गरीबी रेखा की खोज,
जैसे भगवान् होता है,पर दिखाई नही देता ,उसी प्रकार गरीबी रेखा होती है पर दिखाई नही देती | कलयुगी जीव ने भगवान् को नहीं देखा |उसी प्रकार किसी ने गरीबी रेखा नही देखा |मैंने एक दिन सिनेमा प्रेमी से पूछा गरीबी रेखा क्या होती है ? क्या आपने उसे देखा है ? आप भी कमाल करते हो साहब| आप रेखा को नही जानते,जिस रेखा को सारा देश जानता है |जिस रेखा के साथ अमिताभ नाचता था,जिस रेखा को देखकर अमिताभ को अपने पुराने दिनों की याद ताजा हो जाती है|आप उसे नही जानते ? मुझे रेखा के विषय में अपने लघु ज्ञान का आभास हुआ |
यही प्रश्न मैंने एक विवाहित व्यक्ति से पूछा,? वह बोला - जिस व्यक्ति की पत्नी खर्चीली होती है,,वह गरीबी रेखा के नीचे होता है और जिस व्यक्ति की पत्नी कमाऊ होती है,वह गरीबी रेखा के उपर होता है | पास बैठे व्यक्ति ने उसकी बात को काटते हुए बोला-?भाई ऐसी बात नही है-जो आदमी झोपड़े में रहता है वो गरीबी रेखा से नीचे है,और जो आदमी सीमेंट की छत के नीचे रहता है,वह गरीबी रेखा के उपर है|मैंने पूछा -जो किराए के मकान में रहता हो,वह बोला - वह आदमी आधा गरीबी रेखा नीचे आधा उपर कहलाता है |
इसी तरह मैंने एक अन्य महापुरुष से पूछा-आपने गरीबी रेखा का नाम सूना है वह बोला - वही गरीबी रेखा,जिसका नाम प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री, नेता,और गाँव के लोग बार-बार लेते है,मैंने कहा हाँ,,अब मै आपको ठीक से समझता हूँ,आपने लक्ष्मण रेखा का नाम तो सूना ही होगा गरीबी रेखा लक्ष्मण रेखा की छोटी बहन है, जिसे लक्ष्मण जी ने सीता के रक्षा हेतु खीचा था,अब मेरी भी समझ में आगया है | यह रेखा ही कमबख्त सारी खुरापातो की जड़ है | न लक्ष्मणजी ये रेखा खीचते और नहीं राम रावण युद्ध होता | न हमारे नेता गरीबी रेखा खीचते | रेखा जहां कहीं भी खिचती है ,झगड़े का कारण बनती है| चाहे वह पाकिस्तान की रेखा हो या चाहे अमिताभ की रेखा |
यही प्रश्न मैंने अपने आप से पूछा,,,मै गरीबी रेखा के बार्डर पर निवास करने वाला आदमी हूँ | और मेरीलगातार गरीबी रेखा के भीतर घुसपैठ बनी रहती है,महगाई बढ़ती है तो मै गरीबी रेखा के नीचे आ जाता हूँ,और जब सरकार आनाज का समर्थन मूल्य बढ़ा देते है तो कुछ दिनों के लिए गरीबी रेखा से ऊपर उठ जाता हूँ |परन्तु जल्दी ही दुकानदार कीमतों को बढ़ाकर गरीबी रेखा पास ढ्केल देते है|
गरीबी रेखा के नीचे रहने के अपने दुख है | और गरीबी रेखा से ऊपर उठने वालो की अपनी परेशानियां है यदि हम गरीबी रेखा से नीचे है| तो हमे प्रधानमंत्री पकड़ लेते है,यदि हम गरीबी रेखा के ऊपर उठते है,तो आयकर वाले पकड लेते है |यदि मै एक पाँव गरीबी रेखा के इस पार और दूसरा पाँव गरीबी रेखा के उस पार रखता हूँ तो मेरी पत्नी गर्दन पकड़ लेती है|
जबमै गरीबी रेखा की बात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोचता हूँ,,तो शर्म से मेंरी गर्दन झुक जाती है,संसार के धनी देश हमारे देश को गरीबी रेखा से नीचे वाला देश मानते है|ये बात मेरी समझमें नही आती कि हमारे देशभक्त अनेको लोगों ने करोडो,अरबो,रूपये स्विस बैंक में जमा कराये है, फिर भी हमारा देश गरीबी रेखा के नीचे क्यों है ,,,,, चित्र गूगल से
तिलस्मी रेखा ...जिस पर आंकड़ों की बाजीगरी परोसी जाती है ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा आपने ..
ye rekha aankdo ki rekha hai aur jinke liye banaye gaye hain ve ise samajhna bhi nahi chahte hai........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर धीरेन्द्र जी ! इसमें नमक भी है ,मिर्च भी है और चीनी की चासनी .इतना निवेदन है की या तो इस पार रहे या उस पार ,दोनों तरफ का पैर तकलीफ दायक है
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : कुम्भ मेला
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बहुत ही शानदार प्रस्तुति। अच्छा कटाक्ष करती है "गरीबी रेखा की खोज,,,"। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष लेख : भारत की प्रमुख भाषाएँ।
महात्मा गाँधी की प्रतिमा और इंदिरा गाँधी शांति पुरस्कार।
बस ऊपर से नीचे कर देने से लोग सुखी होना प्रारम्भ हो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंरेखा कल्पित - अनुकल्पित तमाम झंझावातों से गुजरती शायद उनके ज्यादा करीब जो इंसानियत को ज्यादा करीब से देखते हैं ....संवेदनशील लेख ... बधाईयाँ जी
जवाब देंहटाएंअपनी -अपनी ढफली ,अपना-अपना राग ........
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बात की आपने
गरीब की रेखा भी कोई रेखा होती है !
जवाब देंहटाएंरेखा तो वो होती है रहने भी दीजिये
हाँ आपने रेखा बहुत गजब की लिखी है !
बधाई !
बढ़िया कटाक्ष.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लेख...
सादर
अनु
सहमत हूं, बढिया जानकारी
जवाब देंहटाएं.एक एक बात सही कही है आपने .सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंसौ नहीं हज़ार नहीं लाख टके के बात...
जवाब देंहटाएं''यदि हम गरीबी रेखा से नीचे है| तो हमे प्रधानमंत्री पकड़ लेते है,यदि हम गरीबी रेखा के ऊपर उठते है,तो आयकर वाले पकड लेते है |यदि मै एक पाँव गरीबी रेखा के इस पार और दूसरा पाँव गरीबी रेखा के उस पार रखता हूँ तो मेरी पत्नी गर्दन पकड़ लेती है|''
पूर्ण सहमत, शुभकामनाएँ.
शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसच कहूं तो आपके लेखन की यह विधा बहुत अच्छी लगी ..बहुत सार्थक लेख ...
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने, कुछ चीजें होती हैं पर दिखती नहीं..रोचक पोस्ट !
जवाब देंहटाएंजबमै गरीबी रेखा की बात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोचता हूँ,,तो शर्म से मेंरी गर्दन झुक जाती है,संसार के धनी देश हमारे देश को गरीबी रेखा से नीचे वाला देश मानते है|ये बात मेरी समझमें नही आती कि हमारे देशभक्त अनेको लोगों ने करोडो,अरबो,रूपये स्विस बैंक में जमा कराये है, फिर भी हमारा देश गरीबी रेखा के नीचे क्यों है ,............क्योंकि हम उसे विदेश ले जा रहे
जवाब देंहटाएंक्योंकि हम लालची हैं । हम मर मर के चले जाते हैं कला धन वहीँ पड़ा रह जाता है ।
हटाएंसार्थक विश्लेषण ..... सरकार द्वारा खींची गरीबी रेखा से तो आज कई भिखारी भी उससे ऊपर उठ गए हैं ।
जवाब देंहटाएंबड़ा अच्छा लेख है। यह व्याख्या भी अच्छी है कि जिसकी बीवी खर्चिली वह गरीबी की रेखा के नीचे और जिसकी बीवी कमाउ वह गरीबी की रेखा से उपर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर धीरेन्द्र जी...सार्थक लेख ..
जवाब देंहटाएंचाहे वह पाकिस्तान की रेखा हो या चाहे अमिताभ की रेखा | :-))
जवाब देंहटाएंक्योंकि हम लालची हैं । हम मर मर के चले जाते हैं कला धन वहीँ पड़ा रह जाता है.......कमाल का लिखा है आपने इस बार.....सटीक बात ।
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार ||
बहुत बढ़िया व्याख्यान ....! धन्यवाद....|बिल्कुल सच लिखा आपने...हम लोगो भी इसी प्रकार की जिजीविषा में जी रहे हैं...
जवाब देंहटाएंसार्थक लेख ..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग...
जवाब देंहटाएंकमाल कर दिया आपने मान गए आपको आपने सरल रेखा को वक्र रेखा में परिवर्तित कर दिया बहुत ही सुन्दर किन्तु चिंतनीय लेख सार्थक विश्लेषण
जवाब देंहटाएंये रेखा भी अजब की है | आशा है अगली निशाना बिंदु होगी |हा...हा..हा..हा..हा...बहुत सार्थक |कबीरदास की उलटी वाणी , बरसे कम्बल भींगे पानी |बधाई
जवाब देंहटाएंइक विचारोत्तेजक लेख.... सोचने पर विवश करता
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन लेख गुरूजी | प्रणाम | मुझे तो आज तक मालूम न हो पाया है के मैं किस रेखा के ऊपर हूँ और किस के नीचे | लगता है अब सोच विचार करना ही पड़ेगा | बहुत ही सार्थक, भावपूर्ण, कटाक्ष करता हूँ और विचारनीय आलेख | आभार |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
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जवाब देंहटाएंये सब रेखाएँ राजनीतिज्ञों के दिमाग़ का फ़ितूर हैं ,इनके हाथ में आते ही इधर-उधऱ होने लगती हैं !
जवाब देंहटाएंगरीबी रेखा पर उम्दा लेख |
जवाब देंहटाएंआशा
गरीबी रेखा से नीचे वालों के वोट प्राप्त करने के लिए आजकल सरकारों ने इतनी स्कीमें निकाली हुई है कि जिसमें स्वाभिमान ना हो उसको इस रेखा के नीचे रहने में फायदा ही फायदा है, कमाने का तो कोई झंझट ही नहीं| सरकारें भी चाहती है कि ये गरीब गरीब ही रहे और मुफ्त की तोड़ते हुए उसका वोट बैंक बना रहे इसीलिए गरीब की गरीबी मिटाने के लिए कार्य करने के बजाय सिर्फ गरीब को खैरात बाँट उसे गरीब ही रखा जाता है|
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक आलेख,आपके विचारों से पूरी तरह से सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंगरीबी रेखा सीधी नहीं है :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना | बधाई
जवाब देंहटाएंbahut badhiya vishleshan .....
जवाब देंहटाएंये रेखाओं की माया ही ऐसी है। हर एक किसी ना किसी रेखा के दायरे में ही है।
जवाब देंहटाएंगरीबी रेखा का तिलिस्म बड़ा विचित्र है जिसको समझना नामुमकिन है इसीलिए तो हमारे प्रधानमंत्री जी और योजना आयोग दोनों दिग्भ्रमित हैं !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !!
गरीबी रेखा पर बहुत सटीक व्यंग ...आभार
जवाब देंहटाएंवो तो देश की कुछ लोग नहीं हैं गरीबी रेखा के नीचे ... देश तो है ...
जवाब देंहटाएंकरार व्यंग है ... मज़ा आ गया ...
teekha kataaksh!! mazedaar shaili. Badhaai!!
जवाब देंहटाएंगरीबी रेखा पर बहुत बढ़िया व्यंग...बधाई
जवाब देंहटाएंसार्थक सामयिक अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंइस देश में केवल सवाल हैं ,जिनके जबाब नहीं मिलते !!
अच्छा व्यंग्य लिखा है.
जवाब देंहटाएंशानदार करारा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंGarbi ki rekha kya hamare rahnuma ab hath ki rekhaon ko bhi banae aur bigadne me mahir ho gye hai
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार एवं धारदार लेख बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगरीबी रेखा पर सटीक व्यंग ...आभार
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