गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

माँ,,,

माँ

हर पल औलाद के खातिर दुआ करती है माँ,
और माँ होने का हक ऐसे अदा करती है माँ!

जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!

घर में बूढ़े बाप से अक्सर उलझ जाती है वो,
लड़कर भी बेटों के हक् में फैसला कराती माँ!

जब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
आँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!

उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!

dheerendra,"dheer"   


62 टिप्‍पणियां:

  1. हर पल औलाद के खातिर दुआ करती है माँ,
    और माँ होने का हक ऐसे अदा करती है माँ!

    बहुत सुंदर रचना... मुनव्वर राना की एक लाइन याद आ रही है..

    ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
    मां ने आखे खोल दीं, घर में उजाला हो गया।


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  2. धीरेन्द्र सर बेहतरीन उम्दा रचना रची है माँ को प्रणाम

    जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
    और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!

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  4. माँ एक खाली कुआं - जिसमें जीवन के सारे हल तैरते हैं

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  5. उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेरी माँ,
    आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
    उम्र चाहे जो हो ... माँ की जरुरत तो हमेशा होती है !!

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  6. दिल से लिखी रचना ..बहुत खुबसूरत माँ को नमन

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  7. माँ को नमन बहुत सुन्दरता से वर्णन किया है....बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  8. कितना सुन्दर चित्रण किया है आपने माँ का...वास्तव में वह शक्ति है ......बहुत खूब

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  9. आपकी कविता "माँ ,,," पढ़कर मेरी आँखे नम पड़ गयी , मुझे आपकी कविता इतनी पसंद आई की मैंने इसे sms के द्वारा अपने मित्रों को भी पढ़ने के लिये भेज दिया। आपका बहुत - बहुत धन्यवाद धीरेन्द्र जी

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  10. बहुत सुन्दर......
    माँ के लिए बच्चे कभी बड़े नहीं होते.....

    सादर
    अनु

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  11. माँ बस माँ होती है..बेहतरीन कविता।

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  12. भावपूर्ण...माँ तो बस माँ होती है
    हर हाल में हमारे लिए ही सोचती है|

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  13. माँ का प्यार नाम हो गयी आँखे ..........

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  14. भावपूर्ण रचना ...माँ की महिमा न्यारी..

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  15. बहुत उम्दा रचना |
    माँ हमेशा ही माँ ही होती है |
    नई पोस्ट:-
    ओ कलम !!

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  16. उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
    आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
    sundar panktiyaan ....

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  17. माँ कि ममता का सुन्दर शब्दों में चित्रण किया है आपने !!

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  18. कलम थक जाते है "माँ" के बखान में...फिर भी नही सिमट पाती माँ,इन शब्दों के सहारे...|
    बहुत सुंदर |

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  19. घर में बूढ़े बाप से अक्सर उलझ जाती है वो,
    लड़कर भी बेटों के हक् में फैसला कराती माँ!

    इतना प्यार करेगा कौन माँ करती जितना ।

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  20. बहुत प्यारी सी कविता ..... माँ से बढ़कर कोई नहीं

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  21. जब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही, ........नहीं
    आँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!

    उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,........मेरी ...........


    आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!

    बेहतरीन भावांजलि माँ के नाम .

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  22. सिर्फ बेटे ही नहीं ..बेटियों की भी हमदर्द होती है माँ .....बच्चों के बीच के फर्क को पहचाना नहीं ..क्योंकी वास्तव में माँ सिर्फ होती है माँ ...!!!

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  23. जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
    और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
    मन को छूते रचना के भाव ...

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  24. माँ को समर्पित बहुत सुन्दर रचना ।

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  25. माँ का प्रेम अतुलनीय है...बहुत प्यारी रचना..

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  26. जब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
    आँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!
    bahut sunder
    rachana

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  27. माँ की ममता अमूल्य होती है ,कही पढ़ी पंक्तियाँ याद हो आई --हरी दूब सी, छाया बरगद सी ,कभी रामायण कभी गीता सी सदा पावन माँ
    ,

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  28. बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना ने अभिभूत कर दिया बहुत बहुत बधाई इस उत्कृष्ट रचना के लिए

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  29. उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
    आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!
    bilkul sahi likha hai dheerender ji, maa aisi hi hoti hai..bahut sundar!

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  30. जब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
    आँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!

    उम्र काफी हो चली मेरी याद आती है मेंरी माँ,
    आज भी नजरें उतारती"धीर"की होती जो माँ!

    आज फिर ये पंक्तियाँ मानो मन को छु सी गयी हो ...
    आज आपसे बातें करके बहुत अच्छा लगा

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  31. जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
    और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  32. मां तो मां होती है....बच्‍चे की उम्र जि‍तनी भी हो जाए...वो छोटा ही रहता है उनकी नजरों में...भावपूर्ण रचना

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  33. माँ दुनिया की एक अजीम हस्ती.जिसके पैरों तले जन्नत है.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  34. बेहतरीन रचना ...माँ तो बस माँ होती है |

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  35. माँ एक रास्ता तो होती ही है
    माना कि नहीं भी कहीं होती है !

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  36. इंसानी रिश्तों में सबसे पाक रिश्ते की एक बड़ी ही सहज प्रस्तुति!!

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  37. वाह बहुत खूबसूरत भावनात्मक प्रस्तुति माँ शब्द का दूसरा कोई विकल्प नहीं बहुत सुन्दर रचना |

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  38. माँ, एक सुन्दर, मनभावन, लाजवाब एहसास है, व इस रूप की किसी से तुलना नहीं की जा सकती |

    टिप्स हिंदी में

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  39. माँ शब्द का दूसरा कोई विकल्प हो भी नहीं सकता. खूबसूरत भावनात्मक प्रस्तुति.

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  40. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  41. न हिन्दू , न मुसलमान
    न सिख , न ईसाई .
    गौर से सब देखो मुझे , मैं हूँ
    तुम सब की माई .
    क्यूँ लड़ते हो आपस मे ...... ?
    तुम सब तो हो भाई - भाई....
    कर दोगे हज़ार टुकड़े , मेरे
    क्या यही कसम है , तुमने खाई.
    कुर्सी का चढ़ा है चश्मा ऐसा , कि
    नज़रे घुमाते ही ,
    चारो तरफ बस ,
    कुर्सी ही कुर्सी नज़र आई......!
    भारत की सरजमीं को सीचा था,
    जिस प्यार व एकता ने ,
    आज फिर वही लुटती हुई ,
    नज़र आई .
    कटते जा रहे है अंग मेरे ,
    ममता आज मेरी ,
    बहुत बेबस नज़र आई ....!
    छलनी कर सीना मेरा ,
    ये कैसी विजय है पाई .
    माता के तो कण - कण में बसी है,
    शहीदो के प्यार व त्याग की गहराई .

    ट्रेन की वर्तमान स्थिति क पता करे

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  42. माँ को समर्पित बहुत भावुक रचना...

    जिंदगी की धूप में खुद को खड़ा करती है वो,
    और बच्चों के लिये साया घना करती है माँ!

    शुभकामनाएँ.

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  43. बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
    बधाई

    इंडिया दर्पण
    की ओर से शुभ नवरात्र।

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  44. बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
    बधाई

    इंडिया दर्पण
    की ओर से शुभ नवरात्र।

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  45. भावुक कर देने वाली रचना।
    मुनव्वर राना याद आ गए।

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  46. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  47. jindagi ki her seher or sham si hoti hai maa
    aadmi ke liye bhagwan si hoti hai maa
    hai jo duniya mai pyaar ka itne phalsafa
    ye pyaar ki shuruaat me bhi hoti hai maa
    leta hai baccha pahla naam jo , wo naam bhi hota hai maa
    bin maa ke jiven shru aur khatam kahan hota hai mere dost
    zsara is kamjor aadmi ko ye bta.

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  48. गजब की अभिव्यक्ति है वाह आदरणीय धीरेन्द्र जी वाह
    माँ पर इस संवेदनशील कविता के लिए
    हादिक बधाई

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,