सम्बोधन
उस रोज जब तुमने
मुझे "बेटा" पुकारा था,
कितना वात्सल्य कितना
अपनत्व था, तुम्हारे
इस स्नेहिल सम्बोधन में,
क्षण भर को लगा,
मानो मेरा बचपन
पुनःलौट आया हो,
जो खो चुका था
अपनों की भीड़ में
तुम्हारा स्नेह,नयनो में
उत्साह व् अधरों पर
हल्की मुस्कान रेखा ने
मुझे मेरे कर्तव्य का
बोध कराया
और तुम्हारा स्नेहशीष पा
मै गदगद हो गया
तुम्हारे चरणों को स्पर्श कर
अपने को पुर्णरूपेण
सफलता हेतु
परिवार को समर्पित कर दिया
और मै आज जो भी हूँ
सिर्फ तेरे कारण,
भले ही आज आप
हमारे बीच नहीं है
परन्तु हमेशा तेरी
कही बातों का याद आना
हाँ माँ मुझे याद है,
तुम्हारा ममता भरा वो
बेटा "सम्बोधन" कहकर बुलाना
-----------------------------------
DHEERENDRA,
गहरी संवेदनशील रचना..
जवाब देंहटाएंsirji, sachmuch bhavuk kar diya aapne aaj...
जवाब देंहटाएंहाँ माँ मुझे याद है,
तुम्हारा ममता भरा वो
बेटा "सम्बोधन" कहकर बुलाना
Sach mein bahut yaad aata hai........
इसी एक शब्द मे तो उसकी सारी ममता समाहित होती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
कितनी गहराई और ममता छिपी हुई है....इस संबोधन में!..सुन्दर अनुभूति!
जवाब देंहटाएंइन यादों को संभल कर रखियेगा और हमेशा बताइयेगा औरों को
जवाब देंहटाएंएक संबोधन में कितनी ताकत होती है
बेहतरीन प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंहाँ माँ मुझे याद है,
तुम्हारा ममता भरा वो
बेटा "सम्बोधन" कहकर बुलाना
isi ek sambodhan me sara jagat nihit hai ,bahut bhaav pravan prastiti.
जवाब देंहटाएंइसमें मां का वात्सल्य तो झलकता ही है।
जवाब देंहटाएंमाँ को समर्पित बहुत संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंsundar samvedansheel rachna ........
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ ही होती है उसे भूलना स्वयं को भूलना है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
वाह! सुन्दर
जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
जवाब देंहटाएंमाँ को समर्पित यह रचना भावुक कर देने वाली है...
जवाब देंहटाएंमाँ की याद को नमन !
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी..... बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंभले ही आज आप
जवाब देंहटाएंहमारे बीच नहीं है
परन्तु हमेशा तेरी
कही बातों का याद आना
हाँ माँ मुझे याद है,
तुम्हारा ममता भरा वो
बेटा "सम्बोधन" कहकर बुलाना
-----------------------------------हिमोग्लोबिन में मौजूद माँ की याद ताज़ा कर गई यह रचना .
रिश्तों की सार्थकता तलाशती सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंबधाई.
bahut hi sundar bhav bete ki man ke liye..........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ,
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंये एक संबोधन जाने कितने बंधन बाँध लेता है...
सादर.
अनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंbahut bhav bhini abhivyakti ...............yeh ek ma ke liye gaurav ki baat hai .risto ko bayan karti sunder prastuti . badhai .
जवाब देंहटाएंआपकी रचना बहुत ही भावुक कर गयी । मेरे पोस्ट पर आने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत भवपूर्ण रचना..माँ की याद तो कभी भुलाई नहीं जा सकती..
जवाब देंहटाएंवात्सल्य रस की बेजोड़ कविता
हटाएंकितनी सुन्दर संवेदनशील रचना....
जवाब देंहटाएंआदरणीय धीरेन्द्र भाई सादर बधाई.
वात्सल्य, भावुकता पूर्ण कविता - सुन्दर.
जवाब देंहटाएंमाँ दुनिया का सबसे कोमल लफ्ज़ और सबसे पाक रिश्ता... आपने इस रिश्ते को ह्रदय में संजोया है और इस कविता में व्यक्त किया है!!
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना...ममतामयी सम्बोधन की सार्थकता बताती प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंजननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ...
जवाब देंहटाएंkuchh sambodhan zindagi de jate hain ...
जवाब देंहटाएंsunder bhavabhivyakti .....
बहुत ही संवेदनापूर्ण ...
जवाब देंहटाएंमाँ का संबोधन अनमोल होता है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार जी.
man ko chu gayi rachan....
जवाब देंहटाएंmaan to maan hotee hai
जवाब देंहटाएंजो भी मन चाहता था
बूढा शरीर अस्वस्थ
पीड़ा से त्रस्त
दर्द के मारे
बैठा नहीं जा रहा था
पर आँखों में चमक
मन खुश
ह्रदय गदगद था
दर्द का
अहसास ही नहीं था
कई दिनों के बाद
पुत्र का पत्र आया
कानों ने
कर्णप्रिय संगीत सुना
महक से भरपूर
फूल बगीचे में खिला
रंग बिरंगी सुन्दर
चिड़िया को देखा
जो भी मन चाहता था
उसे मिल गया था
19-02-2012
194-105-02-12
माँ के प्रेम को हम किसी भी तरह अक्षरों या रचनाओं में बाँध कर जाहिर नहीं कर सकते .वह इतना महान होता है ..फिर भी आपका प्रयास - अति उत्तम
जवाब देंहटाएंमां का आशीर्वाद प्रकृति की सबसे शीतल छाया है।
जवाब देंहटाएंशांत रस का सुंदर उदाहरण।
yhi sambodhan to sanson ki dore hai.....bahut badhiya.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंमाँ के वात्सल्य के आगे कोई भी कुछ भी नहीं .... उस निश्छल प्रेम की मिसाल कहीं नहीं मिलती ... अनुप रचना है आपकी ..
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील रचना..बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.
बहुत खूब लिखा है.. बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंइस संबंधन के लिए तो जीवन तरसा है. बहुत खूब लिखा है.
जवाब देंहटाएंsambodhan ke shabd jivan mein samvedna bhar dete hain. sundar abhivyakti, badhai.
जवाब देंहटाएंmaa to hamesha baccho ke dil mein rehti hai .........sunder rachna
जवाब देंहटाएंमाँ के आँचल के स्नेह में सिमटी दुनिया बहुत खूबसूरत दिखाई देती है.आपने लाजबाब लिखा है.
जवाब देंहटाएंसादर...!
माँ के आँचल के स्नेह में सिमटी दुनिया बहुत खूबसूरत दिखाई देती है.आपने लाजबाब लिखा है.
जवाब देंहटाएंसादर...!
नाज़ुक और संवेदनशील पोस्ट।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खुबसूरत एहसास ... बधाई .
जवाब देंहटाएंsach kaha hai sabne bahut hi achchhi rachna hai ,mamta ka ahsaas maa se hi milta hai ya maa hi karati hai .ati sundar .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक सटीक एवं सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंunkee vyatho ko bhee samjho
जवाब देंहटाएंjo is sambhodhan ko taraste
दुनिया का सबसे सुन्दर संबोधन और सबसे स्नेहिल रिश्ता यही है, माँ बेटे का रिश्ता... बहुत सुन्दर अनुभूति...
जवाब देंहटाएंक्षमा कीजियेगा समय पर यह रचना नहीं पढ़ पाई ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है ...!!
अनमोल भाव आपके ...बधाई
भावमयी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंsundar bhavmayee prastuti..beta sambodhan kisi bhi umra me bachpan me vapas le jata hai.
जवाब देंहटाएंbahut sunder prastuti....bhavpurn rachna ke liye badhai
जवाब देंहटाएंWAH KYA KAHANE ....LAJABAB.
जवाब देंहटाएंBahut hi acchi rachna sir!!!
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ हैं ...वो प्यार में निराकार हैं उस ईश्वर की तरह
जवाब देंहटाएं