गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

मजबूरी गाती है.

मजबूरी गाती है.

पलकों  पर आँसू  की  डोली सहज  उठाती है ,
ऐसा भी  होता है, तब  जब  मजबूरी गाती है |

छोटे  कदम  बड़ी मंजिल  का  पता  बताते है ,
लेकिन  छोटे  को सुविधा -सम्पन्न दबाते है |
छोटी  सी  बाती  में  दुनिया आग  लगाती  है ,
पर यह  छोटी  बाती जग रौशन कर जाती है |

ऐसा  भी  होता  है तब  जब  मजबूरी गाती है |

 धरती  पर  पौधों  की  दुनिया कोई सजाता है,
   पतझड़ को जा, झट कोई  न्यौता  दे आता  है | 
      पवन बसन्ती भी मरुथल की  कथा सुनाती है,     
   मन में  पलती आशा-पथ में  फूल  बिछाती है | 

ऐसा  भी होता है  तब  जब  मजबूरी  गाती है |

खुशियाँ  भी  बात-बात  पर  गाल फुलाती है, 
मगर जिन्दगी नहीं खीजती वह मुस्काती है |
लहर - भवँर फिर अहंकार का रौब जमाती है, 
 कागज़ की  ही सही मगर कश्ती  टकराती है | 

ऐसा  भी होता है  तब  जब  मजबूरी गाती है |

34 टिप्‍पणियां:

  1. मज़बूरी के गान पर, रखें सटीक विचार |
    तथ्य भाव उत्तम दिखे, धन्य धन्य आभार ||

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  2. उत्तम भावों की अति सुन्दर अभिव्यक्ति !
    नई पोस्ट भाव -मछलियाँ
    new post हाइगा -जानवर

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  3. सुन्दर...बहुत सुन्दर रचना..

    सादर
    अनु

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  4. बहुत सुन्दर
    धरती पर पौधों की दुनिया कोई सजाता है,
    पतझड़ को जा, झट कोई न्यौता दे आता है |
    यही प्रकृति है और मानव भी तो प्रकृति कृत ही है, साथ ही मानवों निज स्वार्थ से वशीभूत होकर बुराइयाँ जल्दी अंगीकार करता है ..

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  5. बहुत बढिया.....सुन्दर प्रस्तुति..

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  6. खुशियाँ भी बात-बात पर गाल फुलाती है,
    मगर जिन्दगी नहीं खीजती वह मुस्काती है |
    लहर - भवँर फिर अहंकार का रौब जमाती है,
    कागज़ की ही सही मगर कश्ती टकराती है |
    sabhi panktiya sundar bhaw sanjoye hue

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-12-13) को "मजबूरी गाती है" (चर्चा मंच : अंक-1460) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना |

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  9. मजबूरी भी गाती है क्या हमने तो सुना था खुशियाँ ही गाती हैं..

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  10. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संसद पर हमला, हम और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  11. भावपूर्ण ... मन को छूती हुई सरल, सहज रचना ...

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  12. खुशियाँ भी बात-बात पर गाल फुलाती है,
    मगर जिन्दगी नहीं खीजती वह मुस्काती है |
    लहर - भवँर फिर अहंकार का रौब जमाती है,
    कागज़ की ही सही मगर कश्ती टकराती है |

    अत्यंत भावपूर्ण ... मर्मस्पर्शी .....

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  13. शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए।

    गा गाके जीवन के राग सुनाती है ,

    मजबूरी खुलके गाती है। सुन्दर रचना।

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  14. लहर - भवँर फिर अहंकार का रौब जमाती है,
    कागज़ की ही सही मगर कश्ती टकराती है |

    bhai bhadauriya ji vakai bahut behatareen rachana ka ap ne janm diya hai bahut bahut aabhar apka......sath hi badhai bhi .

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  15. खुशियां लाख गाल फुलाए , जिंदगी सदा मुस्काये
    मजबूरी गीत सुनाये :)
    सुन्दर !

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  16. बहुत सुंदर गीत..आपकी कविता की हर पंक्ति एक मधुर साज गा रही है।।।

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  17. मन में पलते आशा-पथ में फूल बिछाता सुन्‍दर गीत।

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  18. बहुत ही सुंदर लयबद्ध रचना ....आनंद आ गया

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  19. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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  20. उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति, सुन्दर रचना।

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,