बिखरे स्वर.
टू टे प र |
बिखरे स्वर |
नीड जला,
घर - बेघर |
नभ कितना ?
आँखों भर |
तेरी छवि ,
जा दू ग र |
एक गजल ,
तेरे पर |
तू है तो ,
कैसा डर ?
बहन विदा ,
आँखे तर |
हँसी जिये ,
रो रोकर |
बलिदानी ,
सदा अमर |
अपना तो,
बस ईश्वर |
मंजिल पर ,
सिर्फ नजर |
बात बहुत ,
तंग बहर |
रचनाकार - कमल किशोर "भावुक"
हँसी जिये ,
जवाब देंहटाएंरो रोकर |......सुन्दर भाव .....
सुन्दर भाव .....
जवाब देंहटाएंक्या बतलाऊँ अपना परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004
थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे
लेखनी की जादूगरी दिख रही
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर ......सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लेख
जवाब देंहटाएंकमाल किया है कमल किशोर जी ने। तंग बहर में वाकई.. बात बहुत कह दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंlatest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
वाह कमाल कर दिया, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा...
जवाब देंहटाएंवाह ! उम्दा अभिव्यक्ति के साथ शानदार प्रस्तुती !
जवाब देंहटाएंराजनैतिक परिदृश्य में उभरता एक नया सितारा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-09-2013) महामंत्र क्रमांक तीन - इसे 'माइक्रो कविता' के नाम से जानाः चर्चा मंच 1368 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया शब्द संयोजन और रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह, शब्दों की चित्रकारी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अलग और सशक्त रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
नये अंदाज
जवाब देंहटाएंनये कलेवर
पुलकित मन
बदले तेवर
********
रात्रि का प्रथम प्रहर
उठो प्रिये का स्वर
मदमाती आँखें
नशवर जीवन
यह कैसा स्वर
***********
बहुत ख़ूब सर
bahut sudar bhav ,alag and bahut pasand aaya ,badhai
जवाब देंहटाएंsundar bhavabhivyakti!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..गागर में है सागर !
जवाब देंहटाएंक्या बात। क्या बात।
जवाब देंहटाएंकितनी छोटी बहर में कितनी खूबसूरती से ग़ज़ल कही है आपने ……जैसे गागर में सागर |
जवाब देंहटाएंसुँदर है रचना
जवाब देंहटाएंबलिदानी ,
जवाब देंहटाएंसदा अमर |
अपना तो,
बस ईश्वर |
मंजिल पर ,
सिर्फ नजर |
बात बहुत ,
तंग बहर |
ati sundar rachna
बहुत ही बढ़िया .....
जवाब देंहटाएंमंजिल पर ,
जवाब देंहटाएंसिर्फ नजर |nice
तंग बहर ,बहुत कुछ पर ,वाह वाह गागर में सागर ,बहुत बधाई कमल किशोर भावुक जी को
जवाब देंहटाएंकमाल की प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन...
:-)
सुंदर प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंरात्रि का प्रथम प्रहर
जवाब देंहटाएंउठो प्रिये का स्वर
मदमाती आँखें
नशवर जीवन
यह कैसा स्वर
***********
बहुत ख़ूब...बहुत ही बढ़िया
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुती,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना आभार पढवाने का ,
जवाब देंहटाएंबधाई कमल किशोर जी को इस सुन्दर रचना के लिए !
वाह. थोड़े में बहुत
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... छोटी बहर में लोइखी गई सुन्दर गज़ल ... भाव लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब | जय हो
जवाब देंहटाएंअलग अंदाज में बढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंतेरी छवि ,
जवाब देंहटाएंजा दू ग र |
एक गजल ,
तेरे पर ।
तू है तो ,
कैसा डर ?
सुंदर रचना सर |
Kamal ki shabd kriti.
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !!
टू टे प र |
जवाब देंहटाएंबिखरे स्वर |
नीड जला,
घर - बेघर |
लघुत्तम बहर सुन्दर भाव और अर्थ।
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबात बहुत,
जवाब देंहटाएंतंग बहर।
क्या अंदाज़ है !
तंग बहर,
बात जबर !
.शब्दों की अनवरत खुबसूरत अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंVery nice Sir jiii
जवाब देंहटाएंkamal kishor ji ki rchna sajha krne ka sadhuvaad sir.
जवाब देंहटाएंनभ कितना ?
जवाब देंहटाएंआँखों भर .. वाह बहुत उम्दा , सुन्दर प्रस्तुति ..
BEHATARIN HI NAHIN BAHUT SUNDAR
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंतंग बहर |
पर सुन्दर |
बेहद, बेहद सुंदर
जवाब देंहटाएंबात बडी
छोटी बहर।