अपनी पहचान
चर्चा धर्म की हो या ईमान की
बात चाहे हो तीर या कमान की,
मंत्री नेता या राज्यपाल हो
बात बस, उनके गुमान की,
राष्ट्र की पुकार कोई नही सुनता
वहाँ कौन सुनेगा मेरी जुबान की,
मैंने किया तो कुछ भी नही
तुम बात करते हो अहसान की,
धर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
सब सोचते है अपनी पहचान की,
dheerendra singh bhadouriya
BAHUT SATEEK ABHIVYAKTI .AABHAR
जवाब देंहटाएंसटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएं.उम्दा प्रस्तुति .बहुत सही बात कही है आपने . आभार अभिनेता प्राण को भावपूर्ण श्रृद्धांजलि -शालिनी कौश....आप भी पूछें सन्नो व् राजेश को फाँसी की सजा मिलनी चाहिए
जवाब देंहटाएं.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,
बिलकुल सटीक और उत्तम प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंlatest post केदारनाथ में प्रलय (२)
बिल्कुलसही बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
जवाब देंहटाएंराष्ट्र की पुकार कोई नही सुनता
जवाब देंहटाएंवहाँ कौन सुनेगा मेरी जुबान की,
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति , शुभकामनाये ,
यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html
धर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान की,
बिलकुल सही .... सुंदर प्रस्तुति
सच कहा है आपने
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक पहचान कराई आपने .....
जवाब देंहटाएंमुबारक हो !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (14-07-2013) को कई रूप धरती के : चर्चा मंच १३०६ में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आभार,,,शास्त्री जी,,,,
हटाएंशानदार और सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंधर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान की,
सुंदर प्रस्तुति , शुभकामनाये ,
जवाब देंहटाएंधर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
सब सोचते है अपनी पहचान की,
बहुत बढ़िया लिख रहे हैं इन दिनों आप .व्यंग्य विड्म्बन ,बढ़िया रचना .
धर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
सब सोचते है अपनी पहचान की,
धर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान की,
बिलकुल सही ...
वर्तमान परिदृश्य की सच्ची अनुभूति ...................
जवाब देंहटाएंधर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान की,
सही कहा है..
बहुत सुन्दर लिखा है..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब और सशक्त गजल, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सटीक यथार्थ
जवाब देंहटाएंधर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
सब सोचते है अपनी पहचान की,
बेहतरीन और सार्थक अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत सुंदर रचना, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर सटीक और यथार्थ को प्रकट करती शानदार रचना ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (15.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंआभार आपका .... नीरज जी,,
हटाएंApna faayda jyada mahtvpoorn ho chalaa hai, Samsamyik prastuti !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति बधाई आदरणीय
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावपूर्ण रचना के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
Bahut khoob...
जवाब देंहटाएंधर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान की.....
सुंदर प्रस्तुति
शानदार प्रस्तुति।।
जवाब देंहटाएंsteek aut sunder
जवाब देंहटाएं"धर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान की"
बहुत सटीक .......
लाजवाब अभिव्यक्ति | आभार
जवाब देंहटाएंधर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान
सौ फीसदी सही..
बहुत सुंदर, सामयिक और सटीक ।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंsunder rachna
जवाब देंहटाएंसच और बेहतरीन !!
जवाब देंहटाएंआज के यथार्थ को स्घब्दों में उतार दिया ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसच , सामयिक और सटीक
बहुत ही लाजवाब और सशक्त गजल ......
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसच , सामयिक और सटीक
बहुत ही लाजवाब और सशक्त गजल ......
bahut hi sundar aur sarthak
जवाब देंहटाएंमैंने किया तो कुछ भी नही
जवाब देंहटाएंतुम बात करते हो अहसान की,
धर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
सब सोचते है अपनी पहचान की,
बहुत बढ़िया
सही है..सभी पर अपनी पहचान का ही भूत सवार है।
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंसही बात
जवाब देंहटाएंसही बात
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति********
जवाब देंहटाएंधर्म और कर्तव्य की कौन सोचे
जवाब देंहटाएंसब सोचते है अपनी पहचान की,
सुंदर रचना ..बधाई आपको !
सच कहा, अन्ततः स्वार्थ सर चढ़कर बोलता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंबिल्कुलसही बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachna,sadar
जवाब देंहटाएंसटीक लेखन
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