नवगीत,
बीत गये चार दिन तलाश के
अब आये है दिन पलाश के,
वही गौरैया -
घाट की पनिहारिने,
वही शाम झुटपटी
हर्षित मन किया बहार ने,
वही मायावी साल
ज्यों के त्यों कल आज,
सब कुछ वही-वही
आन-बान साज-बाज,
केशरिया पगड़ी है झाड़ों की
खूब बन आई है बाड़ों की,
खेतों-खेत सरसों फूली है
प्रौढ़ों ने भी अपनी उमर भूली है,
कहाँ गये महल बने
जो महज ताश के,
बीत गये चार दिन दिलाश के
अब आये है दिन पलाश के...
अब आये है दिन पलाश के,
वही गौरैया -
घाट की पनिहारिने,
वही शाम झुटपटी
हर्षित मन किया बहार ने,
वही मायावी साल
ज्यों के त्यों कल आज,
सब कुछ वही-वही
आन-बान साज-बाज,
केशरिया पगड़ी है झाड़ों की
खूब बन आई है बाड़ों की,
खेतों-खेत सरसों फूली है
प्रौढ़ों ने भी अपनी उमर भूली है,
कहाँ गये महल बने
जो महज ताश के,
बीत गये चार दिन दिलाश के
अब आये है दिन पलाश के...
सुन्दर रचना। पढ़कर दिल खुश हो गया।
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी नयी कविता "प्रकृति की गोद में" को भी पढ़े।
ब्लॉग यूआरएल :- kavitasankalan.blogspot.com
बहुत सुन्दर नवगीत पढ़कर मन प्रसन्न हो गया बिलकुल पलाश की तरह :-)
जवाब देंहटाएं---सादर
वही गोरैया
जवाब देंहटाएंवही तो है पनघट
वही पनिहारिने
झुरमुटी शाम वही
किसने हवाओं में
आज केसर बिखराई ?
मन हुआ पलाश ...
बहुत सुंदर कुछ नया सा स्वाद वही में !
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत....
जवाब देंहटाएंबड़े भाते हैं दिन पलाश के...दिन हर्षोल्लास के...
सादर
अनु
शानदार रचना
जवाब देंहटाएंबसंत ऋतु के आगमन सी ताजातरीन रचना.... बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंबासन्ती परिधान पहने मौसम आ गया।
जवाब देंहटाएंसुन्दर नवगीत, बसंत के आगमन पर ********बीत गये चार दिन दिलाश के
जवाब देंहटाएंअब आये है दिन पलाश के...
बहुत अच्छी और भाव पूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता एक नये परिधान में,आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंपलाश के दिन लौट आये हैं..खेतों में सरसों पीली..बाग मुस्कुराये हैं..सुंदर कविता..
जवाब देंहटाएंसुन्दर नवगीत ... बहार छाई हो जैसे ...
जवाब देंहटाएंpalash,sarson, tesoo, naye naye rng leke aaye hain
जवाब देंहटाएंvasant ke swagat men aapne bhee to nav geet gaye hain.
बहारे फिर आएँगी........सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंगौर कीजिएगा....
गुज़ारिश : ''........तुम बदल गये हो..........''
vary nice ...
जवाब देंहटाएंBehatarin rachana
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व् .सराहनीय अभिव्यक्ति अफज़ल गुरु आतंकवादी था कश्मीरी या कोई और नहीं ..... आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंshabdon mein bahaar aa gayi...bahut sundar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पलाश गीत !! सुंदर भावनायें !! सुंदर शब्द !! सुंदर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें.
वेदिका
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत है .केसरिया और दिलास कर लें दिलास /दिलासा
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
जवाब देंहटाएंअच्छे बिम्बों से सजा सुन्दर नवगीत!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब... :)
जवाब देंहटाएंसुंदर भावनायें सुन्दर नवगीत, बसंत के आगमन पर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति सुंदर भावनायें मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
जवाब देंहटाएंदिग-दिगंत बौराया | मादक बसंत आया ||
जवाब देंहटाएंतोते सदा पुकारे | मैना मन दुत्कारे ||
काली कोयल कूके | लोग होलिका फूंके ||
सरसों पीली फूली | शीत बची मामूली ||
भौरां मद्धिम गाये | तितली मन बहलाए ||
भाग्य हमारे जागे | गर्म वस्त्र सब त्यागे ||
सुन्दर रचना नवगीत के रूप में पढने को मिली .............
जवाब देंहटाएंनवगीत संग महक उठे है दिन पलाश के...
जवाब देंहटाएंवसंतागमन की बहुत-बहुत शुभकामनायें...
नवगीत से बसंत आया गया ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
बीत गये चार दिन दिलाश के
जवाब देंहटाएंअब आये है दिन पलाश के...सुन्दर नवगीत, बसंत के आगमन पर
बहुत ही सुन्दर नवगीत...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
:-)
सुन्दर बिम्बों से सजा नवगीत...
जवाब देंहटाएंखेतों-खेत सरसों फूली है
प्रौढ़ों ने भी अपनी उमर भूली है
;)
क्या बात है आदरणीय धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी !
सुंदर नवगीत के लिए बधाई !!
बसंत पंचमी एवं
आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
राजेन्द्र स्वर्णकार
Very Nice Sir jii.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत वसंत के स्वागत
जवाब देंहटाएंमें बधाई और शुभकामनाएं ............
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गीत
जवाब देंहटाएंआभार ,,,रविकर जी,,,,
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना
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