माँ
हर पल औलाद के खातिर दुआ करती है माँ,
और माँ होने का हक ऐसे अदा करती है माँ!
जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
घर में बूढ़े बाप से अक्सर उलझ जाती है वो,
लड़कर भी बेटों के हक् में फैसला कराती माँ!
जब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
आँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!
उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
हर पल औलाद के खातिर दुआ करती है माँ,
और माँ होने का हक ऐसे अदा करती है माँ!
जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
घर में बूढ़े बाप से अक्सर उलझ जाती है वो,
लड़कर भी बेटों के हक् में फैसला कराती माँ!
जब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
आँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!
उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
dheerendra,"dheer"
हर पल औलाद के खातिर दुआ करती है माँ,
जवाब देंहटाएंऔर माँ होने का हक ऐसे अदा करती है माँ!
बहुत सुंदर रचना... मुनव्वर राना की एक लाइन याद आ रही है..
ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आखे खोल दीं, घर में उजाला हो गया।
माँ सदैव ही अविस्मर्णीय हैं !
जवाब देंहटाएंअति पावन, मनभावन!
जवाब देंहटाएंअब Google Chrome से बनाओ PDF files
धीरेन्द्र सर बेहतरीन उम्दा रचना रची है माँ को प्रणाम
जवाब देंहटाएंजिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमाँ एक खाली कुआं - जिसमें जीवन के सारे हल तैरते हैं
जवाब देंहटाएंउम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेरी माँ,
जवाब देंहटाएंआज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
उम्र चाहे जो हो ... माँ की जरुरत तो हमेशा होती है !!
दिल से लिखी रचना ..बहुत खुबसूरत माँ को नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति....!
जवाब देंहटाएंमाँ तुझे सलाम!
माँ को नमन बहुत सुन्दरता से वर्णन किया है....बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकितना सुन्दर चित्रण किया है आपने माँ का...वास्तव में वह शक्ति है ......बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपकी कविता "माँ ,,," पढ़कर मेरी आँखे नम पड़ गयी , मुझे आपकी कविता इतनी पसंद आई की मैंने इसे sms के द्वारा अपने मित्रों को भी पढ़ने के लिये भेज दिया। आपका बहुत - बहुत धन्यवाद धीरेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर......
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए बच्चे कभी बड़े नहीं होते.....
सादर
अनु
bahut ki badhia likha aapane sir
जवाब देंहटाएंमाँ बस माँ होती है..बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत भावनात्मक रचना .
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण...माँ तो बस माँ होती है
जवाब देंहटाएंहर हाल में हमारे लिए ही सोचती है|
माँ का प्यार नाम हो गयी आँखे ..........
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ...माँ की महिमा न्यारी..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना |
जवाब देंहटाएंमाँ हमेशा ही माँ ही होती है |
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ओ कलम !!
उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
जवाब देंहटाएंआज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
sundar panktiyaan ....
माँ कि ममता का सुन्दर शब्दों में चित्रण किया है आपने !!
जवाब देंहटाएंकलम थक जाते है "माँ" के बखान में...फिर भी नही सिमट पाती माँ,इन शब्दों के सहारे...|
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर |
अच्छी व हृदयस्पर्शी ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंघर में बूढ़े बाप से अक्सर उलझ जाती है वो,
लड़कर भी बेटों के हक् में फैसला कराती माँ!
इतना प्यार करेगा कौन माँ करती जितना ।
बहुत प्यारी सी कविता ..... माँ से बढ़कर कोई नहीं
जवाब देंहटाएंजब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही, ........नहीं
जवाब देंहटाएंआँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!
उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,........मेरी ...........
आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
बेहतरीन भावांजलि माँ के नाम .
सिर्फ बेटे ही नहीं ..बेटियों की भी हमदर्द होती है माँ .....बच्चों के बीच के फर्क को पहचाना नहीं ..क्योंकी वास्तव में माँ सिर्फ होती है माँ ...!!!
जवाब देंहटाएंमाँ पर बहुत भावनात्मक रचना ...
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए खूबसूरत रचना..
जवाब देंहटाएंजिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
जवाब देंहटाएंऔर बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
मन को छूते रचना के भाव ...
माँ को समर्पित बहुत सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंमाँ का प्रेम अतुलनीय है...बहुत प्यारी रचना..
जवाब देंहटाएंजब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
जवाब देंहटाएंआँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!
bahut sunder
rachana
माँ की ममता अमूल्य होती है ,कही पढ़ी पंक्तियाँ याद हो आई --हरी दूब सी, छाया बरगद सी ,कभी रामायण कभी गीता सी सदा पावन माँ
जवाब देंहटाएं,
बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना ने अभिभूत कर दिया बहुत बहुत बधाई इस उत्कृष्ट रचना के लिए
जवाब देंहटाएंउम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
जवाब देंहटाएंआज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
bilkul sahi likha hai dheerender ji, maa aisi hi hoti hai..bahut sundar!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
जवाब देंहटाएंआँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!
उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
आज फिर ये पंक्तियाँ मानो मन को छु सी गयी हो ...
आज आपसे बातें करके बहुत अच्छा लगा
जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
जवाब देंहटाएंऔर बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
मां तो मां होती है....बच्चे की उम्र जितनी भी हो जाए...वो छोटा ही रहता है उनकी नजरों में...भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंमाँ दुनिया की एक अजीम हस्ती.जिसके पैरों तले जन्नत है.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
बेहतरीन रचना ...माँ तो बस माँ होती है |
जवाब देंहटाएंमाँ एक रास्ता तो होती ही है
जवाब देंहटाएंमाना कि नहीं भी कहीं होती है !
इंसानी रिश्तों में सबसे पाक रिश्ते की एक बड़ी ही सहज प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूबसूरत भावनात्मक प्रस्तुति माँ शब्द का दूसरा कोई विकल्प नहीं बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंमाँ, एक सुन्दर, मनभावन, लाजवाब एहसास है, व इस रूप की किसी से तुलना नहीं की जा सकती |
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
माँ शब्द का दूसरा कोई विकल्प हो भी नहीं सकता. खूबसूरत भावनात्मक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंन हिन्दू , न मुसलमान
जवाब देंहटाएंन सिख , न ईसाई .
गौर से सब देखो मुझे , मैं हूँ
तुम सब की माई .
क्यूँ लड़ते हो आपस मे ...... ?
तुम सब तो हो भाई - भाई....
कर दोगे हज़ार टुकड़े , मेरे
क्या यही कसम है , तुमने खाई.
कुर्सी का चढ़ा है चश्मा ऐसा , कि
नज़रे घुमाते ही ,
चारो तरफ बस ,
कुर्सी ही कुर्सी नज़र आई......!
भारत की सरजमीं को सीचा था,
जिस प्यार व एकता ने ,
आज फिर वही लुटती हुई ,
नज़र आई .
कटते जा रहे है अंग मेरे ,
ममता आज मेरी ,
बहुत बेबस नज़र आई ....!
छलनी कर सीना मेरा ,
ये कैसी विजय है पाई .
माता के तो कण - कण में बसी है,
शहीदो के प्यार व त्याग की गहराई .
ट्रेन की वर्तमान स्थिति क पता करे
वाह,.... बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
माँ को समर्पित बहुत भावुक रचना...
जवाब देंहटाएंजिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
शुभकामनाएँ.
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबधाई
इंडिया दर्पण की ओर से शुभ नवरात्र।
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबधाई
इंडिया दर्पण की ओर से शुभ नवरात्र।
भावुक कर देने वाली रचना।
जवाब देंहटाएंमुनव्वर राना याद आ गए।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंisliye to log kahte ki mere pass maa hai ....appka swagat mere blog par and comment Visit Kaun Mujhe Batayega
जवाब देंहटाएंjindagi ki her seher or sham si hoti hai maa
जवाब देंहटाएंaadmi ke liye bhagwan si hoti hai maa
hai jo duniya mai pyaar ka itne phalsafa
ye pyaar ki shuruaat me bhi hoti hai maa
leta hai baccha pahla naam jo , wo naam bhi hota hai maa
bin maa ke jiven shru aur khatam kahan hota hai mere dost
zsara is kamjor aadmi ko ye bta.
गजब की अभिव्यक्ति है वाह आदरणीय धीरेन्द्र जी वाह
जवाब देंहटाएंमाँ पर इस संवेदनशील कविता के लिए
हादिक बधाई