गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

रिश्वत लिए वगैर...

रिश्वत लिए वगैर...

टिप्पणी नही करेगें अब बिना लिये वगैर,
हम दाद नही देगें  , कुछ खाए पिए वगैर!

टिप्पणी विहीन रचना को श्रीहीन समझिए,
त्यौहार मुहर्रम का हो  , जैसे ताजिऐ बगैर!

लेख लिख  टुकड़े में कर कविता है बनाते
कविताए नही चलेगी,तुकबंदी किये बगैर 

क्या  हो रहा आज, कविता के नाम पर
गजलें नही चलेंगी बिना काफिऐ बगैर!

उत्तर की प्रतीक्षा में , है एक प्रश्न यह भी
कवि क्यों नही सुनते,कविता पिए बगैर!

जीवन  के हर क्षेत्र में रिश्वत है जरूरी
फिर रहे धीर क्यों रिश्वत लिये बगैर!


DHEERENDRA,"dheer"

63 टिप्‍पणियां:

  1. कहिये धीर साहब ... मै आपको रिश्वत में क्या दूं ?

    जवाब देंहटाएं
  2. चलिए कोई बात नहीं पहले तो टिप्पणी हम कर रहें हैं तो आप हमको रिश्वत दे दीजिए बाद में हम आपको दे देंगे !!

    जवाब देंहटाएं
  3. बिलकुल सही कहा अपने!
    जब तक किसी के ब्लॉग पर जाकर टिप्पणी न करो तबतक कोई प्रतिक्रिया ही नहीं आती !

    जवाब देंहटाएं
  4. टिप्पणी नही करेगें अब बिना लिये वगैर,
    हम दाद नही देगें , कुछ खाए पिए वगैर!
    majedar rachna :)

    जवाब देंहटाएं
  5. sundar vyang aur kamobes ak hakikat bhi,NEW POST "Budhi ma ke aanchal..."

    जवाब देंहटाएं
  6. हृष्ट-पुष्ट रिश्वत रखे, बम बम रिश्वत खोर |
    देते लेते निकलते, चन्दा चोंच चकोर |
    चन्दा चोंच चकोर, चतुर चुटकियाँ बजाते |
    काम निकलता देख, रोक खुद को ना पाते |
    बढ़ता मध्य-प्रदेश, अरब-पति नौकर पाए |
    लेना देना सत्य, नहीं रविकर शरमाये ||

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रिश्वत में ताकत बड़ी,कठिन काज हों सिद्ध
      जो इसका सेवन करें , सदा रहें समृद्ध
      सदा रहें समृद्ध , कई पीढ़ी को तारें
      हजम करें तर माल , बिना ही लिये डकारें
      किंतु मित्र यह कला,नहीं सबकी किस्मत में
      कठिन काज हों सिद्ध,बड़ी ताकत रिश्वत में ||

      हटाएं
  7. टिप्पणी नही करेगें अब बिना लिये वगैर,
    हम दाद नही देगें, कुछ खाए पिए वगैर!

    टिप्पणी दे या ना दे खिलाने पिलाने में कोई कसर नहीं होनी चाहिए.

    सुंदर व्यंग.

    जवाब देंहटाएं
  8. बताइये धीर जी क्या ख़िदमत करूँ जो आप मेरी टिप्पणी स्वीकार करेंगे बस दाद देती हूँ कबूल कीजिये बहुत मजेदार प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. जीवन के हर क्षेत्र में रिश्वत है जरूरी
    फिर रहे धीर क्यों रिश्वत लिये बगैर!
    Hameshaa ki tarah Saarthak Rachanaa !!

    जीवन के हर क्षेत्र में रिश्वत है nahi जरूरी
    फिर रहे धीर Adhir क्यों रिश्वत लिये बगैर ....

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह... हर जगह रिश्वत का बोलबाला है... बहुत बढ़िया रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. लेन देन के बिना कहाँ काम चलता है :-)

    बढ़िया करारी रचना..
    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  12. :):) आपने तो खुले आम धमकी ही दे डाली :):) बढ़िया कटाक्ष / सटीक सच

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत खूब...यहाँ भी रिश्वत का बोलबाला ...क्या बात है..अच्छा व्यंग्य!

    जवाब देंहटाएं
  14. सटीक व्यंग्य ! शानदार रचना !

    जवाब देंहटाएं
  15. लेख लिख टुकड़े में कर कविता है बनाते
    कविताए नही चलेगी,तुकबंदी किये बगैर

    बहुत सुंदर ...

    जवाब देंहटाएं
  16. त्यौहार मुहर्रम का हो , जैसे ताजिऐ बगैर!nice

    जवाब देंहटाएं
  17. इस हाथ दे उस हाथ ले .बार्टर सिस्टम चलता है ब्लॉग जगत में .हम तो एक के साथ एक फ्री करके आते हैं .आप एक करो हम दो टिपण्णी करते हैं .


    कई महानता का लिहाफ ओढ़े रहतें हैं इन्हें नहीं पता यहाँ -न कोई रहा है न कोई रहेगा ....किसी के घर नहीं आते जाते ये लोग ,घर घुस्सू बने रहतें हैं .हम अपनी टिपियाने की आदत से मजबूर ये न

    टिपियाने की जिद पे कायम हैं .

    जवाब देंहटाएं
  18. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

    जवाब देंहटाएं
  19. अब आ गए हैं पढ़ लिए हैं छक भी लिए हैं
    जाएँगे नहीं अब तो टिप्पी दिये बगैर...

    जवाब देंहटाएं
  20. जिनको रदीफ़ रुक्न काफिये का इल्म है
    वो ही गजल कहें खुशी खुशी हिचक बगैर

    जवाब देंहटाएं
  21. लेख लिख टुकड़े में कर कविता है बनाते
    कविताए नही चलेगी,तुकबंदी किये बगैर

    बहुत खूब !



    जवाब देंहटाएं
  22. इस टिप्पणी के लिए कितनी राशि तय है ? :)

    जवाब देंहटाएं
  23. जीवन के हर क्षेत्र में रिश्वत है जरूरी
    फिर रहे धीर क्यों रिश्वत लिये बगैर!
    हा-हा-हा।।। धीरेन्द्र जी खूब रिश्वत खाइए और सेहत बनाइये :)

    जवाब देंहटाएं
  24. आपकी रिश्वत हाजिर है सर, अब हमें भी देते रहें....... रिश्वत
    क्या बात है जी वाकई खाए पिए बिन कोई बात नहीं,
    पहले पेट पूजा फिर काम दूजा

    गुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''

    जवाब देंहटाएं
  25. haha
    bahut khub...laalach, rishwat k aadi ho gaye hain sab sahi mein...
    ye panktiyan khaas pasand aayi, karara vyang lagaya hai:
    लेख लिख टुकड़े में कर कविता है बनाते
    कविताए नही चलेगी,तुकबंदी किये बगैर

    जवाब देंहटाएं
  26. अरे आप टिप्पणी दें न दे ...हम वैसे ही टिप्पणी दे देंगे ...:)

    जवाब देंहटाएं
  27. वाह सर वाह एक नए और अलग अंदाज में लिखी खूबसूरत रचना हार्दिक बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  28. दोस्तों, अब और क्या तौहीन होगी देश की ,
    घूसखोरी के हुक पे लटकी चेतना इस देस की
    टिप्पड़ी है बिक रही टिप्पड़ी के भाव पर ***दम है बेशक सर की बात में

    जवाब देंहटाएं
  29. धीरेन्द्र जी, रिश्वत की बात यहाँ भी...कविता को तो बख्शिये..

    जवाब देंहटाएं
  30. उत्तर की प्रतीक्षा में , है एक प्रश्न यह भी
    कवि क्यों नही सुनते,कविता पिए बगैर!
    बहुत खूब . सुन्दर प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं
  31. रिश्वत पर शानदार व्यंग करती कविता।

    मेरी नई पोस्ट "जन्म दिवस : डॉ. जाकिर हुसैन" को भी पढ़े। धन्यवाद।
    ब्लॉग पता :- gyaan-sansaar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  32. उत्तर की प्रतीक्षा में , है एक प्रश्न यह भी
    कवि क्यों नही सुनते,कविता पिए बगैर.....खूब

    जवाब देंहटाएं

  33. उत्तर की प्रतीक्षा में , है एक प्रश्न यह भी
    कवि क्यों नही सुनते,कविता पिए बगैर!
    निःशब्द करती रचना

    जवाब देंहटाएं
  34. इस रचना के टिप्पड़ी के लिए शब्द नही,लाजबाब कर दिए,बहुर ही उत्कृष्ट कोटि की रचना।

    जवाब देंहटाएं
  35. टिप्पणी करना या न करना पाठक का विशेषाधिकार होता है। टिप्पणी रहित ब्लॉग पोस्ट का आशय नहीं होता कि वह स्तरहीन है अथवा पसंद नहीं की गयी।


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  36. श्रेष्ठ कृति को प्रशंसा की आवश्यकता नहीं होती,
    प्रशंसा को श्रेष्ठ कृति की आवश्यकता होती है.....

    जवाब देंहटाएं
  37. टिप्पणी नही करेगें अब बिना लिये वगैर,
    हम दाद नही देगें , कुछ खाए पिए वगैर!
    ..बिना ईंधन के गाडी चले भला कैसे!
    बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं
  38. लेख लिख टुकड़े में कर कविता है बनाते
    कविताए नही चलेगी,तुकबंदी किये बगैर

    http://sarikkhan.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  39. तुम भी ले लो हम भी ले-ले
    मिल बाट के सब कोई खा ले।।
    टेबुल ऊपर क्या हाथ मिलाना
    निचे खाली उपयोग में लाना।।
    वो दिल ही क्या जो न डोला
    यु दीखते है सब कोई भोला।।
    ये चाहत सब नहीं बताते
    लक्ष्मी से भला कौन शरमाते।।
    गुरु धीर की ये गंभीर है वाणी
    उल्टा समझे तो फिर पछतानी।।

    जवाब देंहटाएं
  40. बहुत करारा किन्तु सत्य !!

    जवाब देंहटाएं
  41. हम आ गये, पढ़ लिये, टिप्पणी किये बगैर
    जा सकते नहीं हम मगर टिप्पणी किये बगैर।

    छा ही जाते हैं जो महफिल में बार-बार
    वे और खुशनसीब हैं टिप्पणी किये बगैर।

    जवाब देंहटाएं
  42. क्या बात है सर ... टिप्पणी की महिमा अपरम्पार ...

    जवाब देंहटाएं
  43. वाह धीरेन्द्र जी वाह.........बहुत ही बढिया ।

    जवाब देंहटाएं
  44. जनाब रिश्वत लेकर तो दुनिया में सभी काम करते हैं | असल मज़ा तो तब हो जब ये लेन देन का रिवाज ख़तम हो जायेगा और सब निश्चल भाव से एक दुसरे की मदद करना आरम्भ कर देंगे | टिपण्णी के बदले में टिपण्णी करने में कैसा मज़ा | बात तो तब हो जब कोई पोस्ट पसंद आए और बिना किसी लालच के ही उस पर सहज भाव से टिपण्णी दी जाये | ऐसा मेरा मानना है ज़रूर नहीं हर एक यही सोचता हो | आपकी रचना पूर्ण रूप से आज के परिवेश के हिसाब से सार्थक है | बहुत सुन्दर | आभार

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  45. जब सब ले ही रहे है तो आप का भी हक़ बनता है ...सुंदर व्यंग्यात्मक पद

    जवाब देंहटाएं
  46. रिश्वत लिए बिना, होय न कोई काज,
    बिना रिश्वत दिए, मनायें अपनी खैर !!

    रिश्वत शान बढ़ाये, रिश्वत का है राज,
    कैसे कमेंट करेंगे, रिश्वत लिए बगैर !!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,