सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

यादों की ओढ़नी,,,

यादों की ओढ़नी

ये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
कि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|

मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|

इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|

मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|

हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|


मेरी बेटी, aarti singh baghel, द्वारा

55 टिप्‍पणियां:

  1. ये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
    कि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी ... खूबसूरत वर्णन

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  2. धीरेन्द्र सर दिल को छू कर ह्रदय में उतर गई आपकी ये रचना बधाई स्वीकारें

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  3. ये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
    कि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|
    vaah sundar ...

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  4. हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.

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  5. सरकी जो सर वो धीरे धीरे .................... वेसे वर्तमान मे तो यह ग्रामीण क्षेत्रो तक ही सीमित हो चुकी है

    ट्रेन की वर्तमान स्थिति क पता करे

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  6. बहुत खुबसूरत भाव पूर्ण रचना..

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  7. बहुत सुन्दर मन को छूती हुई रचना ........

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  8. ODHNI DA TO KOI JAWAB HEE NAHI...BEHTARIN MAN KO BHA GAYEE SADAR PRANAM KE SATH

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  9. यादों की यह ओढ़नी, ओढ़ रहूँ दिनरात |
    उमड़-घुमड़ दृष्टान्त हर, रह रह आवत जात |
    रह रह आवत जात, बाराती द्वारे आये |
    पर बाबू का हाथ, छूट नहिं सके छुडाये |
    माँ की झिड़की प्यार, बरसता सावन भादों |
    भैया से तकरार, शेष बचपन की यादों ||

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  10. मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
    कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|

    हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
    कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी
    वाह ... बहुत खूब।

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  11. परिवेश औऱ जीन पीढ़ी को प्रभावित करते ही हैं। शुक्रिया हमसे परिचय कराने के लिए।

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  12. अत्यंत सुन्दर और दिल को छू जाने वाली प्रस्तुती.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  13. मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
    कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|

    ..बहुत खूब! सुन्दर प्रस्तुति...

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  14. मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
    कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|

    इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
    कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|........अश्कों .......

    मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
    कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|

    हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
    कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति है .बधाई .

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  15. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १६ /१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी ,आपका स्वागत है |

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  16. इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
    कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
    वाह क्या खूब गहराई व कशिश है इस रचना में।

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  17. ये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
    कि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|

    बहुत सुंदर
    कभी कभी ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती है..

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  18. हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
    कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|

    बहुत सुन्दर ....

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  19. इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
    कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
    bahut ki pyari kavita hain
    in 2 lines ne to char chand laga diye

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  20. मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
    कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|

    इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
    कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|

    बहुत खूबसूरत अलहदा अंदाज

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  21. बहुत सुन्दर ...मन ने ओढ़ ली यादों की ओढनी !

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  22. वाह वाह वाह वाह क्या खूब ओढ्नी ओढायी है …………लाजवाब प्रस्तुति।नवरात्रि की शुभकामनायें।

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  23. सुन्दर रचना!
    ओढ़नी का जवाब नहीं!
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ!

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  24. "इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
    कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|"

    Marmik rachna !!

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  25. बहुत ही बढ़िया।
    आरती जी बहुत अच्छा लिखती हैं उन्हें हमारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

    सादर

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  26. हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
    कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
    ...bahut hi acchha likhati hai aapki bitiya... badhai sviikaren!

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  27. धीरेन्द्र भाई! इसे गीत कहूँ तो बुरा तो नहीं मानेंगे न??? बहुत ही सुन्दर गीत!!

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  28. ये कैसी चली हवा सिहरन सी दौड गई,
    कि ओढ़ ली चेहरे ने केशो की ओढ़नी|
    वाह बहुत खूबसूरत लगी आपके मन की ओढनी |

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  29. मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
    कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|

    हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
    कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|

    वाह, वाह !!! आदरणीय गजब की गज़ल इस गुलाबी ठंड के शुरुवाती दौर में लिखा दी है.

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  30. पढ़के गज़ल को आ गई, ख्वाबों में ओढ़नी
    देखो उलझ के रह गई , गुलाबों में ओढ़नी...........

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  31. क्यूँ ओढ़कर तू आई , वादों की ओढ़नी
    फिर दे गई है मुझको,मुरादों की ओढ़नी
    मौसम ने ली है करवट,सबकुछ बदल गया
    बस पास रह गई है, यादों की ओढ़नी |

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  32. हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
    कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|
    सुन्दर और प्यारी रचना !

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  33. मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
    कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|

    ..एक मुद्दत बाद खिलखिलाती प्यार की सुन्दर बानगी ...

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  34. बहुत सुन्दर रचना, ओढनी का बहुत सुन्दर शब्द-चित्रण, बधाई.

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  35. इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
    कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|
    aodhni ka sunder prayog kiya hai
    bahut khoob
    rachana

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  36. सुंदर रचना .....मन को भा गयी ...सादर आभार |

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,