आश्वासन,,
गाँव में मंत्री जी वर्षों बाद पधारे,
यह सुनकर गाँव वालो के हो गए वारे न्यारे,
दौड़ा-दौड़ा मै भी उनके पास आया
एक ही साँस में गाँव की सारी बात कह सुनाया!
सोचा था मंत्री जी करवा देगें सारे काम,
हमारे गाँव को देगें आदर्श ग्राम का नाम
पर क्या वे ढेर सारे कागज अपने साथ ले गए,
और हमे आश्वासनो का झूठा पुलिंदा दे गए
हमारे गाँव की समस्या आज भी वही है,
कहीं पानी नही,तो कहीं कीचड की दही है,
बिजली का तो दूर दूर तक नही है नाम
कोस कर नेता जी को चिमनी जलाते हर शाम,
गाँव वाले उनके आश्वासनों को धीरे-धीरे भूल रहे है
और चंदे के पैसों से पानी की समस्या हल कर रहे है,
पांच साल बाद आयेगे फिर यहीं-
देंगे लम्बा चौड़ा भाषण बात करेगें वही.
अब हमको उनकी बातों में नहीं आना है
दौडकर उनके पास जल्दी नही जाना है
गाँव के विकास को,
अपनी मेहनत के बल पर आगे बढाएगें.
ऐसे मंत्रियों के आश्वासनों को,
स्वप्न समझ कर भूल जायेगें-
अबकी चुनाव में उनको सबक सिखायेगें!
dheerendra,bhadauriya
गाँव में मंत्री जी वर्षों बाद पधारे,
यह सुनकर गाँव वालो के हो गए वारे न्यारे,
दौड़ा-दौड़ा मै भी उनके पास आया
एक ही साँस में गाँव की सारी बात कह सुनाया!
सोचा था मंत्री जी करवा देगें सारे काम,
हमारे गाँव को देगें आदर्श ग्राम का नाम
पर क्या वे ढेर सारे कागज अपने साथ ले गए,
और हमे आश्वासनो का झूठा पुलिंदा दे गए
हमारे गाँव की समस्या आज भी वही है,
कहीं पानी नही,तो कहीं कीचड की दही है,
बिजली का तो दूर दूर तक नही है नाम
कोस कर नेता जी को चिमनी जलाते हर शाम,
गाँव वाले उनके आश्वासनों को धीरे-धीरे भूल रहे है
और चंदे के पैसों से पानी की समस्या हल कर रहे है,
पांच साल बाद आयेगे फिर यहीं-
देंगे लम्बा चौड़ा भाषण बात करेगें वही.
अब हमको उनकी बातों में नहीं आना है
दौडकर उनके पास जल्दी नही जाना है
गाँव के विकास को,
अपनी मेहनत के बल पर आगे बढाएगें.
ऐसे मंत्रियों के आश्वासनों को,
स्वप्न समझ कर भूल जायेगें-
अबकी चुनाव में उनको सबक सिखायेगें!
dheerendra,bhadauriya
कहीं पानी नही,तो कहीं कीचड की दही है,
जवाब देंहटाएंकहीं पानी नही,तो कहीं कीचड की दही है,
नेताओं की मेरे देश में करनी यही है .बढ़िया प्रस्तुति .
...सबक सिखाने में अगर देर कर दी तो नेताजी फिर से मंत्री बन जायेंगे !
जवाब देंहटाएंचुनाव आने तक भूल जायेंगे ।
जवाब देंहटाएंआश्वासन देनेवालों से अधिक लेनेवालों की गलती है ...
जवाब देंहटाएंचुनाव आने तक देनेवाले मूर्खों को याद रखते हैं , मूर्ख ही भूल जाते हैं ...
सहज सरल मनोभावों की लरी , सुन्दर कहने का ढ़ंग .....
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया ......
बढ़िया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंसबक सिखाने तक सिलसिला चलता ही रहेगा .
जवाब देंहटाएंव्यंग्य के माध्यम से अपनी बात कहना भी कला है , बधाई
जवाब देंहटाएंबहूत हि बढीया व्यंग रचना है..
जवाब देंहटाएंइस बार चुनाव में जरूर सबक सिखायेंगे...
:-)
हर बार वही कहानी दोहराते हैं ,
जवाब देंहटाएंअगले चुनाव आने तक वोटर भी भूल जाते हैं .
स्वप्न समझ कर भूल जायेगें-
जवाब देंहटाएंअबकी चुनाव में उनको सबक सिखायेगें!
यह चक्र इसी तरह ही चलता रहता परन्तु स्थिति यथावत. चिंतनशील रचना. बधाई धीरेन्द्र जी.
काश ये बात हर हिन्दुस्तानी की समझ मे आये।
जवाब देंहटाएंहर बार,
जवाब देंहटाएंचमत्कार,
पाँच वर्ष,
इंतजार।
इधर कोरी धमकी,
जवाब देंहटाएंउधर कोरा आश्वासन .....
गाँव के विकास को,
जवाब देंहटाएंअपनी मेहनत के बल पर आगे बढाएगें.
ऐसे मंत्रियों के आश्वासनों को,
स्वप्न समझ कर भूल जायेगें-
अबकी चुनाव में उनको सबक सिखायेगें!
सुन्दर !
aapki rachnaye kamal ki hoti hai dheerendra ji
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंनेता द्वारा ...आश्वासन ही आश्वासन ...बहुत खूबसूरत कटाक्ष
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
आश्वासन ही आश्वासन ... खूबसूरत कटाक्ष......
जवाब देंहटाएंआश्वासन का जो शव निकाले मंत्री कहलाए .
जवाब देंहटाएं:-) अच्छा लिखा है...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई |
गाँव का विकास मंत्रियों के भरोसे तो बिलकुल नहीं हो सकता .... सबक सीखा ही देना चाहिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जी ...
जवाब देंहटाएंसबक तो यही लोग सिखाते आ रहे हैं... हम ही नहीं सीखते... फिर उन्हीं को सबक सिखाने का ठेका दे कर भेज देते हैं....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना सादर।
बहुत बढ़िया व्यङ्गात्म्क प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर और शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंsahi bat....
जवाब देंहटाएंनेताओं पर शानदार टिप्पणी :)
जवाब देंहटाएंपर क्या वे ढेर सारे कागज अपने साथ ले गए,
जवाब देंहटाएंऔर हमे आश्वासनो का झूठा पुलिंदा दे गए
हमारे गाँव की समस्या आज भी वही है,
कहीं पानी नही,तो कहीं कीचड की दही है,
बिजली का तो दूर दूर तक नही है नाम
कोस कर नेता जी को चिमनी जलाते हर शाम,
बेहतरीन प्रस्तुति, खूबसूरत कटाक्ष, बहुत बहुत बधाई |
सटीक रचना.
जवाब देंहटाएंलाजवाब! :):)
जवाब देंहटाएंsamayik satik rachanaa..
जवाब देंहटाएंati sunder
जवाब देंहटाएं.......बेहतरीन ....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कटाक्ष, बहुत बहुत बधाई |
अति सुन्दर कटाक्ष लिखा है.....
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कटाक्ष बेहतरीन प्रस्तुति !!!
जवाब देंहटाएंस्मरण रहे की नेता जी द्वारा दिए गए आश्वाशन और किये गए वादे सभी काल्पनिक होते हैं जिनका आम जनता से कोई लेना-देना नहीं होता है......खूबसूरत कटाक्ष, बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंएक दम सही चरित्र चित्रण किया है आपने.आज कल बिलकुल यही हाल है.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
बहुत सुन्दर और सटीक चित्रण.....
जवाब देंहटाएंठीक ही है -जब तक ख़ुद सबक नहीं सीखेंगे ,दूसरे को भला कैसे सिखायेंगे !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ..सटीक चित्रण.....
जवाब देंहटाएंbehtarin..mere blog par bhee aapka swagat hai
जवाब देंहटाएंमनोभाव का सुंदर सम्प्रेषण , बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना,,,,,,
ज़रा संभलकर हुज़ूर,आजकल क्रांति के सूत्रधारों की खैर नहीं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअब हमको उनकी बातों में नहीं आना है
जवाब देंहटाएंदौडकर उनके पास जल्दी नही जाना है
गाँव के विकास को,
अपनी मेहनत के बल पर आगे बढाएगें.
ऐसे मंत्रियों के आश्वासनों को,
स्वप्न समझ कर भूल जायेगें-
अबकी चुनाव में उनको सबक सिखायेगें!
काश ऐसा हो । हमारी स्मरण शक्ती कमजोर ना पडे ।