मै तेरा घर बसाने आई हूँ....
चंद कलियाँ निशांत की चुनकर,तेरा आँगन सजाने आई हूँ,
धुल मैके की झाड-फूक के सब, मै तेरा घर बसाने आई हूँ!
अपने मैके में लाडली थी मै,जाने ससुराल जा के क्या होगा.
तुम मुझे प्यार से संभालोगे, अपना जीवन हरा - भरा होगा!
मेरे सपनों में फूल खिलते हैं उनमे खुशबू तुम्हारी आती है,
दिन निकलता है याद करके तुम्हें रात सोचों में गुजर जाती है!
घर गृहस्थी मुझे नही मालूम सास-नन्दों से सीख लूंगी मैं,
प्यार से गलतियां बताएंगे अपनी गलती सुधार लूंगी मैं!
अपने बारे में क्या बताऊं तुम्हे कोरा कागज हूं कोरा पानी हूं,
हौसले आसमान छूते है थोड़ी पागल हूं थोड़ी ज्ञानी हूं!
औरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
आज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं!
मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
तेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
DHEERENDRA,"dheer"
चंद कलियाँ निशांत की चुनकर,तेरा आँगन सजाने आई हूँ,
धुल मैके की झाड-फूक के सब, मै तेरा घर बसाने आई हूँ!
अपने मैके में लाडली थी मै,जाने ससुराल जा के क्या होगा.
तुम मुझे प्यार से संभालोगे, अपना जीवन हरा - भरा होगा!
मेरे सपनों में फूल खिलते हैं उनमे खुशबू तुम्हारी आती है,
दिन निकलता है याद करके तुम्हें रात सोचों में गुजर जाती है!
घर गृहस्थी मुझे नही मालूम सास-नन्दों से सीख लूंगी मैं,
प्यार से गलतियां बताएंगे अपनी गलती सुधार लूंगी मैं!
अपने बारे में क्या बताऊं तुम्हे कोरा कागज हूं कोरा पानी हूं,
हौसले आसमान छूते है थोड़ी पागल हूं थोड़ी ज्ञानी हूं!
औरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
आज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं!
मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
तेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
DHEERENDRA,"dheer"
बहुत मार्मिक ....
जवाब देंहटाएंनारी तेरी येही कहानी
आँचल में दूध ,आँख में पानी ||
...बस एतबार ज़रूर रखना मुझ पर !
जवाब देंहटाएंथोड़ी पागल हूं थोड़ी ज्ञानी हूं!
जवाब देंहटाएंआज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी ||
गृहस्थी / औरतों
प्रिंटिंग ठीक कर लें ।।
जबरदस्त प्रस्तुति ।
नारी-जीवन का सटीक चित्रण ।।
ओरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
जवाब देंहटाएंआज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं! bahut badhiya
क्या बात है,बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
बहुत सुन्दर सर.....
प्यारी रचना.
सादर.
बेहद उम्दा रचना ... बेहद सहज तरीके से कही गयी सार्थक बात ... बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएंvery nice post
जवाब देंहटाएंऔरतों की भी क्या ज़िंदगी है वृत बदलती हुई कहानी है
जवाब देंहटाएंवाहा बहुत बढ़िया भाव संयोजन बेहतरीन रचना....
बहुत सुन्दर रचना...नारी एक रूप अनेक... आभार
जवाब देंहटाएंघर ग्रहस्थी मुझे नही मालूम सास-नन्दों से सीख लूंगी मैं,
जवाब देंहटाएंप्यार से गलतियां बताएंगे अपनी गलती सुधार लूंगी मैं!
बेहद उम्दा रचना ...
आभार !
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंघर ग्रहस्थी मुझे नही मालूम सास-नन्दों से सीख लूंगी मैं,
जवाब देंहटाएंप्यार से गलतियां बताएंगे अपनी गलती सुधार लूंगी मैं!
अपने बारे में क्या बताऊं तुम्हे कोरा कागज हूं कोरा पानी हूं,
हौसले आसमान छूते है थोड़ी पागल हूं थोड़ी ज्ञानी हूं!
आदरणीय धीरेन्द्र जी बहुत ही सुन्दर सीख देती हुयी रचना सकारात्मक काश ऐसा ही हो घर आंगन सज जाए प्यार बस जाए
जय श्री राधे
भ्रमर 5
वाह! बहुत सुंदर रचना है आदरणीय धीरेन्द्र जी...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई।
waah! bahut hi sundar rachna hai
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी सी रचना ... ज़िन्दगी की नयी शुरुआत पर संजोये ढेर सारे सपने और आशाएं लगाये हुए एक लड़की की बहुत अछि भावनाएं दर्शायीं हैं आपने ... बधाई ..
जवाब देंहटाएंमुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
धीरेंद्रजी, बहुत खूब व प्रभावी पंक्तियाँ हैं। बधाई।
मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
wah bahut sundar dheerendr ji
औरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
जवाब देंहटाएंआज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं!
मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
तेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
वाह क्या बात है! एकदम सही कहा है आपने...!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्टस पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
Bahut Badhiya.....
जवाब देंहटाएंa girl has to play a different role in the family and if she gets love from the husband and others members ... a house becomes heaven otherwise.. a hell .. a good post //
हटाएंवाह! क्या बात है-बहुत उम्दा!!
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder prstuti..
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है! बधाई।
जवाब देंहटाएंऔरत की ज़िंदगी ऐसे ही बदलती रहती है ...सारे रिश्ते जुड़े होते हैं ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअपने बारे में क्या बताऊं तुम्हे कोरा कागज हूं कोरा पानी हूं,
जवाब देंहटाएंहौसले आसमान छूते है थोड़ी पागल हूं थोड़ी ज्ञानी हूं!...
वो जो भी हैं ... इमानदारी से तो हर रही हैं ... सटीक सार्थक लिखा है ... लाजवाब रचना ...
सत्य उदगार .. बढिया.
जवाब देंहटाएंप्यारी सी गुडिया की प्यारी बातें ! बहुत ही सुन्दर अपनापन लिए हुए ! वास्तव में कोई चीज इज्जत देने वाली है तो वह है नारी ! बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....बस एतबार कर लेना....
जवाब देंहटाएंhar aurat ki yahi kahani hai
जवाब देंहटाएंभावनाओं के स्वप्न सजने दें, स्वप्न में रंग भरने दें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंजीवन के है रंग निराले सीख नई नित आती है .....उलझी - उलझी जिंदगी मे कोई लड़की रंग भर जाती है ..........उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंbhahut badhai
वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!
मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
bahut sundar .....
बहुत सुन्दर रचना है।
जवाब देंहटाएंमुझको पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा ऐतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी है मगर रुक के थोडा सा प्यार कर लेना..
वाह धीरेन्द्र साहब बहुत खूब पंक्तियाँ हैं,
लाजवाब..,.
मेरे ब्लॉग पर आते रहिएगा अपना समर्थन देते रहिएगा..
शशि (एक कसक)
मार्मिक कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एवं सारगर्भित रचना । मेरे नए पोस्ट "अमृत लाल नागर" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंऔरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी .... सत्य ...उम्दा रचना सादर!
जवाब देंहटाएंऔरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
जवाब देंहटाएंआज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं!
चंद कलियाँ निशांत की चुनकर,तेरा आँगन सजाने आई हूँ,
'धुल मैके की' झाड-फूक के सब, मै तेरा घर बसाने आई हूँ!
बहुत सार्थक रचना नारी के मानसिक कुन्हासे को स्वर देती उसके समर्पण भाव को मुखर करती .फिर भी तो गुज़ारा नहीं होता .कृपया 'धूल मइके के की ' कर लें .धूल शुद्ध रूप है .
औरत के भाव जगत को दुलराती पोस्ट .यही तो कवि की खूबी है .सी टी स्केन है वह दूसरे के भाव जगत ,रागात्मकता का .बधाई धीरेन्द्र जी इस रचना के लिए .
जवाब देंहटाएंसार्थक सृजन, आभार.
हटाएंबहुत सुन्दर ....विभिन्न परिस्तिथियों से गुज़रते हुए ...न जाने कितने सांचों में ढलती है ...कितने रूप बदलती है ...बस चाहती है बदले में अपनापन , थोडासा आदर, थोडासा प्रेम ....!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!!
जवाब देंहटाएंमुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
....बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...
मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!.......बहुत सुन्दर और सारगर्भित रचना ..बधाई धीरेन्द्र जी..
बहू बन कर आई एक लड़की के मनोभाव, कितने सुन्दर शब्दों में व्यक्त किए है आपने....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकाश जीवन इतना ही सादा और सरल होता..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना..
ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना जिसके बारे में जितना भी कहा जाए कम है! लाजवाब प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
बहुत खूब!
लाजवाब प्रस्तुति...
bahut badiya marmsparshi rachna..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब जी ...........जिंदगी की एक नई रवानगी
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंdheer ji jitni bhi tareef karun is kavita ki vo kam hi hogi bahut sashaqt abhivyakti main kal bhi aapke blog par aai thi is kavita par comment bhi kiya tha parantu usi vaqt net cutoff ho gaya tha maine socha comment pahuch gaya hoga.kshama chahti hoon.
जवाब देंहटाएंभारतीय नारी की सरल कथा ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...!!
औरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
जवाब देंहटाएंआज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं! isse badhkar kya chahiye yhi to swarg hai.....
बहुत सुन्दर रचना ... नारी जीवन की कहानी... इस कविता में कितने ही उसके जीवन के पहलुवों को दिखाती है ..सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंऔरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
जवाब देंहटाएंआज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं
सुन्दर रचना बेटी बहु माँ दादी नानी रिश्तों का अच्छा चित्रण
sach ka aayina dikhati hui rachna ....bahut hi sundar post...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया,"राजपुरोहित समाज" आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ
,एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से सभी को भगवन महावीर जयंती, भगवन हनुमान जयंती और गुड फ्राइडे के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ॥
आपका
सवाई सिंह{आगरा }
bahut shandar
जवाब देंहटाएंवाह जी! क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंइसे भी देखें-
‘घर का न घाट का’
too good!
जवाब देंहटाएंमुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
जवाब देंहटाएंतेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
very nice lines.
एक स्त्री की जीवनी लिख दी आपने, उसकी उम्मीद और सपने भी, बहुत सुन्दर, बधाई.
जवाब देंहटाएंtej raftar zindagi hai ruk ke thoda pyar kar lena
जवाब देंहटाएंbahut gahre bhav stri ke jeevan ka sajeev chitran hai
rachana
bahut hi sundar aur bhavpurn prastuti
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति का हर भाव मार्मिक हर शब्द हृदयस्पर्शी है.
जवाब देंहटाएंदिल को छूती प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार जी.
Bahuit Sunder Prastuti, badhai
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर और कोमल भावो से ओत प्रोत रचना बधाई लिखते रहे
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंनारी के मन बातो को बहुत सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया है आपने और यही हकीकत भी है ....इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपका दिल से आभार !!!
जवाब देंहटाएंBoth khub
जवाब देंहटाएं