समझ में आया बापू
1
बापू आसाराम ने , खेला कैसा खेल |
करनी- भरनी के लिये ,पँहुच गये हैं जेल |
पँहुच गये हैं जेल ,खेल ने पलटा खाया |
नखरे बहुत दिखाय,चली ना बापू माया |
क्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
तेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |
1
बापू आसाराम ने , खेला कैसा खेल |
करनी- भरनी के लिये ,पँहुच गये हैं जेल |
पँहुच गये हैं जेल ,खेल ने पलटा खाया |
नखरे बहुत दिखाय,चली ना बापू माया |
क्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
तेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |
2
भक्ति - भाव के आड़ में , करते यौनाचार |
प्रवचन देते है यहाँ , करते है व्यभिचार |
करते है व्यभिचार , ढूढ़ते फिरते छलिया |
जाल बिछाकर फ़सा ,नोचते कच्ची कलियाँ |
सारे आश्रम जप्त , करा दे शाशन - शक्ति |
अमन चैन छा जाय,फिर आ जाय भाव-भक्ति |
प्रवचन देते है यहाँ , करते है व्यभिचार |
करते है व्यभिचार , ढूढ़ते फिरते छलिया |
जाल बिछाकर फ़सा ,नोचते कच्ची कलियाँ |
सारे आश्रम जप्त , करा दे शाशन - शक्ति |
अमन चैन छा जाय,फिर आ जाय भाव-भक्ति |
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया,
सही कहा आपने…………पर जाने क्यों लोगो को असलियत देर से समझ आता है ……………सुन्दर अभिब्यक्ति
जवाब देंहटाएंअब भी तो समाज में जागृति आए
जवाब देंहटाएंसच्ची सार्थक अभिव्यक्ति
सादर
सुन्दर-
जवाब देंहटाएंआभार- भाई जी-
सही कहा आपने……सुन्दर अभिब्यक्ति
जवाब देंहटाएंसही लिखा आपने ! धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाला जेल में ही होना चाहिये
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार-8/09/2013 को
जवाब देंहटाएंसमाज सुधार कैसे हो? ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः14 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
आभार । दर्शन जी ,,,,
हटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंwah sir ji bahut khoob ,kalyug ka yah bapu hai
जवाब देंहटाएंक्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
जवाब देंहटाएंतेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
नमस्कार आपकी यह रचना कल रविवार (08-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंआभार । अरुन जी ।।
हटाएंआशा राम की खुली पोल... ढोंगी संत.. सार्थक अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंसामयिक सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआशाराम के लिए सही जगह, एकांत में कुछ ज्यादा ही चिन्तन करंगे। बेहतरीन अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंव वाह ..वा वाह
जवाब देंहटाएंसही लिखा है !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से आभार।
sarthak abhivyakti
जवाब देंहटाएंभक्ति - भाव के आड़ में , करते यौनाचार |
जवाब देंहटाएंप्रवचन देते है यहाँ , करते है व्यभिचा
ऐसे सब बापुओं पर ...हुआ है आपका सटीक वार .....
जवाब देंहटाएंsateek aur saamyik rchna .
जवाब देंहटाएंkvyanuroop.
सटीक ..!!!!!!
जवाब देंहटाएंऐसे बाबाओं से सावधान रहे की जरूरत है ... जागने का समय है भोली जनता का ...
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआसाराम चीज़ है
जवाब देंहटाएंआसाराम के नाम के साथ बापू शब्द लगाते हुये घृणा का भाव आता है । सटीक कुंडलियाँ ।
जवाब देंहटाएंसच है !
जवाब देंहटाएंसटीक …
जवाब देंहटाएंसुन्दर कुंडलियाँ
कड़वा सच बेहतरीन अभिव्यक्ति संगीता आंटी की बात से भी सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएंआज की बुलेटिन विश्व साक्षरता दिवस, भूपेन हजारिका और ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआभार । हर्षवर्धन जी ।।।
जवाब देंहटाएंsaamyik aur badhiya prastuti..
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों को जरा देर से समझ आता है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सटीक कुंडलियाँ.. ।जैसी करनी वैसी भरनी
जवाब देंहटाएंज्वलंत समस्या पर सटीक वार ।
जवाब देंहटाएंbahut shai
जवाब देंहटाएंसटीक व् सार्थक दोहे ...
जवाब देंहटाएंसाभार....
wah.... sateek..
जवाब देंहटाएंधर्म के बाज़ार में आशा राम नकली नोट की तरह से हैं
जवाब देंहटाएं------------------------------------------------
आप बताइये यदि आपके पास दो नोट हो , एक असली और दूसरी नकली तो आप किस नोट को बाज़ार में पहले चलाने को ले जाइयेगा , नकली न ???
असली तो कभी भी चल जायेगी
पर एक खतरा असली नोट को भी हो गया , बाज़ार में उसकी इज्ज़त , शाख गिर गयी , क्यों , कहीं वह नकली तो नहीं , इस लिए अब असली नोट को भी तीन बार जांचा परखा और रौशनी में उछाला जाता है
इससे सच्चे साधू संतोंकी शाख गिर जाती है , सो अच्छे साधू संतो को इसका भर पूर विरोध करना और नकली नोटों को धर्म के बाज़ार से बाहर करना चाहिए
अन्यथा , सच्चे असली सज्जन और साधू , संत भी शक के दायरे में आजायेंगे
ठीक ही कहा है - '' धर्म से ही धर्म को खतरा है ( नकली धर्म से असली धर्म को ) अधर्म से धर्म को कोई ख़तरा नहीं है|
“ हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !"
बहुत सुन्दर सटीक कुण्डलियाँ
जवाब देंहटाएंlatest post: यादें
धर्म के नाम पर अधर्म।
जवाब देंहटाएंसटीक प्रस्तुति,सामयिक भी।
खूब//// वाह !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया है
जवाब देंहटाएंवाह वाह मजा आ गया पढ़ के बहुत सार्थक प्रस्तुति आदरणीय समय की मांग के अनुकूल ,हार्दिक बधाई आपको
जवाब देंहटाएंक्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
जवाब देंहटाएंतेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |
प्रिय धीरेन्द्र भाई बहुत अच्छी चेतावनी ..कानून अपना काम करे जनता चैन से रह सके
भ्रमर ५
क्या होता क़ानून,सभल जाओ सब साधू |
जवाब देंहटाएंतेरी क्या औकात,समझ में आया बापू |
बहुत ही सुंदर सामायिक कुण्डलियाँ ,,
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाए बधाई !
वाह! आभार
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सही लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंsahmat hoon aapki harek shabdon se ......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर व सामयिक दोहे ...
जवाब देंहटाएंsamyik prastuti. behtareen abhivyakti.
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