शनिवार, 7 सितंबर 2013

समझ में आया बापू .

समझ  में आया  बापू
1
बापू  आसाराम  ने  ,  खेला   कैसा  खेल |
करनी- भरनी के लिये ,पँहुच गये हैं जेल |


पँहुच  गये  हैं जेल ,खेल ने  पलटा खाया |
नखरे बहुत  दिखाय,चली ना  बापू माया |


क्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
तेरी  क्या औकात,समझ  में आया  बापू |
 2
      भक्ति - भाव   के  आड़   में , करते   यौनाचार |       
       प्रवचन   देते   है  यहाँ  , करते   है   व्यभिचार |     

    
     करते   है  व्यभिचार , ढूढ़ते   फिरते   छलिया |       
    जाल  बिछाकर  फ़सा ,नोचते  कच्ची  कलियाँ |     

     
    सारे  आश्रम  जप्त , करा   दे  शाशन - शक्ति |     
     अमन चैन छा जाय,फिर आ जाय भाव-भक्ति |        
  
  धीरेन्द्र सिंह भदौरिया, 

52 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा आपने…………पर जाने क्यों लोगो को असलियत देर से समझ आता है ……………सुन्दर अभिब्यक्ति

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  2. अब भी तो समाज में जागृति आए
    सच्ची सार्थक अभिव्यक्ति
    सादर

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  3. सही कहा आपने……सुन्दर अभिब्यक्ति

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  4. सही लिखा आपने ! धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाला जेल में ही होना चाहिये

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार-8/09/2013 को
    समाज सुधार कैसे हो? ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः14 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra





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  6. क्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
    तेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |
    बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  7. आशा राम की खुली पोल... ढोंगी संत.. सार्थक अभिव्यक्ति !!

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  8. आशाराम के लिए सही जगह, एकांत में कुछ ज्यादा ही चिन्तन करंगे। बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  9. भक्ति - भाव के आड़ में , करते यौनाचार |
    प्रवचन देते है यहाँ , करते है व्यभिचा

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  10. ऐसे सब बापुओं पर ...हुआ है आपका सटीक वार .....

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  11. ऐसे बाबाओं से सावधान रहे की जरूरत है ... जागने का समय है भोली जनता का ...

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  12. आसाराम के नाम के साथ बापू शब्द लगाते हुये घृणा का भाव आता है । सटीक कुंडलियाँ ।

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  13. कड़वा सच बेहतरीन अभिव्यक्ति संगीता आंटी की बात से भी सहमत हूँ।

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  14. ऐसे लोगों को जरा देर से समझ आता है.

    रामराम.

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  15. सटीक कुंडलियाँ.. ।जैसी करनी वैसी भरनी

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  16. सटीक व् सार्थक दोहे ...
    साभार....

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  17. धर्म के बाज़ार में आशा राम नकली नोट की तरह से हैं
    ------------------------------------------------
    आप बताइये यदि आपके पास दो नोट हो , एक असली और दूसरी नकली तो आप किस नोट को बाज़ार में पहले चलाने को ले जाइयेगा , नकली न ???
    असली तो कभी भी चल जायेगी
    पर एक खतरा असली नोट को भी हो गया , बाज़ार में उसकी इज्ज़त , शाख गिर गयी , क्यों , कहीं वह नकली तो नहीं , इस लिए अब असली नोट को भी तीन बार जांचा परखा और रौशनी में उछाला जाता है
    इससे सच्चे साधू संतोंकी शाख गिर जाती है , सो अच्छे साधू संतो को इसका भर पूर विरोध करना और नकली नोटों को धर्म के बाज़ार से बाहर करना चाहिए
    अन्यथा , सच्चे असली सज्जन और साधू , संत भी शक के दायरे में आजायेंगे
    ठीक ही कहा है - '' धर्म से ही धर्म को खतरा है ( नकली धर्म से असली धर्म को ) अधर्म से धर्म को कोई ख़तरा नहीं है|
    “ हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !"

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  18. धर्म के नाम पर अधर्म।
    सटीक प्रस्तुति,सामयिक भी।

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  19. वाह वाह मजा आ गया पढ़ के बहुत सार्थक प्रस्तुति आदरणीय समय की मांग के अनुकूल ,हार्दिक बधाई आपको

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  20. क्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
    तेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |
    प्रिय धीरेन्द्र भाई बहुत अच्छी चेतावनी ..कानून अपना काम करे जनता चैन से रह सके
    भ्रमर ५

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  21. क्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
    तेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |

    बहुत ही सुंदर सामायिक कुण्डलियाँ ,,

    गणेश चतुर्थी की शुभकामनाए बधाई !

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  22. बहुत ही सुन्दर व सामयिक दोहे ...

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