जिन्दगी,
कब तक मुझे ऐसे सतायेगी जिन्दगी
और कितना मुझको रुलायेगी जिन्दगी,
अपनी यादों की तस्वीर को टंगा देखता हूँ
क्या रोज यही मंजर दिखायेगी जिन्दगी,
इन्तजार कर रहा हूँ उसके पास जाने का
जाने कब तलक उससे मिलायेगी जिन्दगी,
खीचकर एक तार, साज मेरा तोड़ दिया है
कैसे बिन साज के गीत गायेगी जिन्दगी,
बाँहों में अब तो आ जा कब से बुला रहा हूँ
मौत के बाद धीर को मिल पायेगी जिन्दगी,
dheerendra singh bhadouriya,
सुन्दर रचना।।
जवाब देंहटाएंकब तक मुझे ऐसे सतायेगी जिन्दगी ...............
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
बेहद उम्दा..... वाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंखीचकर एक तार, साज मेरा तोड़ दिया है
जवाब देंहटाएंकैसे बिन साज के गीत गायेगी जिन्दगी, ..
जिंदगी हर हाल में अपना गीत गा ही लेती है ... लाजवाब शेर है इस गज़ल का ...
वाह, बेहतरीन गजल. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंखीचकर एक तार, साज मेरा तोड़ दिया है
जवाब देंहटाएंकैसे बिन साज के गीत गायेगी जिन्दगी,
...वाह! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
वाह . बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंखीचकर एक तार, साज मेरा तोड़ दिया है
जवाब देंहटाएंकैसे बिन साज के गीत गायेगी जिन्दगी ....
दर्द मेरे दिल का लगा ....
आह पर वाह नहीं लिख पाती
सादर
बहुत सुन्दर रचना... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंजिंदगी की खूबसूरत तस्वीर ...वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, खूबशूरत अहसाह ,बेहतरीन
जवाब देंहटाएंअपनी यादों की तस्वीर को टंगा देखता हूँ
जवाब देंहटाएंक्या रोज यही मंजर दिखायेगी जिन्दगी,
खूबसूरत गज़ल
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी कभी वफ़ा तो कभी बेवफा का खेल खेलती ही रहती है ....बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंआभार !
बहुत खूब ग़ज़ल ......बहुत खूबसूरत ......
जवाब देंहटाएंसाभार......
सुन्दर रचना और खूबसूरत भाव ।
जवाब देंहटाएंसाथ सदा रह जाती है जिन्दगी...बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंवाह जिंदगी, आह जिंदगी ।
जवाब देंहटाएंधीर गम्भीर जिंन्दगी!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जिन्दगी सुख दुःख दोनों में गीत गाती है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गजल
साभार !
खीचकर एक तार, साज मेरा तोड़ दिया है
जवाब देंहटाएंकैसे बिन साज के गीत गायेगी जिन्दगी,
बहुत सुन्दर गजल !
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बेहतरीन गजल...
जवाब देंहटाएं:-)
मार्मिक है भाई ...
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपको !
वाह.......अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंअपनी यादों की तस्वीर को टंगा देखता हूँ
जवाब देंहटाएंक्या रोज यही मंजर दिखायेगी जिन्दगी......बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबाँहों में अब तो आ जा कब से बुला रहा हूँ
मौत के बाद धीर को मिल पायेगी जिन्दगी,
बढ़िया लिखा है यहाँ क्या खोना और पाना है ,बस जीते जी मरजाना है .....ये जीवन एक फ़साना है ....
वाह....बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंजिंदगी के गीतों को साज मिल ही जाते हैं. सुंदर गज़ल.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण.
जवाब देंहटाएंआभार ,,,शास्त्री जी,,
जवाब देंहटाएं:)शुभकामनायें जिंदगी को।
जवाब देंहटाएंगहन गंभीर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल !शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंअपनी यादों की तस्वीर को टंगा देखता हूँ
जवाब देंहटाएंक्या रोज यही मंजर दिखायेगी जिन्दगी,-----
waah bahut khub
premi man ki baat. bahut sunder.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति !
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