पाँच दोहे
आज व्यवस्था ने रची,कुछ ऐसी पहचान i
गन्धर्वो के देश में , सर्पो का सम्मान ii
o o o
ऊपर से हम जी रहे, गाँधी- गौतम बुद्ध i
भीतर-भीतर लड़ रहे, जाने कितने युद्ध ii
भीतर-भीतर लड़ रहे, जाने कितने युद्ध ii
o o o
कैसे फहरेंगे भला , वहाँ क्रान्ति के केतु i
बागी है जिस जगह पर, सम्बन्धों के सेतु ii
बागी है जिस जगह पर, सम्बन्धों के सेतु ii
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संस्मरणों के देश फिर,ले चल मुझको मीत i
जहाँ प्रीत का पर्व है,जहाँ मिलन के गीत ii
o o o
हार न मानेगे कभी , प्रण करते है प्राण i
व्यवधानों के वक्ष पर, होगा नव निर्माण ii
o o o
वाह!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे -
जवाब देंहटाएंआभार धीर भाई जी -
बहुत ही लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
khubsurat abhivyakti
जवाब देंहटाएंsaadar
बहुत ही लाजवाब दोहे
जवाब देंहटाएंआभार ! सुमन जी ,,,,
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया दोहे है !
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह्ह बहुत बढ़िया सार्थक दोहे ,हृदय तल से बधाई आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ..आभार..
जवाब देंहटाएंअत्यन्त सार्थक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ,सार्थक..आभार..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar ............sahi chitran
जवाब देंहटाएंदोहे बहुत अच्छे बने हैं
जवाब देंहटाएंवाह ........सभी दोहे बहुत सुन्दर ,सार्थक ,मन को छूने वाला .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे और सार्थक दोहे...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
:-)
ऊपर से हम जी रहे, गाँधी- गौतम बुद्ध i
जवाब देंहटाएंभीतर-भीतर लड़ रहे, जाने कितने युद्ध ii
बहुत सुन्दर और सटीक दोहे !
आदरणीय सर , प्रत्येक दोहा बेहद खूबसूरत और यथार्थ परक बना है ...इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया ,रस धरा में स्नान का। मुठ्ठी तो बंद है पर खुले हैं छंद।
जवाब देंहटाएंआभार ! शास्त्री जी.........
जवाब देंहटाएंबेहद सशक्त सन्देश दोहावली के मार्फ़त दे गए हैं श्री मान ,
जवाब देंहटाएंo o o
संस्मरणों के देश फिर,ले चल मुझको मीत i
जहाँ प्रीत का पर्व है,जहाँ मिलन के गीत ii
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हार न मानेगे कभी , प्रण करते है प्राण i
व्यवधानों के वक्ष पर, होगा नव निर्माण ii
ले चल मनवा आज फिर उसी ठौर उस गाँव ,
सुबह शाम हँसते जहां नीम और पीपल आंव।
अति सुन्दर रचना।। आभार।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : एलोवेरा (घृतकुमारी) के लाभ और गुण।
ब्लॉग से कमाने में सहायक हो सकती है ये वेबसाइट !!
बहुत ही लाजवाब.
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे। अंतिम तो बहुत सुंदर आशापूर्ण।
जवाब देंहटाएंसार्थक व सटीक दोहों के लिये बधाइयाँ.......
जवाब देंहटाएंसार्थक व सटीक दोहों के लिये बधाइयाँ.......
जवाब देंहटाएंये जागरण के दोहे हैं , मनुष्य को जीना सिखाते हैं । बधाई ।
जवाब देंहटाएंsundar sarthak dohe ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत दोहे .....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे दोहे |हार्दिक आभार |
जवाब देंहटाएंwah sundar dohe.....navratri ki shubhkamnayein apko
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति ....सुंदर दोहे ..
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट रचना ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in पर कल दिनांक 6 अक्तूबर को लिंक की जा रही है .. कृपया पधारें ...
जवाब देंहटाएंसाभार सूचनार्थ
आभार ,,,,,शालिनी जी,
हटाएंजहाँ प्रीत का पर्व है,जहाँ मिलन के गीत nice
जवाब देंहटाएंबहुत दमदार दोहे हैं बॉस....
जवाब देंहटाएंदमदार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लेख , samadhaaninhindi.blogspot.in
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति ....!!
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति ....सुंदर दोहे, आभार !
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंसभी दोहे उत्तम |
जवाब देंहटाएंbahut sundar sabhi dohe acche lage ,sarthak
हटाएंसंस्मरणों के देश फिर,ले चल मुझको मीत i
जवाब देंहटाएंजहाँ प्रीत का पर्व है,जहाँ मिलन के गीत ii
bahut khoob
rachana
वाह ... बहुत ही सुन्दर दोहे ... सार्थकता लिए ...
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें ....
हार न मानेगे कभी , प्रण करते है प्राण i
जवाब देंहटाएंव्यवधानों के वक्ष पर, होगा नव निर्माण ii
कवि कामना पूर्ण हो !
बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति
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