ऐसी गजल गाता नही
नजर के सामने अब कोई आता नही
अब तो ये माहौल भी भाता नही,
जाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
घर छोड़ यों तो कोई जाता नही,
गम को बर्दास्त करना सीख लो
अपना साया भी नजर आता नही,
अपना साया भी नजर आता नही,
ये आँसू भी एक दिन रुक जायेगें
मेह, हर बादल कभी लाता नही,
मेह, हर बादल कभी लाता नही,
माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
देवता , इंसान कभी बन पाता नही,
दर्द मेरा भी तो समझ लो दोस्तों
यूँ ही धीर ऐसी गजल गाता नहीं ,
देवता , इंसान कभी बन पाता नही,
दर्द मेरा भी तो समझ लो दोस्तों
यूँ ही धीर ऐसी गजल गाता नहीं ,
***************************************
बहुत उम्दा ज़नाब!
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंये आँसू भी एक दिन रुक जायेगें
मेह, हर बादल कभी लाता नही,
बहुत सुन्दर ग़ज़ल...
सादर
अनु
puri ki puri gazal umda hai,bahut khoob sr ji , नजर के सामने अब कोई आता नही
जवाब देंहटाएंअब तो मन को ये माहौल भाता नही,
जाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
घर छोड़ यों तो कोई जाता नही,
गम को बर्दास्त करना सीख लो
अपना साया भी नजर आता नही,
ये आँसू भी एक दिन रुक जायेगें
मेह, हर बादल कभी लाता नही,
माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
देवता , इंसान कभी बन पाता नही,
दर्द मेरा भी तो समझ लो दोस्तों
यूँ ही कोई ऐसी गजल गाता नहीं ,
नजर के सामने कोई आता नहीं
जवाब देंहटाएंअब तो ये माहौल भाता नहीं.... बहुत सुंदर ग़ज़ल !!
माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
जवाब देंहटाएंदेवता , इंसान कभी बन पाता नही, wahh.....
जाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
जवाब देंहटाएंघर छोड़ यों तो कोई जाता नही,
सही कहा धीरेन्द्रजी ...
वाह वाह क्या कहने आदरणीय बहुत खूब हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंमाफ़ कर सको तो मुझको कर देना
देवता , इंसान कभी बन पाता नही, वाह क्या कहने खास कर इस शे'र के विशेष दाद कुबूल फरमाएं.
बहुत उम्दा.......बहुत सुन्दर ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंप्रभावी पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंक्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, बहुत सुंदर
ये आँसू भी एक दिन रुक जायेगें
जवाब देंहटाएंमेह, हर बादल कभी लाता नही,
माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
देवता , इंसान कभी बन पाता नही,--बहुत सुंदर ग़ज़ल !!
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अनुभूति : विविधा -2
जाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
जवाब देंहटाएंघर छोड़ यों तो कोई जाता नही,
बहुत लाजवाब शेर है इस गज़ल का ... प्रभावी है गज़ल ..
वाह बहुत ही बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंरामराम.
माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
जवाब देंहटाएंदेवता, इंसान कभी बन पाता नही
बेहतरीन....
गम को बर्दास्त करना सीख लो
जवाब देंहटाएंअपना साया भी नजर आता नही,
एक-एक शब्द सही .... सच्ची अभिव्यक्ति
सादर
क्या कहने| बहुत ही बेहतरीन गजल...
जवाब देंहटाएंसुन्दर...
:-)
बहुत-बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंवाह वाह sir
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
आभार ,,,,सरिता जी,
हटाएंहरेक शेर जबरदस्त है. बहुत उम्दा बनी है यह गज़ल. बधाई धीरेन्द्र जी.
जवाब देंहटाएंदर्द में खुद को डुबोना व्यर्थ है
जवाब देंहटाएंहै किसी का कुछ यहाँ जाता नहीं ||
सब मगन हैं अपने-अपने स्वार्थ में
अब बुलाने से कोई आता नहीं ||
ढो रहा है दर्द क्यों उस शख्स का
जो निभा पाया यहाँ नाता नहीं ||
सुंदर हृदय-स्पर्शी गज़ल के लिए बधाई..............
जवाब देंहटाएंदर्दभरी गज़ल ।
वाह..बहुत-बहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंकमाल की गज़ल है धीरेन्द्र जी.. दिल का सारा दर्द हर शेर पर बिखेर दिया है आपने.. बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन शो-मैन तू अमर रहे... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं,,,आभार
हटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार . ''शादी करके फंस गया यार ,...अच्छा खासा था कुंवारा .'' साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंbahut acchi gajal.........
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमाफ़ कर सको तो मुझको कर देना
जवाब देंहटाएंदेवता , इंसान कभी बन पाता नही,
बहुत सुंदर !
बहुत बढ़िया आदरणीय धीर जी -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें -
अच्छी रचना.बहुत बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंगम को बर्दास्त करना सीख लो
जवाब देंहटाएंअपना साया भी नजर आता नही,
...बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी ग़ज़ल...
वाह ! प्रशंसनीय प्रस्तुती..
जवाब देंहटाएंभावुक ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंजाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
जवाब देंहटाएंघर छोड़ यों तो कोई जाता नही,
क्या खूब शेर कहा धीर जी ! वाह ! उम्दा गज़ल के लिए बधाई !
जाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
जवाब देंहटाएंघर छोड़ यों तो कोई जाता नही,
बहुत खूबसूरत गजल ...
माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
जवाब देंहटाएंदेवता , इंसान कभी बन पाता नही,
ADBHUT HEART TOUCHING LINES
यों तो कोई जाता नही,....बहुत खूब गजल है आपकी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
घर छोड़ यों तो कोई जाता नही, ------
सच की सच्ची अनुभूति
वाह बहुत खूब
सादर
आग्रह है
गुलमोहर------
ये आँसू भी एक दिन रुक जायेगें
जवाब देंहटाएंमेह, हर बादल कभी लाता नही,
वाह, बहुत खूब
साभार !
माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
जवाब देंहटाएंदेवता , इंसान कभी बन पाता नही,
....बहुत सुंदर सर
ऎसी ग़ज़ल गाता नहीं ..
जवाब देंहटाएंभई वाह ...गुनगुनाने लायक प्यारी ग़ज़ल !
बधाई भाई !
आभार ,कुलदीप जी,
जवाब देंहटाएंखुबसूरत गज़ल लिखी है भाई जी ....
जवाब देंहटाएंमुबारक कबूलें!
बहुत सुंदर ........टूटे दिल की आह है मगर ...दुसरे की मजबूरी का एहसास भी है
जवाब देंहटाएंवाह
जाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
जवाब देंहटाएंघर छोड़ यों तो कोई जाता नही, ..........
.... माफ़ कर सको तो मुझको कर देना
देवता , इंसान कभी बन पाता नही,
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति हर घटना के पीछे कोई वजह होती ही है.
.
वाह धीरेन्द्र जी , सर दिल में उतर गई आपकी यह रचना .. विशेष तौर पर यह शेर बहुत प्रभाव शाली लगा ..
जवाब देंहटाएंजाने वाले की थी कुछ मजबूरियाँ
घर छोड़ यों तो कोई जाता नही,
क्या कहने .. दाद कुबूल करें !