मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
जहाँ पर प्यार से बढ़कर कोई तमगा नही होता,
वहाँ पर भाई का फिर भाई से झगड़ा नही होता |
वहाँ पर भाई का फिर भाई से झगड़ा नही होता |
सहा नुकसान पर हम बच गए मगरूर होने से,
मुनाफो का हारिक सौदा भी तो अच्छा नही होता |
मुनाफो का हारिक सौदा भी तो अच्छा नही होता |
यही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी है,
अहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता |
खुशी तेरी थी सो काँटों में खुशबू ढूँढ ली वरना,
हो बँटवारा जो फूलों का तो क्या झगड़ा नही होता |
हो बँटवारा जो फूलों का तो क्या झगड़ा नही होता |
किसी बीमार माथे पर जो बोसा प्यार वाला हो,
तो फिर वो कौन सा है मर्ज जो अच्छा नहीं होता |
रचनाकार - @ सुवर्णा शेखर दीक्षित, छिंदवाडा,
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (30.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंआभार !!! नीरज जी ....|
हटाएंकिसी बीमार माथे पर जो बोसा प्यार वाला हो,
जवाब देंहटाएंतो फिर वो कौन सा है मर्ज जो अच्छा नहीं होता |
Very nice ,कमाल की रचना लिखी है।
यही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी है,
जवाब देंहटाएंअहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता ........बहुत सुंदर ,....
यही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी है,
जवाब देंहटाएंअहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता
बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल
बहुत उम्दा ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंवाह किसी बीमार के माथे पर जो प्यारा सा अनुभव दिखे तो निश्चित ही तब मर्ज अच्छा लगने लगता है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.....
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल,बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआभार !!! दर्शन जी ,,,,|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. हुत उम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंउम्दा गजल
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [30.09.2013]
चर्चामंच 1399 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
आभार ! सरिता जी ,,,
हटाएंबहुत शुक्रिया सरिता भाटिया जी..
हटाएंnice
जवाब देंहटाएंsahi kaha ji aapne , bahut sundar
जवाब देंहटाएंसार्थक काव्य रचना।। मर्ज सच में किसी को भी अच्छा नहीं लगता !!
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद
बढ़िया ग़ज़ल है , रचना कार को बधाई !!
जवाब देंहटाएंजीवन को सीख देती सौद्देश्य रचना-
जवाब देंहटाएंयही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी( है,)-
--कृपया इस फ़ालतू है को हटा दें
अहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता |
किसी बीमार माथे पर जो बोसा प्यार वाला हो,
तो फिर वो कौन सा है मर्ज जो अच्छा नहीं होता |
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रेम पसारे पैर जगत में
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
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सहा नुकसान पर हम बच गए मगरूर होने से,
जवाब देंहटाएंमुनाफो का हारिक सौदा भी तो अच्छा नही होता ...
बहुत खूब ... सच कहा है इन्सान बने रहना ज्यादा अच्छा है मुनाफे से ...
बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत.
जवाब देंहटाएंरामराम.
Subhanallah........last one is amazing
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत.गजल..
जवाब देंहटाएंbeemar maathe par pyar bhara bosa :)
जवाब देंहटाएंaur kya chahiye :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .... विशेष तौर पर ये दो शेर बहुत पसंद आये
जवाब देंहटाएंसहा नुकसान पर हम बच गए मगरूर होने से,
मुनाफो का हारिक सौदा भी तो अच्छा नही होता |
यही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी है,
अहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता |.. बहुत खूब!
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति वाह पढवाने के लिए हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहा नुकसान पर हम बच गए मगरूर होने से,
मुनाफो का हारिक सौदा भी तो अच्छा नही होता |
वाह!
जवाब देंहटाएंपूरी रचना बहुत ही सुंदर है .....
जवाब देंहटाएंये विचार सबके मन में स्थान पायें
यही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी है,
जवाब देंहटाएंअहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता |
बहुत खूब aabhar sajha karane ke liye !
बेहद उम्दा..
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह बेहद उम्दा
जवाब देंहटाएंदिल को छूता हुआ , हर शेर लाजवाब . इस शानदार गज़ल पर दाद कबूल कीजिए.
जवाब देंहटाएंयही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी है,
जवाब देंहटाएंअहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता |
अति सुंदर।।।
यही सीखा बुजुर्गो से इसी में शान है अपनी है,
जवाब देंहटाएंअहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता |
खुशी तेरी थी सो काँटों में खुशबू ढूँढ ली वरना,
हो बँटवारा जो फूलों का तो क्या झगड़ा नही होता |
nice lines
खुशी तेरी थी सो काँटों में खुशबू ढूँढ ली वरना,
जवाब देंहटाएंहो बँटवारा जो फूलों का तो क्या झगड़ा नही होता |
ज़िन्दगी की कहानी कहता
अहम का कद किसी भी रिश्ते से ऊँचा नही होता |
जवाब देंहटाएंbahut khoob .badhai
उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंलाज़वाब ग़ज़ल ! एक एक शे'र वास्तविकता परक अल्फाज़ों से पिरोया हुआ।
जवाब देंहटाएं......किसी बीमार माथे पर जो बोसा प्यार वाला हो,
......तो फिर वो कौन सा है मर्ज जो अच्छा नहीं होता |
…… बहुत ही लाज़वाब ! जी हाँ ! प्यार का स्पर्श मात्र से ही बड़े बड़े मर्ज़ ठीक हो जाते हैं।
ज़नाब ''मुनव्वर राना'' साहब भी कहते हैं :
.......अभी जिंदा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा
.......मैं जब घर से निकलता हूँ, दुआ भी साथ चलती है''…
आपने भी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल लिखी है। दिल से दाद है।
सादर
सहा नुकसान पर हम बच गए मगरूर होने से,
जवाब देंहटाएंमुनाफो का हारिक सौदा भी तो अच्छा नही होता ...
... सच कहा है...बहुत खूब
बहुत ही बेहतरीन गजल...
जवाब देंहटाएं:-)
bahut khoob... :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का :-) धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी , Neeraj Kumar जी, विशेष आभार..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दर्शन जी.
जवाब देंहटाएं