अमन के लिए.
खुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए,
बचा के कर रख प्यारे कल के लिए !
रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
मत गँवाना कपट और छल के लिए !
माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
है यही बीज लेकिन फसल के लिए !
जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !
क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !
dheerendra,"dheer"
वाह!!! बहुत बढ़िया | आनंदमय | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत बढ़िया व शानदार रचना
जवाब देंहटाएंपरमार्थ ही सर्वोधर्म |
जवाब देंहटाएंbahut sundar माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
जवाब देंहटाएंहै यही बीज लेकिन फसल के लिए !
kya bat hai sr wah waaaaaaaaaaah
जवाब देंहटाएंरेत की तरह फिसलता समय..सच कहा!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे भाव.
प्रेरक रचना!!
जवाब देंहटाएंजन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
जवाब देंहटाएंअर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !
क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !-बहुत बढ़िया प्रेरक रचना!
Very nice poem.
जवाब देंहटाएंक्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
जवाब देंहटाएंधीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !... वाह!
बेहतरीन पंक्तियाँ धीरेन्द्र जी!
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार (13-04-2013) के रंग बिरंगी खट्टी मीठी चर्चा-चर्चा मंच 1213
(मयंक का कोना) पर भी होगी!
बैशाखी और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
आभार ,,,शास्त्री जी,,,
हटाएंउत्कृष्ट विचार श्रंखला..
जवाब देंहटाएंअशआर दिल को मेरे सुकूँ दे गये
जवाब देंहटाएंबधाई आपकी खूबसूरत गज़ल के लिए....
bahut khoob...
जवाब देंहटाएंसुंदर गजल धीर sir बधाई
जवाब देंहटाएं''नवरात्र ''भाग 1
बहुत ही सुन्दर प्रेरक ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंक्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
जवाब देंहटाएंधीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !
समाज को पैगाम देने की अच्छी कोशिश है , इसी तरह अमन का प्रयास जारी रखना।
खुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए,
जवाब देंहटाएंबचा के कर रख प्यारे कल के लिए !
भाव और अर्थ में कल्याण कारी अर्चना ,धीर साहब दूसरी पंक्ति यूं कर लें -
बचा करके रख प्यारे कल के लिए या
बचा के रख प्यारे कल के लिए .
रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
जवाब देंहटाएंमत गँवाना कपट और छल के लिए !
सुन्दर...
रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
जवाब देंहटाएंमत गँवाना कपट और छल के लिए !
बहुत ही सुन्दर पैगाम ....
आभार !!
रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
जवाब देंहटाएंमत गँवाना कपट और छल के लिए !
बहुत ही सुन्दर पैगाम ....
आभार !!
जवाब देंहटाएंरेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
मत गँवाना कपट और छल के लिए !
bahut sundar bhavnaon ko shabdon me piriya hai aapne .
नान को छूती भावपूर्ण प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना
पधारें "आँसुओं के मोती"
वाह !
जवाब देंहटाएंजन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
जवाब देंहटाएंअर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !
वाह!! वाह!!
बहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंbahut khoob sundar prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना धीरेन्दर जी
जवाब देंहटाएंरेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
जवाब देंहटाएंमत गँवाना कपट और छल के लिए !
बहुत सुन्दर...
धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए.
जवाब देंहटाएं------------
बेहतरीन रचना
रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
जवाब देंहटाएंमत गँवाना कपट और छल के लिए !
बहुत सुन्दर...
खुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए,
जवाब देंहटाएंबचा के कर रख प्यारे कल के लिए !------------सही नसीहत
रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
मत गँवाना कपट और छल के लिए !----प्रेरणा दायक
माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
है यही बीज लेकिन फसल के लिए !-----बेशकीमती शेर
जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
अर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !-----शानदार भाव
क्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
धीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए !----खाली हाथ ही जाना है यही जीवन की अंतिम सच्चाई है ---आदरणीय धीर जी ये प्रस्तुति मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद आई दिली दाद कबूल कीजिये
जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
जवाब देंहटाएंअर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !
काश सब ऐसा सोचे और ऐसा आचरण भी करे.
सुंदर प्रस्तुति.
माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
जवाब देंहटाएंहै यही बीज लेकिन फसल के लिए ..
प्यार तो अपने आप में ईश्वर है फिर अधूरा कैसे ... येही निर्माण है ...
जन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
जवाब देंहटाएंअर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए
bahut hi prabhavshali panktiyan ......abhar
wah bahut sundar bhav darshan, achhi prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक भावों से युक्त रचना...लब्ज की जगह शायद लफ़्ज होना चाहिए.
जवाब देंहटाएंक्या था लाया वहाँ से जो ले जाएगा ,
जवाब देंहटाएंधीर सब कुछ लुटा दे अमन के लिए
बहुत बढ़िया !
प्रेरणादायक पंक्तियाँ......बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंvery nice..
जवाब देंहटाएंजन्म मानव का फिर से मिलेगा नहीं ,
जवाब देंहटाएंअर्पण करदे ये जीवन निर्बल के लिए !-----शानदार भाव
माना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
जवाब देंहटाएंहै यही बीज लेकिन फसल के लिए !
वाह क्या बात है ...
ब्लॉग पर मेरी मेरी पहली पोस्ट : : माँ
(नया नया ब्लॉगर हूँ तो ...आपकी सहायता की महती आवश्यकता है .. अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।)
Wah wah kya bat hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.,बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंLajavab rachana. Nisha
जवाब देंहटाएं'है यही बीज लेकिन फसल के लिए' ऐसी सकारात्मक सोच से भरी रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंरेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है ,
जवाब देंहटाएंमत गँवाना कपट और छल के लिए !----सुन्दर ग़ज़ल...बधाई
bhatakte jivan ko ek disha deti huyee prerak rchna.
जवाब देंहटाएंbhatakte jivan ko ek disha deti huyee prerak rchna.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.,बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमाना प्यार का लब्ज़ है अधूरा सही ,
जवाब देंहटाएंहै यही बीज लेकिन फसल के लिए !
nice lines