आँसुओं की कीमत
इन आसुओं कीमत तुम न, समझ सकोगीमुझसे यूं दूर रहकर,तुम भी न जी सकोगी
तडपते थे प्यार में हम इक दूसरे के ऐसे
वो दिन भुला के यारा, जाओगे बोलो कैसे
वादे किये थे हमने,होगे जुदा नहीं हम
कैसे सहोगी जाना, मुझसे जुदाई का गम
मुझको यूँ करके तन्हा तुम जा कहाँ रही हो
जानेमन सोच लेना, तुम प्यार खो रही हो
बदनाम रास्तो में भला क्यां तुम्हे मिलेगा
मंजिल मिलेगी फिर भी,यह प्यार न मिलेगा
मुझे यूं रुला के तुमको कैसे,सुकूँ मिलेगा
तुझे हर खुशी में अपनें,मेरा दर्द ही मिलेगा
तेरी याद तो हमेशा मेरे साथ ही रहेगी
गुमनाम ''धीर'' होगा,ये पीर तुम सहोगी
नोट -नीचे लिखी रचना की सर्जरी कर आज ही इसे लिखा है दोनों में कौन सी रचना अच्छी लगी...
DHEERENDRA"dheer"
आँसुओं की कीमत
मेरी आँसुओं की कीमत तुम न चुका सकोगी,
मेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी!
तडपते थे हम एक दिन अपने प्यार में कभी,
मुझको भुला के तुम वह दिन न भुला सकोगी!
खाई थी कसमे निभाने की न होगें जुदा कभी,
मुझको जुदा करके तुम जुदाई न सह सकोगी!
मुझको छोड़ कर यूँ तन्हा तुम चल दिए कहाँ,
मेरी न सही तो दुसरे के भी तुम न हो सकोगी!
उन रास्तों पर न जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
तुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे न मिल सकोगी!
तुमने बहुत तडपाया मुझको संकू तुमको न मिलेगा,
जो जख्म दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी!
अपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगें,
चाहे जितना करो तलाश तुम "धीर" को पा न सकोगी!
DHEERENDRA"dheer"
इन आसुओं कीमत तुम न, समझ सकोगीमुझसे यूं दूर रहकर,तुम भी न जी सकोगी
तडपते थे प्यार में हम इक दूसरे के ऐसे
वो दिन भुला के यारा, जाओगे बोलो कैसे
वादे किये थे हमने,होगे जुदा नहीं हम
कैसे सहोगी जाना, मुझसे जुदाई का गम
मुझको यूँ करके तन्हा तुम जा कहाँ रही हो
जानेमन सोच लेना, तुम प्यार खो रही हो
बदनाम रास्तो में भला क्यां तुम्हे मिलेगा
मंजिल मिलेगी फिर भी,यह प्यार न मिलेगा
मुझे यूं रुला के तुमको कैसे,सुकूँ मिलेगा
तुझे हर खुशी में अपनें,मेरा दर्द ही मिलेगा
तेरी याद तो हमेशा मेरे साथ ही रहेगी
गुमनाम ''धीर'' होगा,ये पीर तुम सहोगी
नोट -नीचे लिखी रचना की सर्जरी कर आज ही इसे लिखा है दोनों में कौन सी रचना अच्छी लगी...
DHEERENDRA"dheer"
आँसुओं की कीमत
मेरी आँसुओं की कीमत तुम न चुका सकोगी,
मेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी!
तडपते थे हम एक दिन अपने प्यार में कभी,
मुझको भुला के तुम वह दिन न भुला सकोगी!
खाई थी कसमे निभाने की न होगें जुदा कभी,
मुझको जुदा करके तुम जुदाई न सह सकोगी!
मुझको छोड़ कर यूँ तन्हा तुम चल दिए कहाँ,
मेरी न सही तो दुसरे के भी तुम न हो सकोगी!
उन रास्तों पर न जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
तुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे न मिल सकोगी!
तुमने बहुत तडपाया मुझको संकू तुमको न मिलेगा,
जो जख्म दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी!
अपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगें,
चाहे जितना करो तलाश तुम "धीर" को पा न सकोगी!
DHEERENDRA"dheer"
अपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगें,
जवाब देंहटाएंचाहे जितना करो तलाश तुम "धीर" को पा न सकोगी!
क्या बात ...... धीरे धीरे आप रूमानीं लेखन की तरफ .....सुन्दर ,अति सुन्दर
और आप ,क्यां विक्रम जी ?
हटाएंबढ़िया भाई ।
जवाब देंहटाएंदिल का दर्द क्या बढ़ा
स्याही बनकर फैला पड़ा,
क्या रविकर जी ,आपके इस तारीफ से फिर लिख देनें एक दास्तान,और हम दिल जले मुफ्त में होगें परेशान
हटाएंस्याही मत इसको कहे,यह है श्यामल रंग
हटाएंइसी रंग में श्याम भी , नाचे राधा संग
बहुत गहरा, आँसुओं की कीमत कहाँ मापी जा सकती है।
जवाब देंहटाएंसही कहा आज तक कीमत चूका रहा हूँ
हटाएंउन रास्तों पर न जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
जवाब देंहटाएंतुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे न मिल सकोगी!... bahut khoob
इनके हौसले गर आप इसी तरह बढायेगें
हटाएंये लिखते ही जायेगे,हम नहीं सो पायेगें
विजय सिंह जी,...मैंने ये रचना मन में उठे भावों को शब्दों में समेट कर लिखी है,आपके सभी कमेंट्स पढकर मुझे लगता है कि मेरी रचना ने आपके पुराने जख्मो को कुरेद दिया,और आप व्यथित होकर पूरी रात मेरी पोस्ट में कमेंट्स पर कमेंट्स लिखते हुए गुजार दी,लगता है आप बहुत गहरी चोट खाए हुए है,वैसे आप लिखते बहुत अच्छा है,....
हटाएंआपने लिखा कि मै आपके ही बीच का पुराना साथी हूँ,...विजय जी चेहरा कब तक छिपा के रखेगें,चहरे से पर्दा तो हटाइये,..ताकि हम भी आपके पोस्ट पर जाकर,..आपकी तरीफ
में कुछ लिख सके,...पोस्ट पर आने के लिए आभार .....कम से कम अपना मो०न० ही दे दे,.....
चेहरे की अब छोडिये,किया समय ने रोस्ट
हटाएंआप सभी का ब्लॉग ही बनता मेरी पोस्ट
कहना माना आप का बना लिया हूँ ब्लॉग
हटाएंआप सुनेगें आज से मेरे मेरे भी कुछ राग
पढकर दिल खुश हुआ,बना लिया है पोस्ट,
हटाएंप्यार का मक्खन लगा,करूगाँ प्रातिदिन रोस्ट
क्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
उन रास्तों पर न जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
तुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे न मिल सकोगी!
बढिया धीरेंद्र जी
इन रास्तों जब कभी, आप भी आयेगें
हटाएंहमें भी ,इन्ही की तरह रोते हुए पायेगें
भावपूर्ण..!
जवाब देंहटाएंकलमदान
दिल जलों की भावनाएँ जानते ,यदि आप
हटाएंतब कलम में खून भरते,न की स्याही आप
बहुत ही खुबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।
जवाब देंहटाएंदर्द वह भी खूबसूरत
हटाएंदर्द मर्द की शान है,लीजे इसको मान
हटाएंमंगेतर की मार में प्रेमी करे गुमान
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंमधु ऋतु जैसा जीवन जिनका,खाते हैं,वो खीर
हटाएं''धीर'हीर को मना रहे है,भर आखों में नीर
वाह क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंचन्द्र जी ,किसी की मार्मिक वेदना पर अरे '' वाह क्या बात है''?
हटाएं'गाफिल' चुप हो बैठिये,देख ब्लॉग के रंग
हटाएंआज नही कल ये करेगें,दोहों की सत्संग
वाह क्या बात है!!! बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंदर्द,तड़प,विरह,बेचैनी....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंare aap ne dhiir jii kii mano sthi hii vaya karadii.khuda kheer kare...
हटाएंदर्द तड़प और बेचैनी के, है इलाज अब सारे
हटाएंएक दावा इनको भी लिख दो क्यूँ रोयें बेचारे
बहुत सुन्दर ...........
जवाब देंहटाएंनिवेदन है की किसी की वेदना को समझे ''बहुत सुदर '' तो न कहें .यह नाइंसाफी प्रतीत होती है .
हटाएंसुदर सीरत में बसे,सीरत लखे न कोय
हटाएंसीरत के पीछे चले ,दुःख काहे को होय
बहुत सुंदर.........
जवाब देंहटाएंआपका ये अंदाज़ बहुत भाया...
सर आखरी से पहले वाले शेर में सकूं को सुकूं कर लीजिए...टंकण त्रुटि लगती है
सादर.
इनको तो अंदाज लगे हैं ,हम जैसो की पीर
हटाएंप्यार करे जो,वो ही जाने क्यों बहते है नीर
टूटे हुए दिल की जुबाँ लगती है
जवाब देंहटाएंदर्द से भरी सदा लगती है
आपकी इस कविता ने ग़मगीन कर दिया धीर जी बधाई इस सुन्दर रचना के लिए
कहें आप से कुछ हम तो बस,होगी वो गुस्ताखी
हटाएंममता की मूरत से बस हम मांग रहें हैं माफी
रूमानीं लेखन / अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्यार टूटता जिनका उनका जीवन है बेमानी
हटाएंहम जैसो का जीवन इनको लगता है रूमानी
अनमोल जो हैं आंसू!
जवाब देंहटाएंसच कहना है इनका,बस है यह अनमोल खजाना
हटाएंजीवन की हर खुशियाँ तज कर,यह दौलत है पाना
दर्द का स्वर अपने तीव्रतम रूप में अभिव्यक्त हुआ है।
जवाब देंहटाएंबेदर्दी यह दर्द नहीं सबको,ऐसे मिला जाता
हटाएंप्यार करोगे तब जानोगे,कैसे है यह आता
तुमने बहुत तडपाया मुझको सुकूं तुमको न मिलेगा .....
जवाब देंहटाएंजो जख्म दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी
प्यार करने वाले ऐसे दुआ तो न करते ...
मैं पहले से ही फ्लोवर बन चुकी थी.... !!
नर- नारी दोनों में केवल,एक यहाँ पे होता
हटाएंकितनी सुदर दुनियां होती,तब कोई न रोता
Lagta hae kaphi gahare chot khaaii hai.pant jii kii kavita yad aa gayii...viyogii hoga pahala kavi aah se nikala hoga gaan...
जवाब देंहटाएंतुमने बहुत तडपाया मुझको संकू तुमको न मिलेगा,
जवाब देंहटाएंजो जख्म दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी!
अपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगें,
चाहे जितना करो तलाश तुम "धीर" को पा न सकोगी!
प्रिय धीरेन्द्र जी आभार ..प्रोत्साहन और समर्थन के लिए ....,सुन्दर रचना ..विह्वल मन से वफ़ा को सिखाती हुयी ..हम भी आ गए
जय श्री राधे
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
बहुत ही सुंदर गीत ... ..बधाई!!!!
जवाब देंहटाएंआसूँ भर के नैन में,लिखते है जो गीत
हटाएंशर्मा जी हैं कह रहे,कितनी सुन्दर पीर
माफ करियेगा ,मुझे यह कविता कम धीर जी की अंतर वेदना ज्यादा लगती है, टिप्पणी करते वक्त हमें रचनाकार की व्यथा को भी ध्यान में रखना चाहिये,हमें आशा है अन्य लोग मेरे विनम्र निवेदन को स्वीकार करेगे, धीर जी की यह कविता मेरे अंतर मन को छू गई है,सच कहूँ मेरी भी आपबीती वयां हो गई है.
जवाब देंहटाएंअभी विक्रम जी के ब्लॉग में गया ,आप और विक्रम जी की वेदना एक जैसे लगी, ऐसी कवितायें पुरानें जख्मों को कुरेद जाती हैं,आप तो लिख कर फुरसत पा लिये.पता नही आप लोगों ने यह दर्द भोगा भी है या नही ,पर हमारे जैसे लोगो का तो ध्यान रखिये, रात की नीद उड़ा दी .विक्रम जी भी अन्ना को छोड़ यह दर्द भरा गन्ना हमें थमा दिया .न चूसते बने न फेकते .
जवाब देंहटाएंसभी से इस गुस्ताखी के लिए क्षमा चाहते हुए, कल मिलेगे किसी और के ब्लॉग में ,किसके हाँ यह नहीं बताउगा ?
जवाब देंहटाएंहां मै भी आपका पुराना साथी हूँ,पहचानियें,रुकिये समय आनें पर बता दूगाँ..........
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमेरी आँसुओं की कीमत तुम न चुका सकोगी,
जवाब देंहटाएंमेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी!
badhiya .....
हर एक पंक्तिलाजवाब ....... कमाल की प्रस्तुति हेतु आभार..............
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा आपने ...मन को भा गया |
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंधीर जी प्यार में आंसू मांपने के चांस नहीं मिलते , बल्कि पीते रहते है ! वह भी मीठे लगते है ! बहुत खूब ! दिल की बाते जुबान पर आ गयी ! बहुत सुन्दर सी कविता !बधाई जी !
जवाब देंहटाएंलाजवाब तस्वीर!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको .
आंसुओं से लिखी गज़ल!! प्रभावशाली!!
जवाब देंहटाएंpyar hai to phir naarjgee kshodni padegi..acchi rachna hai
जवाब देंहटाएंअपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगें,
चाहे जितना करो तलाश तुम "धीर" को पा न सकोगी..sadar badhayee aaur amantran ke sath
आँसू बहे नहीं
जवाब देंहटाएंमहंगे हो गये ।
वाह !
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंमन कि ख्वाइश सुंदरता से अभिव्यक्त की है ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...!!
भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे से अपने भावों को व्यक्त किया है आपने!
जवाब देंहटाएंअपने पुरे विश्वास के साथ साथी को भी अपनी बात पर विशवास करते रहने का यकीं दिलाते हुए लिखी भावपूर्ण खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
भावपूर्ण सूंदर अभिव्यक्ति ! किसी को तड़पा के चैन कहाँ? बजा फ़रमाया आपने !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व भावपूर्ण रचना है धीर जी.... बधाई...
जवाब देंहटाएं---"हां हम कहेंगे जरूर,
हैं आदत से मज़बूर "...
---कि वर्तनी की कई अशुद्धियां हैं एवं काफ़िया तंग है....
डा० साहब,..आपकी सलाह सर आँखों पर,..आगे सुधारने की कोशिश करूगा,...
हटाएंbhawbhini......
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अंदाज मे बेहतरीन प्रस्तुति.. बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंभावों से भरी ,बढ़िया गज़ल .
जवाब देंहटाएंतडपते थे हम एक दिन अपने प्यार में कभी,
जवाब देंहटाएंमुझको भुला के तुम वह दिन न भुला सकोगी!
खूबसूरत !
तुमने बहुत तडपाया मुझको संकू तुमको न मिलेगा,
जवाब देंहटाएंजो जख्म दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी!
गंभीर भावप्रबल प्रस्तुति.
बधाई धीर जी.
शानदार।......भावों से भरी
जवाब देंहटाएंकुछ खास बात तो है इस रचना में।
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात बड़ी ख़ूबसूरती से कही है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात बड़ी ख़ूबसूरती से कही है आपने।
जवाब देंहटाएंRape in military
http://blogkikhabren.blogspot.com/2012/04/blog-post_15.html
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंगज़ल में आपने अपने भावों को अच्छी अभिव्यक्ति दी है। आभार।
जवाब देंहटाएंआंसुओं की कीमत हर कोई नहीं समझता ... गहरे भाव हैं इस गज़ल में ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंगहन
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंआज रविवार है ,वार पर वार अच्छा नहीं होगा कृपया इसका अवलोकन करें
जवाब देंहटाएंvijay9: आधे अधूरे सच के साथ .....
अपने ही वीरानो में हम हमेंशा के लिए खो जायेगेंwaah kya bat hai???? bahut acchi abhiwaykti...
जवाब देंहटाएं.बढ़िया है दर्द का स्तर .अगर तू इत्तेफाकन मिल भी जाए, तेरी फुरकत के सदमे ,कम न होंगें ,मोहब्बत करने वाले ,कम न होंगें ,तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगें .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति....बधाई जी.
जवाब देंहटाएंदिल में एक लहर सी उठी है अभी.
जवाब देंहटाएंकोई ताजा हवा चली है अभी
मन की पीड़ा के लिए आधार तलाशती रचना - बहुत खूब
जवाब देंहटाएंकमाल की प्रस्तुति हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , अदभुद
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी बहुत खूबसूरती से रची गयी रचना..........पर प्रेम निस्वार्थ होता है .....उसमे शिकायत और तोहमत की कोई जगह नहीं होती
जवाब देंहटाएंhttp://naritusradhahai.blogspot.in/
इस ब्लॉग पर नारी से सम्बन्धित उसके विचारों को प्रस्तुत करने की आज़ादी जिसमे नारी की सोंच विचार उसकी खुशियाँ,घुटन और समाज से क्या लिया इन सभी को अपनी रचनाओं यथा कविता ,ग़ज़ल, कहानी, लेखों के जरिये लिख सकती हैं (सकते) हैं नारी मन का विश्लेषण एक नारी अच्छी तरह कर सकती है फिर भी आप जो भी लिखें वो महिला को आहत करनेवाले रचनाएँ ना हों , ना ही भद्दे शब्दों से बंधे जो महिला की छवि को ख़राब करते हों......आपके विचारों की प्रतीक्षा सादर .............रजनी नैय्यर मल्होत्रा
वैसे मैं इस रचना को एक बार पढ़ चुका हूं,
जवाब देंहटाएंपर अच्छी रचना को कई बार पढने में भला क्या हर्ज है।
वैसे भी जब आप पर निर्मल बाबा की कृपा आ रही है,तो मैं कौन हूं रोकने वाला..
तडपते थे हम एक दिन अपने प्यार में कभी,
जवाब देंहटाएंमुझको भुला के तुम वह दिन न भुला सकोगी!
बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति..
इन आंसुओं की कीमत तुम चुका ना सकोगे
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना |
आशा
उन रास्तों पर न जाओ जो कभी बदनाम रहें है,
जवाब देंहटाएंतुम्हे मंजिल तो मिलेगी पर मुझे न मिल सकोगी!
बेहद भावपूर्ण, बधाई.
hriday ke bhavon kee bahut gahan abhivyakti.kanooni roop se uchit karyavahi
जवाब देंहटाएंप्रथम रचना के विषय भाव को यथावत रखते हुए शब्दों में परिवर्तन कर ,गीत को जो लय प्रदान किया है ,वह काबिले तारीफ है,बधाई
जवाब देंहटाएंतडपते थे प्यार में हम इक दूसरे के ऐसे
जवाब देंहटाएंवो दिन भुला के यारा, जाओगे बोलो कैसे
वादे किये थे हमने,होगे जुदा नहीं हम
कैसे सहोगी जाना, मुझसे जुदाई का गम.........bahut sunder .abhivyakti badhai
वाह बहुत ख़ूब...विजय सिंह जी इसी जरह आपको सपोर्ट करते रहे तो आपके ब्लॉग पर कमेंट्स की भरमार होगी...बधाई
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ख़ूब...विजय सिंह जी इसी जरह आपको सपोर्ट करते रहे तो आपके ब्लॉग पर कमेंट्स की भरमार होगी...बधाई
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत२ आभार,......
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी, मुझे आपकी दूसरी कविता जो की लाल रंग में लिखी गयी है वह ज्यादा अच्छी लगी क्योंकि एह एक तुक में लिखी गयी है और आसानी के साथ इसकी तुकबंदी मिलती है. जो की ज्यादा अच्छा लगता है.
जवाब देंहटाएंमेरा नयी पोस्ट की कहानी लालसा की चक्कीको भी पढ़े.
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति...सुन्दर रचना!...आभार!
जवाब देंहटाएंdheeraj ji namskar...hame to apki dono rachnaye pyari lagi...khubsurat matle hai.... lekin kalam ki dhar to hmne apki dusri racna me mahsus ki...badhai
जवाब देंहटाएंआपकी दोनी ही रचनाये बढिया हैं ...ठीक दोनों आँखों की तरह ...इन में फर्क नहीं किया जा सकता
जवाब देंहटाएंआँख और आंसूं का रिश्ता सदियों से हैं और रहेगा ...
भाई जी दूध बढ़िया होना चाहिए
जवाब देंहटाएंऔर मिठाई बनाने वाला निपुण.
फिर चाहे आप रसगुल्ला बनाओ या रसमलाई
जिसको जो भाया उसने चाव ले ले कर खाई.
आपके पास सुन्दर भाव हैं और आप उन्हें
संजोने में भी निपुण हैं.इसलिए आपकी हर
रचना लाजबाब होती है.
बहुत पोस्ट अच्छा है और बहुत अच्छी तरह से लिखा.
जवाब देंहटाएंतुझे आकर रूलाना बस एक बहाना लगता हैं।
जवाब देंहटाएंऐ बेखबर आँसुओं की कीमत चुकाने में एक जमाना लगता हैं।
आपकी कविता पढ कर अपने काँलेज टाईम में लिखी कविता की दो लाईने याद आ
आभार