खता,
दिल की बात कहने के लिये हम इशारों से काम लेते है,
क्योंकि, तुम्हे अपना समझने की खता हम कर चुके है!
क्योंकि, तुम्हे अपना समझने की खता हम कर चुके है!
हमने तुम्हारे लिये सपने संजोये, उस बात का दुख नही,
क्योंकि, तुम्हे सपनों में जगह देने की खता कर चुके है!
क्योंकि, तुम्हे सपनों में जगह देने की खता कर चुके है!
ऐसा हो नही सकता कि तुम्हारे बिना जी नहीं सकेगें हम,
क्योंकि,शादी और से करने की पहले ही खता कर चुके है!
क्योंकि,शादी और से करने की पहले ही खता कर चुके है!
फिरभी, तुम्हे कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
क्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है!
क्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है!
इशारों में समझाने की कोशिश भर कर सकता है दिल,
क्योंकि,तुम्हे अपना समझने की हम खता कर चुके है!
क्योंकि,तुम्हे अपना समझने की हम खता कर चुके है!
dheerendra bhadauriya,
बहुत बढ़िया धीर भाई साहब -
जवाब देंहटाएंबधाईयाँ ।।
खता,,,
हटाएंखता,
खता बता कर क्या करें, ख़त खतियाना ख़त्म ।
खेल ख़तम पैसा हजम, यही पुरानी रश्म ।
यही पुरानी रश्म, कुबूला जैसी हो तुम ।
शायद भूला रूल, सीध होती नहिं यह दुम ।
तेरे द्वारे आय, भौंकता रविकर प्यारी ।
गरज गरज ठुकराय, रही क्यूँ गरज हमारी ।
waah kya baat hai ..ham to bas pyar karne ki khata kar chuke hai , sundar rachna
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंश्रीमान धीरेन्द्र जी बहुत ही दिल को छूने वाली रचना है लगता है साक्षात सामना हुआ लगता है आपको तभी तो इतनी मार्मीक रचना बनती है
जवाब देंहटाएंदीपावली पर ब्लाग के लिये वालपेपर
दिल में कोई जीवन में कोई
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ी खता हो गयी है..
भावनाओ की कोमल अभिव्यक्ति..
अच्छी खता की है हुज़ूर ने -
जवाब देंहटाएंदिल की बात कहने के लिये हम इशारों से काम लेते हैं ,
क्योंकि, तुम्हें अपना समझने की खता हम कर चुके हैं !
हमने तुम्हारे लिये सपने संजोये, उस बात का दुख नहीं ,
क्योंकि, तुम्हें सपनों में जगह देने की खता कर चुके हैं !
ऐसा हो नही सकता कि तुम्हारे बिना जी नहीं सकेगें हम,
क्योंकि,शादी और से करने की पहले ही खता कर चुके हैं !
फिरभी, तुम्हें कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
क्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके हैं !
इशारों में समझाने की कोशिश भर कर सकता है दिल,
क्योंकि,तुम्हे अपना समझने की हम खता कर चुके हैं
बढ़िया रचना है भदौरिया साहब (मूल रचना से मिलाके देखें :""हैं "और "है" तथा तुम्हें ,नहीं का फर्क देखें ,आभार )
मन के भावों की सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
हमने तुम्हारे लिये सपने संजोये, उस बात का दुख नही,
जवाब देंहटाएंक्योंकि, तुम्हे सपनों में जगह देने की खता कर चुके है!...बहुत बढ़िया
बहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंकुछ साहसी जज़्बात...
:-)
सादर
अनु
काफी अच्छी लगी..
जवाब देंहटाएंisse jyada aur kiya bhi kya ja sakta hai.
जवाब देंहटाएंसारी खताएं अच्छी हैं
जवाब देंहटाएंसारी व्यथाएं सच्ची हैं।
इशारों में समझाने की कोशिश भर कर सकता है दिल,
जवाब देंहटाएंक्योंकि,तुम्हे अपना समझने की हम खता कर चुके है!
...बहुत खूब!
मन के भावों की सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंवास्तविक व्यथा-कथा ।
जवाब देंहटाएंफिरभी, तुम्हे कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है!
सुन्दर .......धीरेन्द्र भाई ...बहुत से मोड़ से ये जिन्दगी गुजरती है और खताएं नए नए रंग दिखाती हैं ,,,,,
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
फिरभी, तुम्हे कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है......bahut khoob...
खता तो हो चुकी है बस प्रायश्चित ही शेष है....कर लेंगे तो कुछ दर्द कम ही होगा ........सुन्दर सामंजस्य .....
जवाब देंहटाएंdil hi kuchh aisa hai pata nahi kab kisi ko apna samjhe...
जवाब देंहटाएंBahut Umda Rachna
जवाब देंहटाएंमजेदार व उम्दा।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब और मजेदार..
जवाब देंहटाएंबढ़िया !!!!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब !!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंखुबसूरत गुनाह या फिर खुबसूरत प्रस्तुति............
जवाब देंहटाएंआभार.......
बहुत समय बाद याद आती है ,तभी ऐसी रचना बन पाती है.
जवाब देंहटाएंबेकरारियां बन के आ जाती हैं यूँ ही बार बार.
जब याद किसी की आती है दिन में हजार बार.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
फिरभी, तुम्हे कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है!
बहुत सुंदर ।
क्या बात है कि यादें मिटती नही है उनकी
उनको दिल में बिठाने की खता जो कर चुके हैं ।
बहुत सुन्दर रचना ... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करें.
फिरभी, तुम्हे कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है!
ख़ता पर ,जिससे शादी हुई ,खफ़ा ना हो ,ख़ुदा माफ करे !
रचना बहुत सुन्दर , अभिव्यक्ति ला जबाब है !!
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है.....:-)
एक लिफाफा दो-दो खत
जवाब देंहटाएंखता समझ लो या किस्मत |
एक तरफ है नील गगन
एक तरफ सपनों की छत |
एक तरफ दुनियादारी
एक तरफ दिल की चाहत |
आम चुराना बागों से
बचपन की सी है आदत |
ताउम्र अपनाने की कोशिश करते रहे ,
जवाब देंहटाएंऔर वो हैं कि दिल को दिल समझते नहीं !
बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना।
जवाब देंहटाएंअगर ग़ज़ल है तो मतला भी होना चाहिए इसमें!
वाह सर वाह क्या बात है मेरी दिली दाद कुबूल कीजिये।
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंखूब सूरत समर्पण | बधाई
जवाब देंहटाएंक्या बात है वाह बहुत ख़ूब पेशकश
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti .badhai
जवाब देंहटाएंकलात्मक प्रस्तुति...आभार !
जवाब देंहटाएंफिरभी, तुम्हे कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है!
भाई साहब, भाभी जी ने ये शेर पढ़ा है या नहीं ... कुछ पल भी देने में उन्हें आपत्ति हो सकती है। बाकी सब ठीक है लिखते रहिए, मेरी शुभकामनाएँ
सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूबसूरत है खता आपकी बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंBeautiful Poem
जवाब देंहटाएंसभी ब्लॉग पोस्टों एवं टिप्पणियों का बैकअप लीजिए
फिरभी, तुम्हे कुछपल चुराकर जिन्दगी के दे सकता हूँ,
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,पूरा जीवन ही किसी और के नाम कर चुके है!
बढ़िया.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमामला जटिल है। उम्र का फासला न होता तो कुछ सलाह हम भी देते।
जवाब देंहटाएंरचना बहुत सुन्दर , अभिव्यक्ति ला जबाब है
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