अपने साये में जीने दो.
सारी उम्र किया इन्तजार अब टूटे दिल को सीने दो
कुछ समय बचा है जीने को अपने साए में जीने दो!
कुछ समय बचा है जीने को अपने साए में जीने दो!
उम्मीद थी तेरे आने की लेकिन हासिल कुछ न हुआ,
पैगाम जिंदगी ने दिया मौत का मेरे हाल में मरने दो!
बरसों हो गए मेरी आँखों से तेरी खटक जाती ही नही,
तिनका उड़ गिरता आँखों पर यादें आँसू बन बहने दो!
बेवफा कहे वो, मै बदनसीब अपने मुकद्दर को क्या कहूँ,
अपनी बेवफाई, इल्जाम मुझ पर,बदनामी मेरी करने दो!
मुहब्बत,बेवफाई,दर्द ऐ गम, देकर चले गये मुझको सारे,
पैगाम जिंदगी ने दिया मौत का मेरे हाल में मरने दो!
बरसों हो गए मेरी आँखों से तेरी खटक जाती ही नही,
तिनका उड़ गिरता आँखों पर यादें आँसू बन बहने दो!
बेवफा कहे वो, मै बदनसीब अपने मुकद्दर को क्या कहूँ,
अपनी बेवफाई, इल्जाम मुझ पर,बदनामी मेरी करने दो!
मुहब्बत,बेवफाई,दर्द ऐ गम, देकर चले गये मुझको सारे,
खुश रहो तुम ये दुआ है मेरी अब सितम धीर को सहने दो!
dheerendra,dheer,
सुंदर रचना!!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण
जवाब देंहटाएंkuch der jeene do ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति दिल को छू जाती हैं पंक्तियाँ बहुत बहुत बधाई
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जवाब देंहटाएंबरसों हो गए मेरी आँखों से तेरी खटक जाती ही नही,
तिनका उड़ गिरता आँखों पर यादें आँसू बन बहने दो!
ummdaa bahut khoob sir
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
बेहतरीन रचना... बधाई!
जवाब देंहटाएंसारी उम्र किया इन्तजार अब टूटे दिल को सीने दो
कुछ समय बचा है जीने को अपने साए में जीने दो!
बहुत बढ़िया रंग भरा है इस गजल में .दिनानुदिन निखार है धीरेन्द्र जी के अशआर में .बधाई .बढ़िया काम कर रहें हैं आप ,निखार की और बढ़ चलें हैं तेज़ी से .
मन के भावों की सुन्दर प्रस्तुति .....सादर!
जवाब देंहटाएंमन के वेदना को प्रदर्शित करती सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रविष्टि वाह!
जवाब देंहटाएंइसे भी अवश्य देखें!
चर्चामंच पर एक पोस्ट का लिंक देने से कुछ फ़िरकापरस्तों नें समस्त चर्चाकारों के ऊपर मूढमति और न जाने क्या क्या होने का आरोप लगाकर वह लिंक हटवा दिया तथा अतिनिम्न कोटि की टिप्पणियों से नवाज़ा आदरणीय ग़ाफ़िल जी को हम उस आलेख का लिंक तथा उन तथाकथित हिन्दूवादियों की टिप्पणयों यहां पोस्ट कर रहे हैं आप सभी से अपेक्षा है कि उस लिंक को भी पढ़ें जिस पर इन्होंने विवाद पैदा किया और इनकी प्रतिक्रियायें भी पढ़ें फिर अपनी ईमानदार प्रतिक्रिया दें कि कौन क्या है? सादर -रविकर
राणा तू इसकी रक्षा कर // यह सिंहासन अभिमानी है
भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंसारी उम्र किया इन्तजार अब टूटे दिल को सीने दो
जवाब देंहटाएंकुछ समय बचा है जीने को अपने साए में जीने दो!
सुंदर रचना |
सारी उम्र किया इन्तजार अब टूटे दिल को सीने दो
जवाब देंहटाएंकुछ समय बचा है जीने को अपने साए में जीने दो!
लाजबाब अभिव्यक्ति !!
भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति .....सारी उम्र किया इन्तजार अब टूटे दिल को सीने दो
जवाब देंहटाएंकुछ समय बचा है जीने को अपने साए में जीने दो!
बरसों हो गए मेरी आँखों से तेरी खटक जाती ही नही,
जवाब देंहटाएंतिनका उड़ गिरता आँखों पर यादें आँसू बन बहने दो!
बेहद सुन्दर नज्म ,मेरी तरफ से भी बधाई स्वीकार कीजिये।
खुल गए हैं जो पुराने कुछ जख्म , उन्हें वक्त को सीने दो .
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना .
वाह धीरेन्द्र सर वाह क्या बात है लाजवाब ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंदिल मे कुछ दर्द है
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनकी ब्ला ग
भावप्रद रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियाँ बहुत बहुत बधाई.........धीरेन्द्र भाई.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंह्रदय वेदना की कोमलतम अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह क्या इल्तिजा है-
जवाब देंहटाएंबधाई धीर भाईसाहब ||
वाह.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
सादर
अनु
bahut khoob..
जवाब देंहटाएंबरसों हो गए मेरी आँखों से तेरी खटक जाती ही नही,
जवाब देंहटाएंwhat a lvly post
hacking
बरसों हो गए मेरी आँखों से तेरी खटक जाती ही नही,
जवाब देंहटाएंतिनका उड़ गिरता आँखों पर यादें आँसू बन बहने दो!waah bahut sundar panktiyaan ..behtreen rachna
बहुत ही सुन्दर कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंउम्मीद थी तेरे आने की लेकिन हासिल कुछ न हुआ,
जवाब देंहटाएंपैगाम जिंदगी ने दिया मौत का मेरे हाल में मरने दो!
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बहुत उम्दा ग़ज़ल!
सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंbhavpurn rachna.
जवाब देंहटाएंसुंदर कृति।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति . बधाई इंदिरा प्रियदर्शिनी :भारत का ध्रुवतारा
जवाब देंहटाएंBahut hee sunder dard ko chupa kar pyar me behati kawita.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एवं भावप्रबल रचना ....
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना है |
जवाब देंहटाएंमन की टीस को बडी सुंदर अभिव्यक्ति दी है ! अति सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता भदौरिया जी |आभार
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण बेहतरीन ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंदिल से निकले शब्द..
जवाब देंहटाएंसारी उम्र किया इन्तजार अब टूटे दिल को सीने दो
जवाब देंहटाएंकुछ समय बचा है जीने को अपने साए में जीने दो!
लाजबाब अभिव्यक्ति !!
सुंदर अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंबेवफा कहे वो, मै बदनसीब अपने मुकद्दर को क्या कहूँ,
जवाब देंहटाएंअपनी बेवफाई, इल्जाम मुझ पर,बदनामी मेरी करने दो!
..........भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति !