रंग
धीरे-धीरे
शांत रहकर
अपना प्रभाव छोड़ते है,
वे नही,
चीखते / चिल्लाते
ज़रा भी
रंगों को बिखरा हुआ
देखकर हमे,
लगता जरूर है ऐसा!
कि इनके बीच
मचा हुआ है हाहाकार!
इनमे से, कोई
चीख रहा है
कोई खीझ रहा है
किन्तु ऐसा होता नही है
रंग
शांत रहकर
धीरे-धीरे
अपना प्रभाव छोड़ते है,
हम पर,
वे उतरते ही चले जाते है
ह्रदय की गहराइयों में
दबे पाँव,
चुपचाप...
dheerendra singh bhadauriya...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबिना शोर शराबे के अपना रंग दिखाती रचना ...बढ़िया ....धीर साहब ..
जवाब देंहटाएंनीले हाथी पर चढ़ा, देखो माया मित्र ।
जवाब देंहटाएंचली तिरंगे पर लटक, दल बल सहित विचित्र ।
दल बल सहित विचित्र, हरा से भगवा हारे ।
मिटता लाल निशान, करे तृण-मूल किनारे ।
रंग रूप हैं भिन्न, खिन्न है सभी कबीले ।
धानी पीला-श्वेत, बैगनी काले नीले ॥
उत्कृष्ट प्रस्तुति ,.बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंअपने रंग में, अपने मन की कहते रहते।
जवाब देंहटाएंवाह आदरणीय रंगों की सुन्दरता से रंग दिया आपने बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसच में सुंदर रंगो से सरोबार करती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,आभार.
जवाब देंहटाएंमुझे होली के रंगों की ,
जवाब देंहटाएंनए रंग में प्रस्तुति भली लगी .... :))
सादर !!
bahut sundar prastuti ...
जवाब देंहटाएंमेरा लिखा एवं गाया हुआ पहला भजन ..आपकी प्रतिक्रिया चाहती हूँ ब्लॉग पर आपका स्वागत है
Os ki boond: गिरधर से पयोधर...
रंग शांत रहकर धीरे-धीरे अपना प्रभाव छोड़ते है, ठीक उसी तरह आप भी हिंदी ब्लॉग जगत में अपना प्रभाव छोड़ रहें है। बेहतरीन रचना। :)
जवाब देंहटाएंनये लेख :- एक नया ब्लॉग एग्रीगेटर (संकलक) ; ब्लॉगवार्ता।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विशेष : रमन प्रभाव।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है|
जवाब देंहटाएंरंग
जवाब देंहटाएंधीरे-धीरे
शांत रहकर
अपना प्रभाव छोड़ते है, हैं
वे नही,
चीखते / चिल्लाते
ज़रा भी
रंगों को बिखरा हुआ
देखकर हमे,
लगता जरूर है ऐसा!
कि इनके बीच
मचा हुआ है हाहाकार!
इनमे से, कोई।।।इनमें ....
चीख रहा है
कोई खीझ रहा है
किन्तु ऐसा होता नही है
रंग
शांत रहकर
धीरे-धीरे
अपना प्रभाव छोड़ते है,हैं .......
हम पर,
वे उतरते ही चले जाते है हैं .....
ह्रदय की गहराइयों में
दबे पाँव,
चुपचाप...
धीरेन्द्र भाई बहुत सुन्दर रचना है .बधाई
रंगां-रंग परिचय रंगों का .....
जवाब देंहटाएंरंगों का अपना ही महत्व है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना है |
जवाब देंहटाएंआशा
जवाब देंहटाएंहर रंग का अलग प्रभाव है -सुन्दर प्रस्तुति
latest post होली
बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
रंग के बिना जीवन नीरस ...बेजान .....सुन सको तो सुनो ...रंगों की जुबान ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार सौतेली माँ की ही बुराई :सौतेले बाप का जिक्र नहीं मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ .
जवाब देंहटाएंवाकई, बहुत सुन्दर वर्णन किया है रंगों का आपने ....
जवाब देंहटाएंशानदार गुरूजी |
जवाब देंहटाएंरंग दिखाती बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंरंगों के माध्यम से अच्छी सीख देती कविता !
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगे रंगों में रंगी सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब.....!!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..
जवाब देंहटाएंओर कुछ रंग तो गहरा प्रभाव भी छोड़ते हैं .. उतरते नहीं उतरता ...
जवाब देंहटाएंप्रेम भी तो ऐसा ही एक रंग है ..
बहुत बेहतर sir
जवाब देंहटाएंhttp://www.saadarblogaste.in/2013/03/15.html
बहुत बढ़िया सर !
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह !
रंगों को प्रतीक बनाकर आपसी प्रेम सद्भाव की प्रभावकारी शिक्षा देता हुआ एक अनमोल रचना, व्यंजन शक्ति का रोचक प्रयोग..... आभार
जवाब देंहटाएंरंगों की कलात्मक एवं कल्पना से भरी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रंग चुपचाप रहकर प्रभाव छोड़ते हैं, जो लोग शोर मचाते हैं, कम ही प्रभाव छोड़ पाते हैं.
जवाब देंहटाएंKAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंक्या रंग बिखेरे हैं सौम्यता से शालीनता से ।
जवाब देंहटाएंबहुत शालीनता से सुन्दर वर्णन ....... रंगों का ....क्या रंग बिखेरे हैं ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रंग बिखेरे हैं आपकी इस रचना ने .....
जवाब देंहटाएंVery Nice sir ji. Like It . superb.
जवाब देंहटाएंरंगों की नई परिभाषा...सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...
जवाब देंहटाएंरंग में सराबोर!!
जवाब देंहटाएंवाह ...रंगों को भी जुबां दे दी है आपने
जवाब देंहटाएंहम पर,
जवाब देंहटाएंवे उतरते ही चले जाते है हैं .....
ह्रदय की गहराइयों में
दबे पाँव,
चुपचाप...
आपने होली के पहले ही जीवन को रंगों से सराबोर कर दिया .
रंगों को जीवंत करती बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंरंगों की कलात्मक एवं कल्पना से भरी प्रस्तुति. ,,,,,,
जवाब देंहटाएंरंग नहीं इंसान हो गए ,
जवाब देंहटाएंसुंदर रंग और भाव ....
साभार..........
बहुत गहन बात कही है ....
जवाब देंहटाएंआदरणीय बहुत सुन्दर और सच बात लिखी आपने! रंगों की तरह यह भी धीरे धीरे मन में गहरे उतरते चली गयी और आपकी रचना ने कब्जा कर लिया मन पर किसी गहरे रंग की तरह। अब वही छायी है। मेरी बधाई स्वीकारें!
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें!
http://voice-brijesh.blogspot.com