रविवार, 20 मई 2012
किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
किताबे,कुछ कहना चाहती है,
तुम्हारे पास रहना चाहतीं है,
किताबें करती है बातें, बीते जमानों की,
दुनिया कि इंसानों की!
आज की, कल की,एक एक पल की,
खुशियों की, गमो की,फूलों और बमों की,
जीत की, हार की, प्यार कि ,मार की,
क्या तुम नहीं सुनोगे,इन किताबो की बाते-?
किताबें कुछ कहना चाहती है,
तुम्हारे पास रहना चाहती है!
किताबों में चिडियाँ चह्चहाती है,
किताबों में खेतियाँ लहलहाती है!
किताबों में,झरने गुनगुनाते है,
परियों के किस्से सुनाते है!
किताबों में राकेट का राज है,
किताबों में साइंस की आवाज है!
किताबों का कितना बड़ा संसार है
किताबो में ज्ञान का भण्डार है,
क्या तुम इस संसार में नही आना चाहोगे?
किताबे, कुछ कहना चाहती है,
तुम्हारे पास रहना चाहतीं है!
नोट , ये मेरी लिखी रचना नही है मेरी पुरानी डायरी में लिखी थी मुझे अच्छी लगी तो ,
आप लोगों के लिये पेश कर रहा हूँ शायद आपको पसंद आये ,,,,,
संतोष त्रिवेदी जी,द्वारा जानकारी मिली कि ये रचना "सफ़दर हाश्मी जी "कि है ,
संतोष जी ,,,,,,बहुत२ आभार,रचनाकार का नाम बताने के लिये ,,,,,,
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किताबे,कुछ कहना चाहती है,तुम्हारे पास रहना चाहतीं है!
जवाब देंहटाएंसचमुच, किताबों का संसार अद्भुत संसार है|
किताबें हमेशा हमारे पास रहती हैं, बिलकुल किसी अपने की तरह, सबकुछ कहती हैं, सिखाती हैं। सुन्दर रचना... आभार
जवाब देंहटाएंकिताबें ही तो वे मित्र हैं जो कभी साथ नहीं छोडती .......बहुत सुंदर बात की आपने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
अकेलेपन की सच्ची साथी है यह किताबें ... बस इन से एक बार दोस्ती करने की देर है !
जवाब देंहटाएंज्ञानोपासना का इष्ट किताबें
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या.
जवाब देंहटाएंकिताबें लेखक का पूरा व्यक्तित्व बाँचती हैं।
जवाब देंहटाएंकिताबें करती है बातें,बीते जमानों की,
जवाब देंहटाएंभगवान से लेकर,दुनिया के इंसानों की!
किताबें नहीं होती तो *हम(मैं-आप-अन्य) यहाँ होते .... ??
वाह---
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन बहुत सुन्दर रचना!
किसी ने कहा है ," Books are the best friend ....यह शत -प्रतिशत सत्य कथन है , आपका पुस्तकानुराग अच्छा लगा बधाईयाँ जी /
जवाब देंहटाएंकिताबे बहुत अछी दोस्त होती है
जवाब देंहटाएंइस आभास को बड़ी सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है!
संजय भास्कर
बहुत सुंदर सर................
जवाब देंहटाएंकिताबों से अच्छा कोई मित्र नहीं...ये सिर्फ देतीं ही देतीं हैं...कुछ मांगती नहीं.....
सादर.
बहुत हि सुन्दर विषय को उजागर कराती यह कविता, किताबें दुनिया में सबसे ऊपर है,
जवाब देंहटाएंआज जो कुछ भी है किताबों कि बदौलत वैज्ञानिकों से लेकर साधू संतों तक सभी का वर्चस्व
किताबो से हि चल रहा है,किताबों से हि पल रहा है,
kitab or aap kabhi akele nahi ho sakte......isliye kitabo se dosti kare.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से आभार।
बहुत ही अच्छी प्रस्तुती सर।
जवाब देंहटाएंफुर्सत के लम्हात एक बार फिर से हो जाएँ ,
किताबों की उस दुनिया में एक बार फिर से खो जाएँ।
मोहब्बत नामा
kitab se accha or saccha koi mitra nahi hota hai..
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya or sarthak lekhana:-)
इंसान की सबसे बड़ी मित्र, सखा, और रहबर होती हैं यह किताबें .....सुन्दर !
जवाब देंहटाएंकिताबों के बिना घर, बिना खिडकी कमरे की तरह है!
जवाब देंहटाएंmujhe to lagta hai is duniya me kitabon se adhik sachcha sathi koi or hai hi nahi. jab man udas ho to hasati b hai rula kar gam halka b arti hai. bahut hi achchhi rachna hai dheerendra ji... badhai
हटाएंकिताबे मेरी सहेली भी हैं
जवाब देंहटाएंहमसफ़र हैं मेरी यादों की ||..अनु
इकिताबों का महत्त्व कम लोग ही समझ पाते हैं |पर जो समझ पाते हैं उनके बिना रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते |यह रचना बहुत ही अच्छी लगी |बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
अगर आप की किताबों से दोस्ती है तो आप कभी अकेलापन महसूस नहीं होगा ....बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंधर्मेन्द्र सिंह जादौन
कल 21/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुंदर रचना ...!!
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 21-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-886 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
वाह वाह ,रचना कुछ जानी पहचानी सी लगी और पढी पढी सी भी , फ़िर नीचे पंक्तियों में स्पष्टीकरण देखा तो पता चल गया । "सफ़दर हाशमी "....(आपने आजमी लिख दिया है भूलवश शायद )जी की लेखनी से निकली है ये । बहरहाल यहां साझा करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया । संतोष माट साब की निगाह के पारखी तो हम हईये हैं कब्बे से अईसे ही नहीं
जवाब देंहटाएंकिताबे दिल ही तो है ! हर मोड़ पर ! टूट न जाएँ !
जवाब देंहटाएंआभार |
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ||
एक देहतरीन रचना पढ़वाई आपने।
जवाब देंहटाएंकिताबें करती है बातें, बीते जमानों की,
जवाब देंहटाएंदुनिया कि इंसानों की!
कि के स्थान पर 'की 'करें .एक और जगह ऐसा ही करना पड़ेगा .शुक्रिया इस पोस्ट के लिए .
किताबों सा कोई सगा भी नहीं है ,
किताबों से आगे जहाँ भी नहीं है .
कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
http://veerubhai1947.blogspot.in/
रविवार, 20 मई 2012
कब असरकारी सिद्ध होता है एंटी -बायटिक : ये है बोम्बे मेरी जान (तीसरा भाग ):
bahut sunder
जवाब देंहटाएंसच ही किताबों का संसार अद्भुत होता है ... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंअच्छे कि बुरे,जो भी हैं हम
जवाब देंहटाएंये किताब है कि बचे हैं हम
कालजयी रचना....
जवाब देंहटाएंइस सुंदर रचना को पढ़वाने के लिए सादर आभार...
जवाब देंहटाएंबर्नाड शा ने कहा है की मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूँगा क्योंकि जहाँ ये होंगी वहाँ स्वर्ग स्वयं बन जायेगा ।
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन रचना प्रस्तुति के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंकिताबों में,झरने गुनगुनाते है,
जवाब देंहटाएंपरियों के किस्से सुनाते है! ........इस सुंदर रचना को पढ़वाने के लिए सादर आभार...
वाह...बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंbehtarin kriti...kitabon se accha koi dost nahi..sadar badhayee
जवाब देंहटाएंकिताबों में,झरने गुनगुनाते है,
जवाब देंहटाएंपरियों के किस्से सुनाते है! bhaut hi behtreenm abhivaykti.....
कविता अच्छी लगी । मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकिताबें कहती है भविष्य कथन ,रचतीं हैं एक परि कथा ,
जवाब देंहटाएंखुश्वंती फेंटेसी ,
अमृता प्रीतम /पुष्पा मैत्रियी की आत्म कथा ,
करती हैं परिशोधन पूर्व लिखित शोध का .
भाई साहब अच्छी प्रस्तुति है किताबें कुछ कहतीं हैं .बधाई .
यह बोम्बे मेरी जान (चौथा भाग )http://veerubhai1947.blogspot.in/
तेरी आँखों की रिचाओं को पढ़ा है -
उसने ,
यकीन कर ,न कर .
कृपया यहाँ भी पधारें -
दमे में व्यायाम क्यों ?
दमे में व्यायाम क्यों ?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_5948.html
किताबों से अच्छा और कोई मित्र नहीं
जवाब देंहटाएंआभार अच्छी रचना पढवाने का !
.बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंक्या तुम इस संसार में नही आना चाहोगे?
जवाब देंहटाएं.बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति.
किताबे, कुछ कहना चाहती है,
जवाब देंहटाएंतुम्हारे पास रहना चाहतीं है!
बेहतरीन प्रस्तुति.
sach hai kitabe sabse achchhi mitra hoti hain sundar rachna.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसच में किताबें बहुत कुछ और कह देती हैं और अकेले की सबसे अच्छी साथी होती हैं....
जवाब देंहटाएंकिताबो से बड़ा की दोस्त नहीं ...
जवाब देंहटाएंजहां किताबे रहती हैं वहा ज्ञान का वास रहता है ...
सारा संसार किताबों में समाया हुआ है किताबों से अच्छा कोई दोस्त भी नहीं हो सकता कितने भी नए उपकरण पढने पढ़ाने के आ जाएँ किन्तु किताबों की बराबरी नहीं कर सकता इंसान जो मुकाम हासिल करता है वो किताब की ही बदोलत करता है बहुत बहुत आभार इतनी सुन्दर रचना पढवाने के लिए
जवाब देंहटाएंMari samaji thodi kavita ki kam hi per isi padnai per jana ki mani kitabo ko bhaut kam hi jana hi okay best of luck
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar kavita sir
जवाब देंहटाएंaapka blog bada accha laga
aaj se main aapka naya follower
http://drivingwithpen.blogspot.in
सफदर हाशमी की यह कविता हमारे संस्थान के पुस्तकालय की दीवार पर अंकित है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया, यहां प्रस्तुत करने के लिए।
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंहैल्थ इज वैल्थपर पधारेँ।
यह रचना publish करने का शुक्रिया धीर जी.. सुंदर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंकिताबे ही हमे सुसंस्क्रत बनाती है इन्ही के कारण आज हम यहा ब्लाग पर है
जवाब देंहटाएंफेसबुक थीम को बदले
प्रगतिशील किताबों के लिए इस वेबसाइट पर जायें
जवाब देंहटाएंhttp://janchetnabooks.org/