अपनी राम कहानी में
टूटे फूटे कुछ अक्षर है, अपनी राम कहानी में,
जलते प्रश्नों के उत्तर है, अपनी राम कहानी में i
प्यासे पनघट,तृप्त मरुस्थल, हँसते घावों के मेले,
ऐसे ही कुछ हस्ताक्षर है, अपनी राम कहानी में i
आँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती है,
पीड़ाओं के गूँगे स्वर है, अपनी राम कहानी में i
साँझ ढले धीर को अक्सर,आकर घेर लिया करते,
ये जो यादों के लश्कर है, अपनी राम कहानी में i
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंशानदार रचना
जवाब देंहटाएंमहाकवि दुरसा आढ़ा
रतन सिंह जी , आपका ब्लॉग ज्ञान दर्पण कई दिन से खुल नहीं रहा है !
हटाएंसादर प्रणाम |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति |
बहुत खूब |
....... प्यासे पनघट,तृप्त मरुस्थल, हँसते घावों के मेले,
ऐसे ही कुछ हस्ताक्षर है, सबकी राम कहानी में i
वाह बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंअपनी राम कहानी एक जैसी ही है
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
वाह वाह - गागर में सागर - लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.....
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें....
बेहतरीन अभिव्यक्ति। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार...! दर्शन जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल | नवरात्रि की शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंlatest post: कुछ एह्सासें !
गज़ब की राम कहाँई, सुंदर गज़ल के लिए बधाई.......
जवाब देंहटाएंसाँझ ढले धीर को अक्सर,आकर घेर लिया करते,
जवाब देंहटाएंये जो यादों के लश्कर है, अपनी राम कहानी में i
,...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
नवरात्रि की शुभकामनाएं ...
वाह
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर-
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनायें-
दिल के दौर तीन पड़े पर, गति समुचित है नाड़ी की |
लश्कर बिन हथियार दिखे अब, धार तेज पर वाणी की |
शब्दों के व्यवहार बदलते, जब से जग में देखा है-
रविकर पर विश्वास करें नहिं-बातें समझ अनाड़ी की |
वाह ...बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती है,
पीड़ाओं के गूँगे स्वर है, अपनी राम कहानी में i
गीत की गुनगुनाहट ,गजल की सुगबुगाहट दोनों एक साथ लिए है यह सांगीतिक रचना अर्थ गर्भित। स्वर सुरभित।
आभार ...!...राजेन्द्र जी ,
जवाब देंहटाएंआँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती है,
जवाब देंहटाएंपीड़ाओं के गूँगे स्वर है, अपनी राम कहानी में i ..
वाह ... बहुत ही लच्छेदार ... गुनगुनाने वाली लाजवाब गज़ल है ... मज़ा आ गया ...
राम कहानी तो बहुत ही शानदार बन पड़ी है :-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव .....सुंदर रचना ....!!
जवाब देंहटाएंसुरेश राय
कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
http://mankamirror.blogspot.in
बहुत सुंदर भाव .
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-10/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -21 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....
नवरात्रि की शुभकामनाएँ.
बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
विवशता को सुन्दर अनुभूतियों से बांधा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव ।
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
आँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती है,
जवाब देंहटाएंपीड़ाओं के गूँगे स्वर है, अपनी राम कहानी में i
बहुत खूब..अपनी नहीं यह तो सबकी राम कहानी है...
प्यासे पनघट,तृप्त मरुस्थल, हँसते घावों के मेले,
जवाब देंहटाएंऐसे ही कुछ हस्ताक्षर है, अपनी राम कहानी में i
बेहद सुन्दर
सुंदर प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंजिंदगी का कैनवास न जाने कितने रंगों से बना है
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर रही.. राम कहानी..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंवाह...सुन्दर राम कहानी.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति.....
सादर
अनु
नहीं बचेगा अबके रावण दिल्ली में ,
जवाब देंहटाएंसच रहता है अपनी राम कहानी में।
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब।
बहुत सुन्दर, आपकी राम कहानी ऐसे ही सदा गतिमान रहे।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन राम कहानी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती है,
जवाब देंहटाएंपीड़ाओं के गूँगे स्वर है, अपनी राम कहानी में i
सबकी राम कहानी ऐसी ही है कुछ कम कुछ ज्यादा !
बहुत सुंदर धीर जी।
जवाब देंहटाएंसारे एहसास आपकी रामकहानी मेँ है
जवाब देंहटाएंवाह साब!
जवाब देंहटाएंआँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती है,
जवाब देंहटाएंपीड़ाओं के गूँगे स्वर है, अपनी राम कहानी में i
धीरेन्द्र भाई बहुत सुन्दर रचना बहुत कुछ उल्टा पुल्टा जीवन में ..यादें वादे घेर तो लेंगे ही ........ आभार...
नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...
भ्रमर५
आँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती हैnice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक आज शनिवार (12-10-2013) को "उठो नव निर्माण करो" (चर्चा मंचःअंक-1396)
पर भी होगा!
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार,शास्त्री जी,,,,
हटाएंप्यासे पनघट,तृप्त मरुस्थल, हँसते घावों के मेले,
जवाब देंहटाएंऐसे ही कुछ हस्ताक्षर है, अपनी राम कहानी में-----
जीवन की संघर्ष यात्रा में जो सच भोगा जाता है
वह जब मन की परतों को तोड़ता निकलता है तो
इस तरह की मार्मिक भावुक रचना का सृजन
होता है---
अदभुत अभिव्यक्ति
साधुवाद भाई जी
प्यासे पनघट,तृप्त मरुस्थल, हँसते घावों के मेले,
जवाब देंहटाएंऐसे ही कुछ हस्ताक्षर है, अपनी राम कहानी में i
बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति है सर
सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआँसू की भी एक अलग,अपनी परिभाषा होती है,
जवाब देंहटाएंपीड़ाओं के गूँगे स्वर है, अपनी राम कहानी में i
bahut sundar bhav .....sundar rachna .
बहुत सुन्दर .बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंEk Achhi Kavya Rachna Aapke Dwara.
जवाब देंहटाएंसाँझ ढले धीर को अक्सर,आकर घेर लिया करते,
जवाब देंहटाएंये जो यादों के लश्कर है, अपनी राम कहानी में i
,...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
shandaar prastuti ..
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