गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

पाँच दोहे,

  
पाँच दोहे 
 
आज व्यवस्था  ने रची,कुछ ऐसी पहचान i
 गन्धर्वो  के  देश  में , सर्पो   का  सम्मान ii
o o o
ऊपर  से  हम  जी  रहे, गाँधी- गौतम  बुद्ध i
 भीतर-भीतर  लड़  रहे, जाने  कितने  युद्ध ii
    o o o     
कैसे  फहरेंगे  भला , वहाँ  क्रान्ति  के  केतु i
 बागी है  जिस जगह पर, सम्बन्धों के सेतु ii
o o o 
 संस्मरणों के देश फिर,ले चल मुझको मीत i
  जहाँ  प्रीत का  पर्व है,जहाँ  मिलन  के गीत ii
o o o
  हार  न  मानेगे  कभी , प्रण  करते  है  प्राण i
    व्यवधानों  के वक्ष  पर, होगा  नव  निर्माण ii 
 o o o 
  
          

         

47 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर दोहे -
    आभार धीर भाई जी -

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  2. वाह्ह्ह्ह बहुत बढ़िया सार्थक दोहे ,हृदय तल से बधाई आदरणीय

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  3. बहुत ही सुन्दर ,सार्थक..आभार..

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  4. वाह ........सभी दोहे बहुत सुन्दर ,सार्थक ,मन को छूने वाला .....

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  5. बहुत ही अच्छे और सार्थक दोहे...
    बेहतरीन..
    :-)

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  6. ऊपर से हम जी रहे, गाँधी- गौतम बुद्ध i
    भीतर-भीतर लड़ रहे, जाने कितने युद्ध ii
    बहुत सुन्दर और सटीक दोहे !

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  7. आदरणीय सर , प्रत्येक दोहा बेहद खूबसूरत और यथार्थ परक बना है ...इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई !

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  8. मज़ा आ गया ,रस धरा में स्नान का। मुठ्ठी तो बंद है पर खुले हैं छंद।

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  9. बेहद सशक्त सन्देश दोहावली के मार्फ़त दे गए हैं श्री मान ,

    o o o
    संस्मरणों के देश फिर,ले चल मुझको मीत i
    जहाँ प्रीत का पर्व है,जहाँ मिलन के गीत ii
    o o o
    हार न मानेगे कभी , प्रण करते है प्राण i
    व्यवधानों के वक्ष पर, होगा नव निर्माण ii

    ले चल मनवा आज फिर उसी ठौर उस गाँव ,

    सुबह शाम हँसते जहां नीम और पीपल आंव।

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  10. सुंदर दोहे। अंतिम तो बहुत सुंदर आशापूर्ण।

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  11. ये जागरण के दोहे हैं , मनुष्य को जीना सिखाते हैं । बधाई ।

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  12. बहुत अच्छे दोहे |हार्दिक आभार |

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  13. आपकी यह उत्कृष्ट रचना ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in पर कल दिनांक 6 अक्तूबर को लिंक की जा रही है .. कृपया पधारें ...
    साभार सूचनार्थ

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  14. जहाँ प्रीत का पर्व है,जहाँ मिलन के गीत nice

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  15. सार्थक अभिव्यक्ति ....सुंदर दोहे, आभार !

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  16. संस्मरणों के देश फिर,ले चल मुझको मीत i
    जहाँ प्रीत का पर्व है,जहाँ मिलन के गीत ii
    bahut khoob
    rachana

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  17. वाह ... बहुत ही सुन्दर दोहे ... सार्थकता लिए ...
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें ....

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  18. हार न मानेगे कभी , प्रण करते है प्राण i
    व्यवधानों के वक्ष पर, होगा नव निर्माण ii

    कवि कामना पूर्ण हो !

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,