मेरे सपनो का भारत
वर्षों पहले हम आजाद हुए ,आजाद तराना गाते है,
शान-ऐ तिरंगा लहराकर,भारत स्वतंत्र बतलाते है!
स्वतंत्रता का मतलब क्या , भ्रष्टाचार इतिहास गढे,
क्या गाँधी ने सोचा था,कि भारत में आतंकवाद बढे!
मेरे भारत के नेता गण , क्या मनोदशा के रोगी है,
निशदिन बढ़ती मँहगाई,ढोंगी नेताओं की भोगी है!
मजबूरी में दे रहे जान,किसान देश का अन्नदाता,
वोटो से नेता बनते,बन जाते फिर भाग्य-विधाता!
देख रही सारी जनता,कट गया हाथ मजबूरी है
जनता से ही है शासन,बस कुछ सालो की दूरी है
कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
धीरेन्द्र भदौरिया
OBO - अंक 23 -में शामिल रचना
वर्षों पहले हम आजाद हुए ,आजाद तराना गाते है,
शान-ऐ तिरंगा लहराकर,भारत स्वतंत्र बतलाते है!
स्वतंत्रता का मतलब क्या , भ्रष्टाचार इतिहास गढे,
क्या गाँधी ने सोचा था,कि भारत में आतंकवाद बढे!
मेरे भारत के नेता गण , क्या मनोदशा के रोगी है,
निशदिन बढ़ती मँहगाई,ढोंगी नेताओं की भोगी है!
मजबूरी में दे रहे जान,किसान देश का अन्नदाता,
वोटो से नेता बनते,बन जाते फिर भाग्य-विधाता!
देख रही सारी जनता,कट गया हाथ मजबूरी है
जनता से ही है शासन,बस कुछ सालो की दूरी है
कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
धीरेन्द्र भदौरिया
OBO - अंक 23 -में शामिल रचना
जी पढ़ा है |
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना के लिए बधाई |
धीरेन्द्र भाई ||
सार्थक रचना....
जवाब देंहटाएंपहले स्वतंत्रता का मतलब ही समझना है तभी सपनों का भारत सपनों से बाहर निकलेगा
जवाब देंहटाएंकब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
जवाब देंहटाएं....एक सार्थक रचना !!
सपनों का भारत जरूर बनेगा ... साहस और विश्वास बना रहे ...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना ...
देश की मौजुदा हालत देख रर तो लगता है, सपनों का भारत ..शायद सपनों में रह जाएगा..सार्थक रचना..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुन्दर सार्थक रचना सर, बहुत-२ बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंकब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
जवाब देंहटाएंसाकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
सकारात्मक संदेश देती अच्छी रचना
बहुत ही खूबसूरत कविता आभार |
जवाब देंहटाएंकब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
जवाब देंहटाएंसाकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
सार्थक रचना..
sarthak rachna badhai
हटाएंशानदार रचना टूटे हुए खाबों का रूपक ,भ्रष्ट व्यवस्था और वोट तन्त्र को ललकारती रचना .
जवाब देंहटाएंवर्षों पहले हम आजाद हुए ,आजाद तराना गाते है,(हैं )
शान-ऐ तिरंगा लहराकर,भारत स्वतंत्र बतलाते है!(हैं !)
स्वतंत्रता का मतलब क्या , भ्रष्टाचार इतिहास गढे,
क्या गाँधी ने सोचा था,कि भारत में आतंकवाद बढे!
मेरे भारत के नेता गण , क्या मनोदशा के रोगी है,(हैं )
निशदिन बढ़ती मँहगाई,ढोंगी नेताओं की भोगी है!
मजबूरी में दे रहे जान,किसान देश का अन्नदाता,
वोटो(वोटों )से नेता बनते,बन जाते फिर भाग्य-विधाता!
देख रही सारी जनता,कट गया हाथ मजबूरी है
जनता से ही है शासन,बस कुछ सालो(सालों ) की दूरी है
कब तक ये जुल्म सहेगें(सहेंगे ),लगाओ मिलकर ताकत,
साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो(सपनों ) का भारत!
बधाई इतनी सुन्दर रचना के लिए .
कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
जवाब देंहटाएंसाकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
सही लिखा है सर...प्रयास जरूरी है|
मेरे सपनों के भारत को बढ़ने का पोषण दो।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना और सुंदर शीर्षक :-)
जवाब देंहटाएंकब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
जवाब देंहटाएंसाकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
बहुत ही खूबसूरत कविता आभार |
शानदार रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंशानदार रचना
जवाब देंहटाएं"मेरे सपनों का भारत "कुछ सच्चाइयों की तरफ ध्यानाकर्षित करती है | बढियां रचना है सर |
जवाब देंहटाएंभारत की बिडम्बना का ह्रदय स्पर्शी चित्र उकेरती एक सार्थक रचना!
जवाब देंहटाएंसुंदर सपना, वाह !!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना ...आभार
जवाब देंहटाएंyathaarthpoorn , saamyik rachanaa
जवाब देंहटाएंAchchha likha hai
जवाब देंहटाएंवाह !!......
जवाब देंहटाएंभारत की बिडम्बना का
ह्रदय स्पर्शी चित्र उकेरती,
सच्चाइयों की तरफ
ध्यानाकर्षित करती
एक सार्थक रचना! आभार
bhaut achchhi rachana ....
जवाब देंहटाएंअब सपनो में ही भारत कि छवि रह गयी है...सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता ,,,
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों का संगम ... आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रयास ।
जवाब देंहटाएंभारत ... विश्व गुरु बने ... यह हमरा .. धेय्य होना चाहिए
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना |बहुत खूब लिखा है आपने | बधाई स्वीकारें धीरेन्द्र जी | आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंमिलकर और अच्छी प्रकार से सोच समझ कर
ताकत लगाने से ही काम चलेगा अब.
प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.
यथार्थपरक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंnice presentation ''बेरोजगारों की भीड़ ''.
जवाब देंहटाएंsunder prastuti sunder bhavon se bhari
जवाब देंहटाएंrachana
सपनों का भारत बनाने में हम मे से हरेक को करना होगा योगदान ।
जवाब देंहटाएंकब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
जवाब देंहटाएंसाकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
इन दो पंक्तियों में आपने बहुत सारा मेसेज दे दिया है.बहुत खूब.
sundar..sikhane vali prastuti:)
जवाब देंहटाएंsundar rachna..
जवाब देंहटाएंसुधीजनो,,,,,पाठकों,,,
जवाब देंहटाएंअचानक कार्य बस बाहर जा रहा हूँ,१७/९/ को शाम फिर मिलते है,,,,सहयोग के लिये आभार,,,,
देश के हालात का सच्चाई से बयान किया है ...अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहमारा तो पूरा जोर है सर जी!
जवाब देंहटाएंWaaaaah Kya kahene kya jazbaat ka andaaz hai....Waa
जवाब देंहटाएंइस बार जनता कुछ कमाल तो करेगी वैसे अब वो भी जान चुकी है की परिवर्तन जरुरी है..तभी सपनों का भारत सच में अपने वास्तविक रूप को प्राप्त कर पायेगा..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना श्रीमान जी...धन्यवाद !!
http://thehinduvoice.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंघायल भारत माता की तस्वीर दीखाने आया हू
वाह धीरेन्द्र जी बहुत सुन्दर चित्र प्रस्तुत किया है इस काव्य के माध्यम से
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
बहुत ही सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंमिलकर और अच्छी प्रकार से सोच समझ कर
जवाब देंहटाएंताकत लगाने से ही काम चलेगा अब.
अतिसुन्दर....
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