस की,
आसमान से चलकर
आज ही जमी पर उतरी हूँ
कुछ पल मुझको जीना है-
कुछ पल में मिट जाऊगी,
लेकिन कुछ पल के लिए ही सही
अपनी पहचान दे जाऊगी,
मै एक छोटी सी बूंद हूँ
पर मेरा अपना अस्तित्व है
तुम एक इंसान हो-
जीवन में क्या
तुम्हारा महत्व है |
 

धीरेन्द्र भदौरिया.....

25 टिप्‍पणियां:

  1. तुम एक इंसान हो-
    जीवन में क्या तुम्हारा महत्व है |....विचारणीय ,बहुत सही ........सुन्दर प्रस्तुति

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  2. एक बूँद ओस की.... बहुत ही गहन भाव... अच्छी प्रस्तुति

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  3. गहन भाव लिए बहुत .सुन्दर प्रस्तुति..

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  4. ओंस की बूंद ने मानव को सच्‍चाई से अवगत करा ही दिया है। सुन्‍दर कविता।

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  5. मै एक छोटी सी बूंद हूँ
    पर मेरा अपना अस्तित्व है
    तुम एक इंसान हो-
    जीवन में क्या तुम्हारा महत्व है |
    बहुत सुन्दर !
    नई पोस्ट विरोध
    new post हाइगा -जानवर

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  6. सुन्दर रचना बूंद ने अपने अस्तित्व को मजबूती से रखा हैं आपकी रचना में ...........

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  7. वाह, ओस की बूंद कितना कुछ सिखा गयी..

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  8. तुम एक इंसान हो -
    जीवन में क्या तुम्हारा महत्व है ?

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  9. तुम एक इंसान हो-
    जीवन में क्या तुम्हारा महत्व है ?

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  10. अपना अस्तित्व सिद्ध करती छोटी सी ओस की बूँद, सुन्दर कविता।

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  11. गहन भाव छुपे हैं इन पंक्तियों में ... जीवन में अर्थ होना कितना जरूरी है ...

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  12. बहुत सुन्दर . अच्छी प्रस्तुति

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  13. ओस के माध्यम से जीवन का सार कह डाला...बधाई...

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति .. परिपक्व रचना ..

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  15. कुछ पल मुझको जीना है-
    कुछ पल में मिट जाऊगी,
    लेकिन कुछ पल के लिए ही सही
    अपनी पहचान दे जाऊगी,

    वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....!!

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  16. मै एक छोटी सी बूंद हूँ
    पर मेरा अपना अस्तित्व है
    तुम एक इंसान हो-
    जीवन में क्या तुम्हारा महत्व है |

    गंभीर बात को सहजता से कह गए.......

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  17. जितना सुन्दर चित्र उतनी ही सुन्दर प्रस्तुति बहुत खूब मानव जीवन के महत्त्व पर प्रश्नचिन्ह लगाती एक छोटी सी ओस की बूँद ....बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए

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  18. हर सजीव निर्जीव बस्तु का अपना "महत्त्व" होता है, फर्क इतना है कि कोई उसे पहचानता है और कोई नहीं !!!!

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