पांच सौ के नोट में.....
पहन कर खादी
क्या चली तुम्हारे नाम की आंधी
आजादी के सपने दिखा करबापू-?
यहीं पर हो गयी चूक
आपसे हो गयी नादानीऔर हमारे देश ने क्या पाया-?
पाया सिर्फ-
आतंक, गरीबी, अत्याचार,महगांई, नेता,भ्रष्टाचार
इनके बारे में,आपके क्या है विचार
आँख,कान,मुह,बंद किये
क्यों बैठे हो-?कुछ करते क्यों नहीं
कुछ बोलते क्यों नहींलगता है परदे में-?
अपने आप को भ्रष्टाचार के
दलदल में फँसा डाला है!और आजकल,,,,
बैठे दिखाई पड रहे हो
धीरेन्द्र भदौरिया,
सशक्त अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमुन्नाभाई से दोस्ती कर,
जवाब देंहटाएंअपने आप को भ्रस्टाचार (भ्रष्टाचार) के
दलदल में फँसा डाला है!
इसीलिये आप मौन है(हैं )
जिंदगी भर संघर्स (संघर्ष )किया
एक लाठी और लगोट (लंगोट )में,
और आजकल,,,(,लंगोट है आपका समाज वादियों ,सेकुलर वीरों के पास )
बैठे दिखाई पड रहे हो
पांच सौ के नोट में,,,,(,इनमे भी कितने हैं असली कितने हैं नकली ,तुम्हें नहीं मालूम ..).भाई साहब सशक्त रचना है .बधाई .जन्म अष्टमी की .श्रेष्ठ रचना कर्म की .
औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली
औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली
सार्थक रचना .... !
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
bahut hi badiyaa aur saarthak rachanaa .bahut badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंmere blog per aapka swagat hai jo chaar mahine baad phir se shooroo ho paayaa hai .kuch probelam aa gai thi ab main phir se aap sabke saath jud paoongi .thanks,
.बहुत सार्थक प्रस्तुति .श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें . ऑनर किलिंग:सजा-ए-मौत की दरकार नहीं
जवाब देंहटाएंBAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी के अवसर पर स्वतंत्रता दिवस की रचना देखकर थोड़ा आश्चर्य हुआ.. लेकिन कविता प्रभावशाली है.. बधाई!!
जवाब देंहटाएंBhahut khub
जवाब देंहटाएंBhahut khub
जवाब देंहटाएंहमने गाँधी और खादी दोनों का अपमान किया है !
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत के सभी मित्रों को कान्हा जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां ..
जवाब देंहटाएंहम सभी के जीवन में कृष्ण जी का आशीर्वाद सदा रहे...
जय श्री कृष्ण ..
एक व्यंगात्मक सशक्त प्रस्तुति पेश करने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य!!
जवाब देंहटाएंदेखो न संतोषी को ही धन-प्रतीक बना दिया है।
जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
जबरदस्त -
जवाब देंहटाएंदिखा हमेशा ही यहाँ, लाठी और लंगोट में |
आज शान से देखो बैठा, पाँच सौ की हर नोट में ||
गजब भाई जी ||
बधाई ||
जय श्री कृष्ण ||
अब बापू के साथ औरों को भी बिठाने का विचार है।:)
जवाब देंहटाएंक्या करें, जबरन जो सम्मान दे दिया गया।
जवाब देंहटाएंWAAH!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
वास्तव मे उस समय देश परायो ने गुंलाग बनाया हुआ था पर क्या करे आज तो अपने ही अपनो को गुलाम बनाये हुये है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया....
जवाब देंहटाएंजबरदस्त
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सार्थक प्रस्तुति .श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंkabhi humare blog par bhi aaye dheerender ji
जवाब देंहटाएंhttp://rajkumarchuhan.blogspot.in
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएं।।♥।।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।।♥।।
बहुत खूब!बात पसंद आई।
जवाब देंहटाएंइसलिए आपको ढेरों बधाई।
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,सशक्त रचना..
जन्मअष्टमी की शुभकामनाएं
अनु
कुछ बोलते क्यों नहीं
जवाब देंहटाएंजरूर दाल में काला है,
लगता है परदे में-?
मुन्नाभाई से दोस्ती कर,
अपने आप को भ्रष्टाचार के
दलदल में फँसा डाला है!
हाँ धीरेन्द्र जी लगता तो ऐसा ही है ...अब तो काले में ही दाल है
आभार
भ्रमर 5
बहुत बढ़िया...... कहाँ चल पाए हम उनके दिखाए रास्तों पर .....
जवाब देंहटाएंसशक्त सार्थक रचना.. जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसशक्त अभिव्यक्ति ......
जवाब देंहटाएंसटीक, सार्थक प्रस्तुति... श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंएक बात मै खास कर आपसे कहना चाहूँगा की आपका लिखा पढने का एक अलग ही मजा है.इसी लिए काव्यांजली की हर पोस्ट हमे खींचकर यहाँ ले आती है.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
बहुत अच्छी सटीक व्यंगात्मक प्रस्तुति गांधी जी से शिकायत का अंदाज बहुत भाया
जवाब देंहटाएंजोरदार व्यंग ।
जवाब देंहटाएंबेहद सशक्त पोस्ट.... आक्रोश युक्त व्यंग्य की संदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ा कटाक्ष है, जिसे महात्मा की उपाधि मिली उन्हें रुपये में मढ दिया गया. देश की आज़ादी का सपना क्या बापू ने ऐसा देखा था? काश, बापू तक आपकी शिकायत पहुँचती. बहुत अच्छी रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग्य
waah bahut khoob karara vyang , 500 ka note satik post
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...सत्यता पर आधारित
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक कटाक्ष....
जवाब देंहटाएंकड़वा यथार्थ
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक
बहुत सही लिखा है |
जवाब देंहटाएंआशा
सार्थक अभिव्यक्ति..........व्यंग्य सटीक और सार्थक
जवाब देंहटाएंजिंदगी भर संघर्ष किया
जवाब देंहटाएंएक लाठी और लंगोट में,
और आजकल,,,,
बैठे दिखाई पड रहे हो
पांच सौ के नोट में,,,,,
बहुत खूब !
सटीक उलाहना।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंकाश गांधी जी ये सुन पाते !
लेकिन आज उनकी गांधीगीरी चल पाती क्या ( ऐसे भ्रष्ट नेताओं के सामने) ?
सुंदर, सार्थक सटीक व्यंग्य !
सशक्त अभिव्यक्ति......काश गांधी जी ये सुन पाते !
जवाब देंहटाएंआज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहिन्दुस्तान आजाद कराया
जवाब देंहटाएंबापू-?
यहीं पर हो गयी चूक.
बहुत खूब धीरेन्द्र जी , आपकी रचनाओं में एक नया टेस्ट मिला. लाजवाब
500 ही क्यों हज़ार के नोट में भी दिखाई पड़ रहे हो .... बहुत सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंbahut hi badiyaa aur saarthak rachanaa .......bahut badhaai aapko....
जवाब देंहटाएंसशक्त,व्यंग्यात्मक रचना.
जवाब देंहटाएंआपको भी स्वतन्त्रता दिवस की अनेकानेक शुभकामनायें!
dheerandar ji bahut hi shashakt rachana .....sadar badhai .
जवाब देंहटाएंअपने तीन बंदरों की तरह
जवाब देंहटाएंआँख,कान,मुह,बंद किये
क्यों बैठे हो-?
कुछ करते क्यों नहीं
कुछ बोलते क्यों नहीं........bolte to hain ,par note ke rup me hi, jiske paas jate hai aur samne wala chup...!!
बहुत ही बढ़िया । राही मासूम रजा की एक सुंदर कविता पढ़ने के लिए आपका मेरे पोस्ट पर आमंत्रण है ।
जवाब देंहटाएंसशक्त रचना..
जवाब देंहटाएं