हल निकलेगा
आज नही तो कल निकलेगा
बातों का कुछ हल निकलेगा,
0-0-0-0
बेईमानी की हाट - बजारों में
खोटा सिक्का चल निकलेगा,
0-0-0-0
मंथन में सागर के , पहले
अमरित नही गरल निकलेगा,
0-0-0-0
रस्सी जलकर राख हो गई
मगर न उसका बल निकलेगा,
0-0-0-0
पकने दो यह दर्द , धीर के
बनकर गीत , गजल निकलेगा,
0-0-0-0
आशा है कि बस 'हल' 'निकल' जाए।
जवाब देंहटाएंbahut khub bhai sahab HAL HI NIKALEGA
जवाब देंहटाएंकोई न कोई हल अवश्य निकलेगा.... सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना और हाँ हल तो निकलेगा ही। आभार।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : मकबूल फ़िदा हुसैन
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!
जवाब देंहटाएंआशा है कि बस 'हल' 'निकल' जाए। बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!
जवाब देंहटाएंखोटा ही चलता आया है
जवाब देंहटाएंखोटा सिक्का फिर
चल निकलेगा
पता नहीं वो ''कल '' कब निकलेगा
जवाब देंहटाएंहल तो जरुर निकलेगा !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना ,धीरज का बाँध टूट रहा है
जवाब देंहटाएंlatest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
latest post कानून और दंड
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (20-09-2013) "हिन्दी पखवाड़ा" : चर्चा - 1374 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार !!! शास्त्री जी ...
हटाएंखूबसूरत लेखन
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
सादर
वाह....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
लाजवाब!!!
सादर
अनु
आभार !! दर्शन जी...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
पकने दो यह दर्द , धीर के
जवाब देंहटाएंबनकर गीत , गजल निकलेगा,
लाजवाब प्रस्तुति .....!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लागर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शनिवार हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल :007 http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंलिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर ..
वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंरस्सी जलकर राख हो गई
मगर न उसका बल निकलेगा,
0-0-0-0
आजाने दो साल चौदह ,
उनका उनका सारा छल निकलेगा ,
आजाने दो साल चौदह ,
जवाब देंहटाएंदंगों का भी हल निकलेगा ,
हा हा हा। …. बहुत खूब
हटाएंसेकुलर घूँघट पट खिसकेगा।
जवाब देंहटाएंहल निकलने की आस में ही बैठे है :)
जवाब देंहटाएंखोटा सिक्का चल निकलेगा
जवाब देंहटाएंsach me khote sikke hi chal nikle hain .sarthak prastuti .aabhar
रस्सी का बल तो नहीं निलकने वाला ... पर समस्या का हल जरूर निकलेगा ... आशा वान होना जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंपकने दो यह दर्द , धीर के
जवाब देंहटाएंबनकर गीत , गजल निकलेगा,
वाह बहुत सुन्दर भाव
आंधी
मंथन में सागर के , पहले
जवाब देंहटाएंअमरित नही गरल निकलेगा,
बहुत सुन्दर ...
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
मंथन में सागर के , पहले
अमरित नही गरल निकलेगा,
--
सादर,
शिवेंद्र मोहन सिंह
सुन्दर अति सुन्दर |
जवाब देंहटाएं“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”-
जवाब देंहटाएंsarthak lekhan,
आज नही तो कल निकलेगा
बातों का कुछ हल निकलेगा,........bahut hi positive lines,
हल निकलने का ही तो इंतजार है...
जवाब देंहटाएंहर एक समस्या का हल तो निकलता ही है ,चाहे देर सवेर ही सही। बहुत सुन्दर प्रस्तुती है।
जवाब देंहटाएंपकने दो यह दर्द , धीर के
जवाब देंहटाएंबनकर गीत , गजल निकलेगा,
वाह बहुत सुन्दर
poori rachna hi sundar hai ,shukriyaan .
जवाब देंहटाएंpoori rachna hi sundar hai ,shukriyaan .
जवाब देंहटाएंवाह,क्या बात है
जवाब देंहटाएंदर्द पक कर सुन्दर गजल बन गया ।
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!
जवाब देंहटाएंवाह मन को छू गयी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर----
सादर
पकने दो यह दर्द , धीर के
जवाब देंहटाएंबनकर गीत , गजल निकलेगा,
प्रशंसनीय रचना - बधाई
कविता मंच पर .... बहुत दिनों में आज मिली है साँझ अकेली :)
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंपकने दो यह दर्द , धीर के
बनकर गीत , गजल निकलेगा,
बहुत ही बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंकाश | हर चीज का हल निकलता जाये तो फिर क्या बात होगी..:-)
आज नही तो कल निकलेगा
जवाब देंहटाएंबातों का कुछ हल निकलेगा,
उम्मीद पे दुनिया कायम है। बहुत सुंदर गज़ल।
बहुत ही बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंबेईमानी की हाट - बजारों में
जवाब देंहटाएंखोटा सिक्का चल निकलेगा