कामयाबी...
रोने से तकदीर बदलती नही
वक्त से पहले रात ढलती नही
दूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
कामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही
मिल जाए कामयाबी अगर इत्तेफाक से
यह भी सच है कि वह पचती नही
कामयाबी पाना है,पानी में आग लगाना
पानी में आग ,आसानी से लगती नहीं
ऐसा भी लगता है जिंदगी में अक्सर
दुनिया अपने जज्बात समझती नही है
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
फिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
हाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
अपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही,
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बहुत खूब कहा |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंरोने से तकदीर बदलती नही
जवाब देंहटाएंवक्त से पहले रात ढलती नही
दूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
कामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही
lajavab sunder bhav ekdam theek kaha hai aapne
badhai
rachana
बहुत सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सीख देने में कामयाब रचना
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (10-11-2013) को सत्यमेव जयते’" (चर्चामंच : चर्चा अंक : 1425) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार । शास्त्री जी
हटाएं
हटाएं’हाथ बांध----जिंदगी संवरती नहीं’
’कर्मयोगी’होना ही पूर्ण मानव की पहचान है.
प्रेरक रचना.
बहुत ही बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
:-)
सही कहा है...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति--
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट काम अधुरा है
सन्देश देती सुन्दर रचना बहुत अच्छी लगी हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंप्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंआप सभी लोगों का आभार ।
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना , आ0 धीरेंद्र सिंह जी बधाई आपको ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और प्रेरक कविता।
जवाब देंहटाएंइतना सुंदर नीला गुलाब, क्या सच्ची का है या फोटोशॉप का कमाल ?
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश देती रचना।
जवाब देंहटाएंये तो सही बात है बिलकुल। छन्दबद्ध कविता में ढालना ऐसी बातों को शायद इन पर चलने को ज्यादा प्रोत्साहित करेगा किसी को भी।
जवाब देंहटाएंnc post sr / मेरे ब्लॉग पर कबीर/ग़ालिब(1-4)
जवाब देंहटाएंऐसा भी लगता है जिंदगी में अक्सर
जवाब देंहटाएंदुनिया अपने जज्बात समझती नही है
वाह बहुत खूब ..और सटीक भी
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंऐसा भी लगता है जिंदगी में अक्सर
दुनिया अपने जज्बात समझती नही है
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
फिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : फिर वो दिन
बहुत सुंदर सटीक रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत सन्देश देते आपके भाव ...
जवाब देंहटाएंमुबारक हो !
बहुत सुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंbaat to pate ki hai ,prayas syam hi karna hota hai .sundar
जवाब देंहटाएंदुनिया समझे न समझे जज्बात ... पर हार के बाद उठना जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंभावमय रचना ...
दूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
जवाब देंहटाएंकामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही
वाह ! बेहतरीन लफ्ज़ |
बेहद प्रेरक पंक्तिया..... बहुत खूबसूरत !!
जवाब देंहटाएंहर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
जवाब देंहटाएंफिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
बहुत सुन्दर
खूबसूरत रचना धीरेंद्र जी !!!!
सुन्दर प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंएक कविता में कितने सारे संदेश। बिना मेहनत कुछ भी हासिल नहीं होता।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा, बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर..!!!!
जवाब देंहटाएंहाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
जवाब देंहटाएंअपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही...
लाजवाब !
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंकामयाबी पाना है,पानी में आग लगाना
जवाब देंहटाएंपानी में आग ,आसानी से लगती नहीं
...नये अंदाज में कहा आपने। बहुत खूब...