बुधवार, 2 मई 2012
ऐसे रात गुजारी हमने.....
ऐसे रात गुजारी हमने
रातों को करवट बदल-बदल के
घूम-घूम के टहल-टहल के,
देखी राह तुम्हारी हमने
ऐसी रात गुजारी हमने
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
कानों में आवाज तुम्हारी
कितनी बार उतारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
दिल में अपने बना रखी है
इन आँखों में सजा रखी है
इक तस्वीर तुम्हारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
कुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
मीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
DHEERENDRA,"dheer"
---------इस रचना पर
अरुण कुमार निगम जी - की टिप्पणी....
हमने इस कविता को पढ़कर
एक कल्पना रथ पर चढ़ कर
उनकी जुल्फ सँवारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!...
नवीन मनी त्रिपाठी - की टिप्पणी,....
प्रणय कल्प की अमिय पुष्प से .
निर्झर बहते हर विकल्प से ...
सारी रात पुकारी हमने |
ऐसे रात गुजारी हमने ||
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वाह वाह-
जवाब देंहटाएंयह तो एक ही सांस में खत्म हो गई |
गजब प्रवाह |
सीधे साधे शब्द -
जबरदस्त भाव |
बधाईयाँ ||
उत्साह वर्धन के लिए आभार,...रविकर जी
हटाएंवाह.....मान गये धीर जी ,वहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया,...विक्रम जी,..
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंदिल में अपने बना रखी है
इन आँखों में सजा रखी है
इक तस्वीर तुम्हारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने।
क्या कहने
बहुत खूबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंगज़ब गुजारी है रात...पर उस पर क्या बीती होगी,यह भी सोचा है ?
जवाब देंहटाएंमैंने तो अपनी बात कह दी,..उसकी वो जाने,..
हटाएंवाह वाह..........................
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गज़ल
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
कानों में आवाज तुम्हारी
कितनी बार उतारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
लाजवाब!!!!
सादर.
वाह ...वाह....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गज़ल....
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
कानों में आवाज तुम्हारी
कितनी बार उतारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
लाजवाब !!!!
सादर.
सच कहा है आपने.. अगर ऐसे बहाने साथ न हों तो रात गुजारना एक नागिन के डंसने से कम क्या है!! बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंहौसला बढाने के लिए आभार,....सलिल जी
हटाएंदिल में अपने बना रखी है
जवाब देंहटाएंइन आँखों में सजा रखी है
इक तस्वीर तुम्हारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
bahut sundar bhav ......
.वाह....बहुत खूबसूरत रचना ..
जवाब देंहटाएंयह प्रेम गीत हर उम्र में सकूं प्रदान करता रहेगा .
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्दों के साथ प्रेम भरी अभिव्यक्ति .......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्यार भरी भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्यारी-प्यारी भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंरात की उहापोह में समय बहुत ही खो डाला है।
जवाब देंहटाएंवाह... बहुत खूबसूरत लाज़वाब रचना ....
जवाब देंहटाएंकुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
आपको समर्पित
कुछ बाकि है कुछ गुजर गई कुछ और गुजर जाएगी
रपटीली राहों में शाकी ज़िन्दगी बसर हो जाएगी
खूबसूरत रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक एवं सारगर्भित कविता । मेरे पोस्ट पर आपके एक-एक शब्द मेरा मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ नई उर्जा भी प्रदान करने में समर्ख होंगे । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंएहसास का सरोवर
एक बार फिर बहुत अच्छी रचना :)
जवाब देंहटाएंकुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!......... बहुत कोमल भावों को बड़ी खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है आपने.
बहुत कोमल से भावों से बुनी रचना ...सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंनायब तरीके बताये है रात गुजारने के,
जवाब देंहटाएंबेहतेरीन प्रस्तुति
bahut hi khubsurat rachna........
जवाब देंहटाएंकुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!वाह....;बहुत सुंदर रचना
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंbahut pyari rachna ...........
जवाब देंहटाएंसुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
जवाब देंहटाएंकानों में आवाज तुम्हारी
कितनी बार उतारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
बहुत सुन्दर रचना |
दो पंक्तियाँ हमरी तरफ से ...............
कुछ सपने कुछ अहसास पिरोकर
मीठी निदियाँ मीठे सपने
सपनों का सुन्दर संसार सजाकर
हाँ ऐसी रात गुजारी तुमने
sundar abhivyakti man ke bhavon ki .aabhar
जवाब देंहटाएंवाह...!
जवाब देंहटाएंआपकी रचना पढ़कर मेरा भी होसला बढ़ा है और लगने लगा है कि कवि चिरयुवा होता है!
शास्त्री जी,..मेरा मानना है कि लिखने के लिए उम्र का कोई बंधन नही होता,गुजारे हुए लम्हों और अनुभव के आधार पर लिखना सहज हो जाता है,...
हटाएंदिल में अपने बना रखी है
जवाब देंहटाएंइन आँखों में सजा रखी है
इक तस्वीर तुम्हारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने ...
जब आँखों में किसी की तस्वीर सजी हो तो रात गुज़रती नहीं ... आसान हो जाती है ... लाजवाब रचना है ...
सारी तैयारी काम आयी या बस यूंही...
जवाब देंहटाएंकुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर......sunder bhaw.
चैन की गुज़रे आप की राते ...येही दुआ हमारी !
जवाब देंहटाएंस्वस्थ रहें!
वाह भाई वाह!
जवाब देंहटाएंइसे तो गा-गा कर पढ़ने का मज़ा ही कुछ और है।
बहुत सुंदर भाव ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
कुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!.....प्रेमरस में पगी कविता....
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हमने इस कविता को पढ़कर
एक कल्पना रथ पर चढ़ कर
उनकी जुल्फ सँवारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने.
आभार,..निगम जी
हटाएंकोमल,सुन्दर भावयुक्त अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंThanx aapke mere blog par aakar samiksh karne par jo mera mano bal bdhati hae.
जवाब देंहटाएंThanx aapke mere blog par aakar samiksh karne par jo mera mano bal bdhati hae.
जवाब देंहटाएंकुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
Bhavpurn prastuti. Behtarin rachna.
badhiya geet
जवाब देंहटाएंदिल में अपने बना रखी है
जवाब देंहटाएंइन आँखों में सजा रखी है
इक तस्वीर तुम्हारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
गीत के भाव और शिल्प बेहतर है .....!
कुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!....waah sir..kya kahne...
सुंदर , प्यारी अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंकुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
याद किया निशिवासर तुमको ,
यूं ही उम्र गुजारी ,
याद नहीं था तुमको कुछ भी ,थी कैसी लाचारी .
एक ताउम्र सांस की सरगम बन चुके एहसास को, आपने कविता में कह दिया ,
उनको कुछ याद नहीं तुम्हारी ....
वायवीय दिनों का प्रेम ऐसा ही अमूर्त होता है कुँवारी कन्या सा .
दो शब्द हमारे भी -
कोई पता न ठौर उसका ,आज तक मिला ,
ता -उम्र है ढूंढा किया ,वह पहला प्यार था .
बढ़िया प्रस्तुति धीरेन्द्र जी सबको अपना पहला प्रेम याद दिला गई .
बहुत सुन्दर अहसास बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंधीरेंद्र भाई, आपकी कविताओं में प्रयुक्त शब्द एवं भाषा - शैली किसी भी सहृदय पाठक को इसके अंतर्वस्तु से बरबस ही जोड़ देती है । प्रशंसनीय कविता की प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका विशेष आभार । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रात!...काश कि ठहर जाती!...बहुत उमदा रचना,आभार!
जवाब देंहटाएंरोम रोम में समां गयी है जब से पढ़ी आपकी कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंशानदार, जानदार और खुशबूदार भी
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
Beautiful creation.
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat bavo ke sath aapne raat gujari !
जवाब देंहटाएंsir ---kya shandaar vbehatreen rachna ki hai aapne
जवाब देंहटाएंman kokhoob -khoob bhai----
poonam
बहूत हि बढीया प्रेम गीत है..
जवाब देंहटाएंक्या कहने ??/ शानदार रचना....
सुंदर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
जवाब देंहटाएंकानों में आवाज तुम्हारी
कितनी बार उतारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!.
सुंदर एहसासों से परिपूर्ण एक सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
bahut sundar prem geet
जवाब देंहटाएंman k bhavo se galbaiyan daal sunder rachna prastut ki hai.
जवाब देंहटाएंwaah bahut khoob dheerendra ji...aap ki kavitao me hamesh ek alag ehsaas hota hai. badhai
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंकुछ तारे कुछ खुशबू चुनकर
जवाब देंहटाएंमीठे-मीठे सपने बुनकर
कर ली सब तैयारी हमने
ऐसे रात गुजारी हमने!
बहुत खूबसूरत रचना.....
प्रणय कल्प की अमिय पुष्प से .
जवाब देंहटाएंनिर्झर बहते हर विकल्प से ...
सारी रात पुकारी हमने |
ऐसे रात गुजारी हमने ||
dheerendr ji achhi rachana ke liye hardik badhai.....kuchh panktiyan manine bhi nigam ji ki tarah likh kr jodane ka pryas kiya hai ...
रातों को करवट बदल-बदल के
जवाब देंहटाएंघूम-घूम के टहल-टहल के,
देखी राह तुम्हारी हमने
ऐसी रात गुजारी हमने
DHIRENDRA JI BAHUT SUNDAR INTJAR KI GHADIYON KA SAJIVE CHITRA PRASTUT KAR DIYA APNE,
जवाब देंहटाएंमधुर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअश्रुजनित विश्रान्त उदधि की,
जवाब देंहटाएंतेरी पावन स्मृ्ति निधि की
कर ली पहरेदारी हमने
ऐसी रात गुजारी हमने