कुछ तरस खाइये ,
देश की हालत पर ,कुछ तरस खाइये
ओहदों की आड़ से मत देश भुनाइये,
तहजीब सलीके का असली अर्थ क्या
नई सदी में क्या किया हमको बताइये,
ठहरा हुआ अन्धेरा खुद कापने लगे
ऐसी ही नई चाह की शमा जलाइये,
मुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
क़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
इन्साफ का तराजू कभी डोल न सके
क़ानून और इन्साफ का भरोसा दिलाइये,
खुद को देखता जो फ़रिश्ते की शक्ल में
जाकर के उसे आईने में चेहरा दिखाइये,
देश की हालत पर ,कुछ तरस खाइये
ओहदों की आड़ से मत देश भुनाइये,
तहजीब सलीके का असली अर्थ क्या
नई सदी में क्या किया हमको बताइये,
ठहरा हुआ अन्धेरा खुद कापने लगे
ऐसी ही नई चाह की शमा जलाइये,
मुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
क़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
इन्साफ का तराजू कभी डोल न सके
क़ानून और इन्साफ का भरोसा दिलाइये,
खुद को देखता जो फ़रिश्ते की शक्ल में
जाकर के उसे आईने में चेहरा दिखाइये,
जिसने दी आदमी को हर वक्त ठोकरें
धीरे से"धीर"उसको भी वाकिफ कराइये,
धीरेन्द्र सिंह"धीर"
बेहतरीन और मौजू ...
जवाब देंहटाएंकुछ तरस खाइये , गद्दार नेताओं मेरे देश को तो छोड़ जाइए। अच्छी कविता :)
जवाब देंहटाएंनया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर
बेहतरीन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंमुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
बहुत सही कहा धीर जी ।
उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइन्साफ का तराजू कभी डोल न सके
जवाब देंहटाएंbehatareen ,talkh sacchayee aaj ki क़ानून और इन्साफ का भरोसा दिलाइये,
खुद को देखता जो फ़रिश्ते की शक्ल में
जाकर के उसे आईने में चेहरा दिखाइये,
जिसने दी आदमी को हर वक्त ठोकरें
धीरे से"धीर"उसको भी वाकिफ कराइये,new posts- 1,batate bharat ho,2.bada khudgarz zamana hoga
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार26/2/13 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे | बेहतरीन अभीव्यक्ति | आभार |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
इन्साफ का तराजू कभी डोल न सके
जवाब देंहटाएंक़ानून और इन्साफ का भरोसा दिलाइये,
उम्दा प्रस्तुति
waah bahut badhiya ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ............
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कटाक्ष हैं .....बहुत आनंद आया पढने में ......
जवाब देंहटाएंसूचना...
जवाब देंहटाएंआप की ये रचना शुकरवार यानी 01-03-2013 को http://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जा रही है।
ठहरा हुआ अन्धेरा खुद कापने लगे
जवाब देंहटाएंऐसी ही नई चाह की शमा जलाइये,
बेहतरीन प्रस्तुति
तरस तो उनकी मानसिकता पर आता जो देश से गद्दारी कर रहे है क्या उनको मालूम नहीं कि उनका अंजाम क्या है .......बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय ||
आब देश को जागना होगा,बहुत बढियाँ कटाक्ष भरा उद्वेगना.
जवाब देंहटाएंमुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
सुपर शेर है। पर गहरी नींद में सोने वालों को जगाने की कोशिश है।
Sateek Abhivykti.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसचाई से रूबरू कराती प्रस्तुती सार्थक प्रस्तुती बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंराम नाम जपना पराया माल अपना .... दो पैसे के लिए जान लेना
जवाब देंहटाएंकौन तरस खायेगा - फुर्सत कहाँ है !!!
मुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
वाह लाजवाब गज़ल ... नायाब शेर ...
मुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
...बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति...
भैंस के आगे बीन बजाना ही होगा .सब बहरे है .उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंnew postक्षणिकाएँ
satik abhivyakti
जवाब देंहटाएंशानदार अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल.....
जवाब देंहटाएंमुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
बहुत सही कहा ....
बेपेंदी के लोटे को और कितना लुढ़काइये
जवाब देंहटाएंइस देव से उस देव तक, पाँव कही जमाइए
My recent post.......if you like
http://shikhagupta83.blogspot.in/2013/02/blog-post_26.html
आज के ज़माने के हालातों का आइना है यह गज़ल.
जवाब देंहटाएंक्या बात है ,बेहतरीन पंक्तियाँ संवेदनशील सृजन ,हालात से सरोकार रखती हुयी .....
जवाब देंहटाएंsamvedansheel abhivyakti .badhai .
जवाब देंहटाएंसटीक!!
जवाब देंहटाएंमुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
बहुत सुन्दर, बेहतरीन !
"खुद को देखता जो फ़रिश्ते की शक्ल में
जवाब देंहटाएंजाकर के उसे आईने में चेहरा दिखाइये."................
बहुत मुश्किल है बिल्ली के गले में घंटी बांधना .....
उपरोक्त सुंदर प्रस्तुति हेतु आभार,
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंSateek Abhivykti.....
जवाब देंहटाएंलाजवाब आदरणीय सुन्दर व्यंग कसा है. बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंखुद को देखता जो फ़रिश्ते की शक्ल में
जवाब देंहटाएंजाकर के उसे आईने में चेहरा दिखाइये,
वाह ...
कसम लेने की और निभाने की हम सबको जरुरत है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
आभार !
मुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
लाजवाब गज़ल ...
मुंसिफ,खौफ खाये मुजरिम के नाम से
जवाब देंहटाएंक़ानून को न इतना निकम्मा बनाइये,
impressive lines.
सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंहकीकत का आयना दिखाती और भविष्य की आशाएं लिए सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंsimply superb . Like it.
जवाब देंहटाएंबहुत ही जबरदस्त ...
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबधाई.