यादों की ओढ़नी
ये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
कि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|
मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|
इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|
हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
मेरी बेटी, aarti singh baghel, द्वारा कि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|
मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|
इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|
हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
ये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
जवाब देंहटाएंकि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी ... खूबसूरत वर्णन
मन को छू लेने वाली गजल !
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र सर दिल को छू कर ह्रदय में उतर गई आपकी ये रचना बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
जवाब देंहटाएंकि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|
vaah sundar ...
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसरकी जो सर वो धीरे धीरे .................... वेसे वर्तमान मे तो यह ग्रामीण क्षेत्रो तक ही सीमित हो चुकी है
जवाब देंहटाएंट्रेन की वर्तमान स्थिति क पता करे
ट्रेन की वर्तमान स्थिति क पता करे
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत भाव पूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मन को छूती हुई रचना ........
जवाब देंहटाएंODHNI DA TO KOI JAWAB HEE NAHI...BEHTARIN MAN KO BHA GAYEE SADAR PRANAM KE SATH
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसासों की बधाई .....
जवाब देंहटाएंयादों की यह ओढ़नी, ओढ़ रहूँ दिनरात |
जवाब देंहटाएंउमड़-घुमड़ दृष्टान्त हर, रह रह आवत जात |
रह रह आवत जात, बाराती द्वारे आये |
पर बाबू का हाथ, छूट नहिं सके छुडाये |
माँ की झिड़की प्यार, बरसता सावन भादों |
भैया से तकरार, शेष बचपन की यादों ||
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंमौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
जवाब देंहटाएंकि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|
हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी
वाह ... बहुत खूब।
परिवेश औऱ जीन पीढ़ी को प्रभावित करते ही हैं। शुक्रिया हमसे परिचय कराने के लिए।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर और दिल को छू जाने वाली प्रस्तुती.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंमौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
जवाब देंहटाएंकि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|
..बहुत खूब! सुन्दर प्रस्तुति...
बहुत खूब...|
जवाब देंहटाएंबेहतरीन,,बेहतरीन..बेहतरीन
जवाब देंहटाएं:-) :-) :-)
छाँह दिलाती यादों की ओढ़नी।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|
इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|........अश्कों .......
मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|
हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है .बधाई .
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १६ /१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी ,आपका स्वागत है |
जवाब देंहटाएंइन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
जवाब देंहटाएंकि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
वाह क्या खूब गहराई व कशिश है इस रचना में।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .....
जवाब देंहटाएंये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
जवाब देंहटाएंकि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|
बहुत सुंदर
कभी कभी ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती है..
हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
जवाब देंहटाएंकि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
बहुत सुन्दर ....
bahut khub
जवाब देंहटाएंइन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
जवाब देंहटाएंकि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
bahut ki pyari kavita hain
in 2 lines ne to char chand laga diye
मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
जवाब देंहटाएंकि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|
इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
बहुत खूबसूरत अलहदा अंदाज
nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...मन ने ओढ़ ली यादों की ओढनी !
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंbahut sundar sabdon ko piroya h .. ek achchi rachana
जवाब देंहटाएंbadhaee svikare
वाह वाह वाह वाह क्या खूब ओढ्नी ओढायी है …………लाजवाब प्रस्तुति।नवरात्रि की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंओढ़नी का जवाब नहीं!
नवरात्रि की शुभकामनाएँ!
apki beti ki lekhni bhi kafi mukhur hai. sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएं"इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
जवाब देंहटाएंकि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|"
Marmik rachna !!
बहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंआरती जी बहुत अच्छा लिखती हैं उन्हें हमारी हार्दिक शुभकामनाएँ!
सादर
बहुत बढ़िया !!
जवाब देंहटाएंहमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
जवाब देंहटाएंकि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
...bahut hi acchha likhati hai aapki bitiya... badhai sviikaren!
धीरेन्द्र भाई! इसे गीत कहूँ तो बुरा तो नहीं मानेंगे न??? बहुत ही सुन्दर गीत!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर ओढनी..
जवाब देंहटाएंये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
जवाब देंहटाएंकि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|
वाह बहुत खूबसूरत लगी आपके मन की ओढनी |
मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
जवाब देंहटाएंकि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|
हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
वाह, वाह !!! आदरणीय गजब की गज़ल इस गुलाबी ठंड के शुरुवाती दौर में लिखा दी है.
पढ़के गज़ल को आ गई, ख्वाबों में ओढ़नी
जवाब देंहटाएंदेखो उलझ के रह गई , गुलाबों में ओढ़नी...........
क्यूँ ओढ़कर तू आई , वादों की ओढ़नी
जवाब देंहटाएंफिर दे गई है मुझको,मुरादों की ओढ़नी
मौसम ने ली है करवट,सबकुछ बदल गया
बस पास रह गई है, यादों की ओढ़नी |
हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
जवाब देंहटाएंकि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
सुन्दर और प्यारी रचना !
मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
जवाब देंहटाएंकि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|
..एक मुद्दत बाद खिलखिलाती प्यार की सुन्दर बानगी ...
बहुत सुन्दर रचना, ओढनी का बहुत सुन्दर शब्द-चित्रण, बधाई.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंइन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
aodhni ka sunder prayog kiya hai
bahut khoob
rachana
मन को छूती हुई...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना .....मन को भा गयी ...सादर आभार |
जवाब देंहटाएं