मधुशाला,
मधुशाला बदनाम हो गयी,हर महफ़िल की शान हो गयी
जिव्हा से हल्खो तक गुजरी,कब सुबहो से शाम हो गयी,
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
नुक्कड़ चौक चौराहों में,गुल से मैं गुलफाम हो गयी
मद,मय,मदिरा,सोमरसों के,नामों से बदनाम हो गयी
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
मंदिर से मदिरालय तक, कई कहानी आम हो गयी
देव असुर मन्थन से निकली,असुरों की मै जाम हो गयी,
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
इंसानों शैतानो की शोहबत,अब देखो मेरे नाम हो गयी
मधुशाला बदनाम हो गयी,हर महफ़िल की शान हो गयी
जिव्हा से हल्खो तक गुजरी,कब सुबहो से शाम हो गयी,
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
नुक्कड़ चौक चौराहों में,गुल से मैं गुलफाम हो गयी
मद,मय,मदिरा,सोमरसों के,नामों से बदनाम हो गयी
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
मंदिर से मदिरालय तक, कई कहानी आम हो गयी
देव असुर मन्थन से निकली,असुरों की मै जाम हो गयी,
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
इंसानों शैतानो की शोहबत,अब देखो मेरे नाम हो गयी
पीकर हरकत देख मेरी गति,सरे राह बदनाम हो गयी,
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
dheerendra singh bhadauriya
अच्छी है ...पर सोमरस ..मदिरा नहीं है ...
जवाब देंहटाएंबढिया क्या बात है..
जवाब देंहटाएंdir ji kamal hai,kuchh bhi likh dijie,supar hit ka tagama aap ke hi nam hai.
जवाब देंहटाएंबेनामी जी,टिप्पणी देने के लिए शुक्रिया,
हटाएंभविष्य में टिप्पणी अपने नाम से दे,अन्यथा टिप्पणी प्रकाशित नही की जायगी,,,
dhir ji kamal hai,kuchh bhi likh dijie,supar hit ka tagama aap ke hi nam hai.
जवाब देंहटाएंsom ras kya hai,jara yah bhi bta dijiye?
जवाब देंहटाएंइसका जबाब तो श्याम गुप्ता जी ही बता सकते है,
हटाएंbahut sundar abhivyakti dheerendra ji madhushala par kalam naye naye rang bikherti hai badhai
हटाएंbahut sundar badnam madhushala ke chahnevale bahut hai
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास | सोमरस शराब नहीं होती इसे ठीक कर लें | आभार
जवाब देंहटाएंबढिया है जी .....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार के "रेवडियाँ ले लो रेवडियाँ" (चर्चा मंच-1230) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर......
जवाब देंहटाएंसन्नाट भाई जी...वाह!
जवाब देंहटाएंबढिया..सुंदर..
जवाब देंहटाएंबदनाम ब्यूटी :-) मगर जो सुरा सेवन करे वह सुर और जो न करे वह (अ )सुर !
जवाब देंहटाएंयही सत्य है ...
हटाएंदेव असुर मन्थन से निकली,असुरों की मै जाम हो गयी,
जवाब देंहटाएंsundar............
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुतीकरण !!
जवाब देंहटाएंइंसानों शैतानो की शोहबत,अब देखो मेरे नाम हो गयी
जवाब देंहटाएंपीकर हरकत देख मेरी गति,सरे राह बदनाम हो गयी,
मधुशाला बदनाम हो गयी,,,
वाह आदरणीय, बहुत सुंदर रचना की है.
बहुत-बहुत बधाई............
badhiyan rachna!
जवाब देंहटाएं-Abhijit (Reflections)
बहुत उम्दा प्रस्तुति मयखाना प्रिय मय परस्तो को !
जवाब देंहटाएंlatest postजीवन संध्या
latest post परम्परा
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमधुशाला बदनाम हो गयी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, दिलचस्प ..
जवाब देंहटाएंमंदिर से मदिरालय तक, कई कहानी आम हो गयी
जवाब देंहटाएंदेव असुर मन्थन से निकली,असुरों की मै जाम हो गयी,...
वाह ... क्या बात है धीरेन्द्र जी ... मज़ा आ गया इस काव्य की मधुशाला को पी के ...
अच्छी लगी रचना लेकिन 'सोमरस' को यफी मदिरा से न जोड़ा जाय तो अच्छा होगा क्योकि डॉ. रंगनाथन ने अपनी पुस्तक 'दि वैदिक कांसेप्ट ऑफ़ सोम' में वैदिक उद्धरणों को लेकर सोम के २८ अर्थ किये हैं, उनमे एक भी मदिरा अर्थ में नहीं है. यह अलग बात है की भाई लोगों ने इस 'सोम' को न जाने कब और कैसे मदिरा के अर्थ में ही प्रयोग करते चले आ रहे हैं. इसकी पृष्ठ भूमि को देखना उचित होगा. सादर....
जवाब देंहटाएंसोमरस के सन्दर्भ में जानकारी देने के लिए आभार,,शुक्रिया,,,
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है इसको भी पढें
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
इंसानों शैतानो की शोहबत,अब देखो मेरे नाम हो गयी
जवाब देंहटाएंपीकर हरकत देख मेरी गति,सरे राह बदनाम हो गयी,
मेरे नाना श्री गोलन सिंह की दो लाइन आपको समर्पित
न पीना बुरा है न पिलाना बुरा है
पी के होश में आना बुरा है
बढ़िया....बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना ..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया!!
जवाब देंहटाएंअत्यंत ही प्रभावशाली रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
रचना दिल से खूबसूरत रची गई है
जवाब देंहटाएंकोई भी चीज़ अपने आप में अच्छी या बुरी नहीं होती
उसका उपयोग अच्छा या बुरा बनाता है
खांसी की दवा में भी अलकोहल होता है
सादर
waah ..dil tak pahunch gai .....
जवाब देंहटाएंनया रूपक तत्व लिए आई है यह बढ़िया रचना .
जवाब देंहटाएंमदमाती, बहकाती मधुशाला ।
जवाब देंहटाएंवाह वाह आदरणीय क्या बात है अत्यंत सुन्दर लाजवाब प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaan sir ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंअति सब चीजो के मूल्यों को नष्ट कर देती है बेचारी सुरा भी अति का शिकार हुई है ,बहुत बढ़िया आदरणीय धीर जी एक अलग तरह की पोस्ट मजा आया पढ़ कर|
जवाब देंहटाएंमैंने उनका पीना छुड़ाया अपनी कसम देकर दोस्तों ने फिर से पिला दी मेरी कसम देकर -----बताइये अब सुरा को बदनामी नहीं मिलेगी तो और क्या मिलेगा ??
जवाब देंहटाएंशानदार कविता |
जवाब देंहटाएंमधुशाला तो जबसे बनी है तभी से बदनाम है.....तराने वाली रचना.....सुन्दत।
जवाब देंहटाएंbahut sundar...
जवाब देंहटाएंपीकर बहकना तो आम है
जवाब देंहटाएंमधुशाला व्यर्थ में बदनाम है
....सुन्दर प्रस्तुति
बहुत ही बढिया ...
जवाब देंहटाएंउम्दा..
जवाब देंहटाएं