गजल
अल्मारी में सजाकर जो दीवान रखा है,
उसके हर सफे पर उनका ही नाम लिखा है!
क्यों छा गया नशा इस कदर अभी से,
पी नही, बस लबो पर जाम रखा है!
मेरे यादों के हर-गजल और रुबाई में,
उनको मोहब्बत से भरा पैगाम लिखा है!
वे बार बार बंद कर लेते है अब आँखे,
सूना है सपने में उन्हें भगवान दिखा है!
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
खुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
पूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
"धीर" के दिल को खिलौना न समझना यारों,
दिल को जज्ब कर उसमे तूफ़ान समा रखा है!
DHEERENDRA,"dheer"
अल्मारी में सजाकर जो दीवान रखा है,
उसके हर सफे पर उनका ही नाम लिखा है!
क्यों छा गया नशा इस कदर अभी से,
पी नही, बस लबो पर जाम रखा है!
मेरे यादों के हर-गजल और रुबाई में,
उनको मोहब्बत से भरा पैगाम लिखा है!
वे बार बार बंद कर लेते है अब आँखे,
सूना है सपने में उन्हें भगवान दिखा है!
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
खुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
पूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
"धीर" के दिल को खिलौना न समझना यारों,
दिल को जज्ब कर उसमे तूफ़ान समा रखा है!
DHEERENDRA,"dheer"
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
जवाब देंहटाएंखुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!... वाह वाह , बहुत बढ़िया
बढ़िया ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंपढ़कर आनन्द आया!
वे बार बार बंद कर लेते है अब आँखे,
जवाब देंहटाएंसूना है सपने में उन्हें भगवान दिखा है!
[javaab]
हुजूर अभी वक्त है, अब सभल जाईये
भगवान दिख रहे है उन्हें रहम खाईये
यह प्रेम आपका नहीं उस दर के लिए है
हर एक का वहा पे सदा,सर ही झुका है
साथ ही
प्रेम सरोवर पोस्ट में जाकर,मनभावन कह कर के आये
कथा बदल दी रामायण की,क्या उसे समर्थन दे कर आये?
साथ ही पोस्ट में उल्लेखित कुछ प्रसंग का अवलोकन करे तथा प्रेम जी को मेरे द्वारा की गयी टिप्पणी का
प्रेम जी ,
आप के पोस्ट को देख सबको आमत्रण देते रहते है मै भी पंहुचा पर यह देख ''प्रत्येक जाति के लोग “उर्मिला” कह कर संबोधित करते थे। आशय था भरत एवं उर्मिला का प्रसंग। लोगों का अपना अभिमत था कि उर्मिला भरत जी का घर के चौखट पर फूल और दिया लेकर चौदह वर्ष तक इंतजार करती रहीं लेकिन इन लोगों ने तो चौदह वर्ष से भी अधिक इंतजार किया।''पढ कर चौका.
भाई जी बतलाएगें यह रामायण कब बदली ?
भरत संग उर्मिला कथा,भी अपने मन से लिखली ?
लक्षमण थे जब वन में ,उर्मिल क्या करती थी ?
लक्षमन भूल भरत के चौखट में रहती थी ?
मत बदलो इतिहास भूल यह होगी भारी
नहीं करेगी माफ कभी भी कोई नारी
विजय जी,..मै सबको आमंत्रण नही देता,सिर्फ अपने नये पोस्ट की लिंक देता हूँ ताकि कोई मेरी पोस्ट पर आना या पढ़ना चाहे,लिंक को क्लिक कर सीधे मेरे पोस्ट पर पहुच जाए,और मेरी पोस्ट ढूढने में समय बारबाद न हो,कई रचना कारों के ३ से लेकर १० ब्लॉग होते है.उनकी रचना में जाने के लिए हर ब्लोगों को क्लिक करना पडता है जिससे समय की बर्बादी और परेशान होना पडता है,मेरा सभी ब्लोगरों से निवेदन है कि जिनके एक से अधिक ब्लॉग हो कृपया टिप्पणी के साथ रचना की लिंक लगादे ताकि पोस्ट तक जाने सरलता होगी,....
हटाएंMain aapse sahamat hun. Dhanyavad
हटाएंधीरेन्द्र जी
हटाएंमेने अपनी टिप्पणी में आप से यह कहा ही नहीं ,उपरोक्त उत्तर तो मैने प्रेम जी को दिया है ;कृपया अपनी पिछली रचना में टिप्पणियों का अवलोकन कर ले,
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
...बहुत सुन्दर गजल!
वाह बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंखबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
बेहतरीन ! वाह , क्या खूब लिखा है ।
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
ख़ूबसूरत गजल का सुंदर शेर !
बहुत बढि़या !
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
ख़ूबसूरत गजल का सुंदर शेर !
बहुत बढि़या !
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
बेहतरीन भाव, कथ्य ,शब्द चयन, पोशीदा गजल आफरीन ,धीर जी /
हर शेर खूबसूरत । बहुत ही बढिया ।
जवाब देंहटाएंवाह, हर पंक्ति जानदार।
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएं ।
जवाब देंहटाएंकई शेर बहुत अच्छे बने हैं ।
बधाई ।।
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दम रखा है
वह क्या बात है ....पर धीरेन्द्र जी
आज तक दिल का दाम
... न कोई दे पाया हे न दे पायेगा
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
जवाब देंहटाएंखुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!
अब जब इश्क इस क़दर तारी हो
तो उससे मिलन की भी तैयारी हो
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
जवाब देंहटाएंखुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!
अब जब इश्क इस क़दर तारी हो
तो उससे मिलन की भी तैयारी हो
bahut sundar bhav hai gajal ka -----shubhkamnyen
जवाब देंहटाएंवाह वाह..........
जवाब देंहटाएंखबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
पूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
बेहतरीन शेरो से सजी गज़ल.....
सादर.
दिल है बिकाऊ तो उसका दाम भी होगा
जवाब देंहटाएंजो बिकने को हो तैयार उसका ख़रीददार भी होगा।
हमने तो टटोला है खंगाला है कइयों को
छाती से नदारद था दिल,शायद बिक गया होगा॥
क्या बात है...
जवाब देंहटाएंउठती है हर नज़र खरीदार की तरह....
बहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 23-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-858 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
जवाब देंहटाएंखुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!
अब जब मिलन इस तरह तारी हो ,
तो थोड़ी प्यार की खुमारी हो .
बढ़िया लाज़वाब ग़ज़ल .
sunder...bahvpurn parstuti
जवाब देंहटाएं...भाव बढ़िया बन पड़े हैं ,
जवाब देंहटाएंदूर उनसे क्यों खड़े हैं :-)
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहर शे'र लाजवाब
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
..वाह! काम की बात है।
सुंदर ग़ज़ल.....
जवाब देंहटाएंदिल खुश हो गया!! शानदार प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंSarthak post.aabhar.
जवाब देंहटाएं"धीर" के दिल को खिलौना न समझना यारों ,
जवाब देंहटाएंदिल को जज्ब कर उसमे तूफ़ान समा रखा है.... !!
मुझे नहीं लगता इतनी बड़ी गुस्ताख़ी(दिल को खिलौना) ,
कोई करने की ख़्वाब में भी सोचेगा .... तूफ़ान से डरेगा .... !!
"धीर" के दिल को खिलौना न समझना यारों ,
जवाब देंहटाएंदिल को जज्ब कर उसमे तूफ़ान समा रखा है.... !vah: bahut sundar..
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
जवाब देंहटाएंखुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!
बहुत खूबसूरत गजल ...
wah bahut khoob
जवाब देंहटाएंbahut khoob sir ,,,,,,sadar badhai.
जवाब देंहटाएंदिल ही सागर है ! बहुत सुन्दर धीर जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...!!
जवाब देंहटाएंkalamdaan
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
बहुत सुन्दर
उम्दा गज़ल, हर शेर लाजवाब.
जवाब देंहटाएंखबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
बहुत खूबसूरत गजल.
मेरे यादों के हर-गजल और रुबाई में,
जवाब देंहटाएंउनको मोहब्बत से भरा पैगाम लिखा है ...
वाह मुहब्बत की ये भी इन्तेहा है ... बहुत खूबसूरत गज़ल ...
पढ़कर आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत उम्दा ग़ज़ल और उसके भाव .हर शेर शानदार है ...वाह
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ..
जवाब देंहटाएंउनके खत का मजमून तो देखो यारो,
जवाब देंहटाएंखुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!..... बहुत खूबसूरत गज़ल ...
वाह ...बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंगजब है सर जी......बहुत बढ़िया लिखा है। बधाई। आभार।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएं"धीर" के दिल को खिलौना न समझना यारों,
जवाब देंहटाएंदिल को जज्ब कर उसमे तूफ़ान समा रखा है!....sundar
यदि जीवन में हर चीज का सही चयन करना हो तो व्यक्ति की नम्रता, शिष्टाचार, सहनशीलता आदि गुणों को परखना चाहिए ......
जवाब देंहटाएंखबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
पूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!.....बहुत खूब ...
बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं♥
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
पूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
वाह जी वाह ! अच्छा सवाल किया है
:)
आदरणीय धीरेन्द्र जी
नमस्कार !
मन से लिखा है … सुंदर भाव !
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut sundar gajal .......
जवाब देंहटाएंखबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
हम तो पहले ही दिल दे चुकें हैं धीर भाई । अब दिल का दाम जान कर भी क्या होगा । आप तो बहुत ही अच्छा लिखते हो भाई साहब । धन्यवाद ।
अच्छा लेखन |बधाई आज की रचना के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..!
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur behtareen.:)
जवाब देंहटाएंbehtareen prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअल्मारी में सजाकर जो दीवान रखा है,
जवाब देंहटाएंउसके हर सफे पर उनका ही नाम लिखा है!
क्यों छा गया नशा इस कदर अभी से,
पी नही, बस लबो पर जाम रखा है!
मन भावन गजल ..यादों को तरो ताजा करती हुयी ...जिसमे ही देखिये उसमे ही वो नजर आते हैं
धीरेन्द्र जी बधाई
भ्रमर ५
sundar prastuti
जवाब देंहटाएंखबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
...बहुत खूब! बेहतरीन गज़ल...
उनके खत का मजमून तो देखो यारो,
जवाब देंहटाएंखुद को साकी और हमे खैय्याम लिखा है!............बहुत खुबसूरत गजल कही है!
सुंदर रचना.... बधाई हो।
जवाब देंहटाएंदिन गुजरे तेरी यादों में, रातों को भी सपने तेरे,
दिल को बहलाने को बस, यही एक काम रखा है।
नींदे उनकी, यादें उनकी, सपने भी तो उनके ही हैं।
अपनी किस्मत में यारों कहां ऐसा आराम रखा है।
बहुत सुंदर शायरी ...
जवाब देंहटाएंहर शेर लाजवाब ...!!
शुभकामनायें ...
क्यों छा गया नशा इस कदर अभी से,
जवाब देंहटाएंपी नही, बस लबो पर जाम रखा है!
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
पूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
waah ! bahut hi sundar prastuti ...
खबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
जवाब देंहटाएंपूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
rain bow of Gazals
plz visit bhai
जवाब देंहटाएंpandeygambhir.blogspot.com
achhi ghazal likhne ka achha prayaas..sare sher khubsurat hain..maqta thoda bahak gya hai...
जवाब देंहटाएंachhi ghazal.
यूँ तो हर शेर खूबसूरत है मगर ये कुछ खास है...
जवाब देंहटाएंखबर है हर चीज अब बिकने लगी है,
पूछना दिल का वहाँ क्या दाम रखा है!
बधाई।
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंभाव समुन्द्र की लहरों से भावविभोर कर दिया
है आपने.
आभार जी.
बहुत खूब लिखा है इस गज़ल के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर..
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