मेरे पिता स्व०श्री - भानु प्रताप सिंह जी भदौरिया,
पिता
सरसी छंद
(१६,११, कुल २७मात्राए,पदांत में दीर्घ लघु )
चलते-चलते कभी न थकते,ऐसे होते पाँव!
पिता ही सभी को देते है,बरगद जैसी छाँव!!
परिश्रम करते रहते दिनभर,कभी न थकता हाथ!
कोई नही दे सकता कभी, पापा जैसा साथ!!
बच्चो के सुख-दुःख की खातिर,दिन देखें न रात!
हरदम तैयार खड़ें रहते,देने को सौगात!!
पिता नही है जिनके पूछे,उनके दिल का हाल!
नयन भीग जाते है उनके,हो जाते बेहाल!!
हमारे बीच में नही पिता,तब आया है ज्ञान!
हर पग पर आशीर्वाद मिले,चाहे हर संतान!!
चलते-चलते कभी न थकते,ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता ही सभी को देते है,बरगद जैसी छाँव!!
विनम्र नमन ... बहुत सुंदर पंक्तियाँ है
चलते-चलते कभी न थकते, ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता देत संतान को, बरगद जैसी छाँव!!
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आपकी इस पोस्ट का लिंक आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी है!
पिता को समर्पित शानदार रचना |
जवाब देंहटाएंबच्चो के सुख-दुःख की खातिर,दिन देखें न रात!
हरदम तैयार खड़ें रहते,देने को सौगात!!
@ पर आजकल में नालायक बच्चों ने तो नारा दे रखा है पितृ सत्ता धोखा है धक्का मारो मौका है !!
BEAD BHAVPURN AUR SAKARATMK PRASTUTI चलते-चलते कभी न थकते, ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता देत संतान को, बरगद जैसी छाँव!!
कोई नही दे सकता कभी, पापा जैसा साथ!!
जवाब देंहटाएं---------------------------------------------
बिलकुल सही बात ... बढ़िया ..
श्रद्धा पूर्वक नमन पिता जी को !!
जवाब देंहटाएंबच्चो के सुख-दुःख की खातिर,दिन देखें न रात!
जवाब देंहटाएंहरदम तैयार खड़ें रहते,देने को सौगात!!
पिता जी को समर्पित बेहतरीन रचना ...आभार
चलते-चलते कभी न थकते, ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता देत संतान को, बरगद जैसी छाँव!!
पिता नही है जिनके पूछे,उनके दिल का हाल!
जवाब देंहटाएंनयन भीग जाते है उनके,हो जाते बेहाल!!
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...
Really I miss him tooo much ..:(
चलते-चलते कभी न थकते,ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता ही सभी को देते है,बरगद जैसी छाँव!!
पिता ही पुरे परिवार का बरगत का पेड़ है-- लाजवाब अभिव्यक्ति !
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सादर नमन -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय ||
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
अक्सर वक़्त गुजर जाने के बाद अपनी थकान से बहुत कुछ समझ में आता है
जवाब देंहटाएंपिता का आशीष सदैव बना रहता है..उनको मेरा नमन..
जवाब देंहटाएंचलते-चलते कभी न थकते,ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता ही सभी को देते है,बरगद जैसी छाँव!!
bahut sundar dohe ....
shubhkamnayen .
हमारे बीच में नही पिता,तब आया है ज्ञान!
जवाब देंहटाएंहर पग पर आशीर्वाद मिले,चाहे हर संतान!!
....बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर रचना पिता के निस्स्वार्थ प्रेम को रूपायित करती -
जवाब देंहटाएंहमारे बीच में नही पिता,तब आया है ज्ञान!
हर पग पर आशीर्वाद मिले,चाहे हर संतान!!
इस पद को छोड़ सभी में "है" के स्थान पर" हैं "कर लें .रचना का सौंदर्य बढ़ जाएगा .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
बहुत भावुक कर दिया आपने ...सच .... पिता का प्रेम तो आकाश की तरह है ....हर समय सर पर छाया करता जैसा
जवाब देंहटाएंसत्य लिखा है... पिता की छाया मात्र से हमारे अशांत मन को भी शांती मिल जाती है।
जवाब देंहटाएंबहुत भावुक प्रस्तुति-NEW POST- 1.THOKAR PE ZAMANA HOGA, AUR 2.
जवाब देंहटाएंVIZA SANG BOFORS BHI LAYEEHU
bahut hi sundar abhiwykti hai ...sundar rachna
जवाब देंहटाएंसत्य लिखा है सर.... सार्थक रचना के लिए आपका आभार।
जवाब देंहटाएंचलते-चलते कभी न थकते,ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता ही सभी को देते है,बरगद जैसी छाँव!!
विनम्र नमन ... बहुत सुंदर पंक्तियाँ है
परिश्रम करते रहते दिनभर,कभी न थकता हाथ!
जवाब देंहटाएंकोई नही दे सकता कभी, पापा जैसा साथ!!
बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ . बाबूजी को सादर नमन
खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंसच में पिता का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान होता है सबके लिए ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
सादर !
बहुत भावभीनी रचना।
जवाब देंहटाएंनमन।
.बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही सुन्दर दोहे लिखे है आपने. पिता के लिए अनमोल दोहे
जवाब देंहटाएंसादर
नीरज'नीर'
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,सादर नमन.
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी आपने शायद ध्यान नहीं दिया, मैने पहले ही आपका ब्लॉग ज्वाइन किया हुआ है.
जवाब देंहटाएंनीरज 'नीर'
अपनी इस रचना पर आपकी तवज्जो चाहूँगा
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): सुन्दर सी एक बाला रे.
पिता को नमन..सुंदर भाव !
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने :- कोई नहीं दे सकता कभी, पापा जैसा साथ !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता मन को छू गई।
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पिता जी को सादर नमन.....सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही.
जवाब देंहटाएंआप ने अपने पिताजी को भावों की बहुत सुन्दर काव्यांजलि दी है.
हमारा भी सादर नमन .
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंश्रद्धापूर्वक नमन....
बहुत ही शानदार रचना। इससे पता चलता है कि आप अपने पिताजी से कितना प्यार करते हैं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंनये लेख :- एक नया ब्लॉग एग्रीगेटर (संकलक) ब्लॉगवार्ता।
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चलते-चलते कभी न थकते,ऐसे होते पाँव!
जवाब देंहटाएंपिता ही सभी को देते है,बरगद जैसी छाँव!!
सुन्दर श्रद्धांजलि
सच मे पिता का साथ वटवृक्ष के समान ही होता है .... सादर नमन्
जवाब देंहटाएंबड़े पेड़ की छाँव सा पिता हृदय..
जवाब देंहटाएंचाह तो सभी की होती है लेकिन पाने में सफलता सभी नहीं पातें.
जवाब देंहटाएंनमन पिता जी को. सुंदर प्रस्तुति.
आदरणीय पिता जी को विन्रम नमन.... आदरणीय आपने पिता श्री को बहुत ही सुन्दर उपहार भेंट किया है वे अवश्य प्रसन्न हुए होंगे. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई
जवाब देंहटाएंबच्चो के सुख-दुःख की खातिर,दिन देखें न रात!
जवाब देंहटाएंहरदम तैयार खड़ें रहते,देने को सौगात!!..
बरगद से इता की छाँव में जीवन कितना फैला फूलता है सभी जानते मानते हैं ... उस पिता को समर्र्पित दोहे बहुत ही कमाल हैं ...
पिता जी को सादर नमन। अत्यन्त सार्थक।
जवाब देंहटाएंsanskaron ko jeevant karanewali ak mahan rachanna rachanakar ki lekhani ko mera naman sweekaren Bhadauriya ji .
जवाब देंहटाएंbahut sundar ..pitaji ki photo bahut young age ki hai ..kaise kaise khoobsoorat chehre kaal ki bhent chadh gye ...mn jane kaisa kaisa ho aaya hai...
जवाब देंहटाएंह्रदय से उपजे सरसी छंद में पिताश्री के लिए सच्ची काव्यांजलि , नमन...
जवाब देंहटाएंऐसे पिता के प्रति श्रधा और नमन |
जवाब देंहटाएंएक-एक छंद मन को छू लेने वाला ,
जवाब देंहटाएंजाने के बाद अपने बहुत याद आते हैं
पिताश्री को नमन ..........
साभार
पिता के लिये बहुत सुंदर कविता । पिताजी की याद बहुत आई ।
जवाब देंहटाएंमन को छूती पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंसादर नमन
वाह खूब
जवाब देंहटाएंbht khub apki lekhni ko nm
जवाब देंहटाएंn vandan-------------anil uphar