आज के नेता...
आज के नेता
एक अरब लोगों को पागल बना रहे है
अलग अलग पार्टी बनाकर
हमे आपस में लडवाकर
अपना मतलब निकाल रहे है,
कर रहे है बड़े बड़े घोटाले
रिश्तेदार और अपनों को टिकट,
दिलाकर हो जाते है मतवाले
दिलाकर हो जाते है मतवाले
भ्रष्टाचार कर भर रहे है बैंक के खाते सारे
आयी जांच की बात तो
हक दे दिया पत्नी को डर के मारे
एक नौजवान बेचारा पढ़-लिखकर
बड़ी मशक्कत एक छोटी सी नौकरी पाता है
पहुचते ही साठ साल उमर में,
उसे सेवा निवृत्त कर दिया जाता है
एक नेता जी उमर हो गई ९८ की
टाँगे डगमगाने लगी सांसे थमने लगी
हमने पूछा नेताजी से क्या अब भी मंत्री बनोगे
मेरी ओर देखे और् बोले,
अरे भाई हाई कमान की कृपा से
मेरा नम्बर आ गया है,
उनकी बात भी तो रखनी है
अभी ९८ का हुआ हूँ सेंचुरी भी तो पूरी करनी है
नेताओं की साठ के बाद आती है जवानी
मरने के बाद ही सेवा निवृत्त होती है
और खतम होती है कहानी,
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DHEERENDRA,
नेताओं की यही कहानी.
जवाब देंहटाएंनेता पक्का नेत का, नेति बना के मन्त्र ।
जवाब देंहटाएंतनी रहे नेती सदा, रहे टना-टन तन्त्र ।।
नेत = संकल्प / निश्चय
नेति = इति न
नेती = मथानी को लपेटकर खींचने वाली रस्सी
dineshkidillagi.blogspot.com
:-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग...
सादर.
नेताओं की तो जितनी लिखो उतनी थोड़ी ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan .blogspot.in
aaj ke netaon ke vishay me bilkul sahi likha hai.
जवाब देंहटाएंनेता...हमेशा है लेता,नहीं कुछ देता !
जवाब देंहटाएंलेता ज्यादा देता कम,
हटाएंFine and fair expression having justification of political scenario. We have lost lost everything except corruption ,inhumanity & bifurcation .Thanks a lot for post.
जवाब देंहटाएंsahi baat likhi hai ...
जवाब देंहटाएंbahut badhia rachna ...
नेता का किसी से कोई नाता नहीं होता..., स्वार्थ के सिवा!
जवाब देंहटाएंनेता और नाता में बस एक मात्रा का अंतर है...
लेकिन ये अंतर कितना बड़ा है, यह आपकी रचना कितनी सुन्दरता से स्पष्ट कर रही है!
नेता तेरी यही कहानी!!
जवाब देंहटाएंहर व्यक्ति के लिये नयी व्यवस्था..
जवाब देंहटाएंमुझे तो कविता के साथ आपकी तस्वीर भी अच्छी लगी, बिलकुल अमिताभ बच्चन की तरह.. और अब नेताओं के बारे में कुछ भी नहीं लिखूंगा क्योंकि आपकी प्रोफाइल देख ली है.. :D
जवाब देंहटाएंगहरा व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंअपने रिश्तेदारों को टिकट दिला रहे हैं साले.....
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी, अपने को यह बात जंच गई।
सही लिखा है आपने। आपको शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसटीक तीखा व्यंग्य.
जवाब देंहटाएंNetaon se, rajniti se achcha vyang kisi pe nahi likha ja sakta....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
कभी होते थे नेता जनता के सेवक
जवाब देंहटाएंअब हो गए हैं बस धन के भक्षक
सटीक व्यंग
मरने के बाद ही सेवा निवृति होती है
जवाब देंहटाएंऔर खतम होती है कहानी,
...आज के नेता का यही कड़वा सच जनता को झेलना पड़ रहा है!...सटीक व्यंग्य!
वाह क्या बात है ...आज के नेता जानते हैं एक अरब लोगों को पागल बनाना ...
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंसब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं:)
जवाब देंहटाएंaaj kal ke netaaon ki pol kholti umda rachna
जवाब देंहटाएंइन नेताओं को नकारना हमारे हाथ में है, पर हम झुंझला कर स्वीकारते जा रहे हैं
जवाब देंहटाएंनेताओं पर कितना करारा व्यंग ... ९८ पर भी अभी कुर्सी का मोह ..ओह
जवाब देंहटाएंपद कोई भी हो मन के खाली पन को थोडा भर देता है
जवाब देंहटाएंशायद इसीलिए ...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआज के नेता ऐसे ही इच हैं .
जवाब देंहटाएंबड़ी मशक्त से एक छोटी सी नौकरी पाता है
पहुचते ही साठ साल उमर में,
उसे सेवा निवृति कर दिया जाता है
एक नेता जी उमर हो गई ९८ की
'मशक्कत',और सेवा निवृत्त कर लें .अच्छी रचना में चार चाँद लग जायेंगें .'साले 'जैसे सम्बन्ध बोधक शब्दों से बचें .भगवान् न करे हमारे साले ऐसे हों ,नेताओं जैसे हों ..
बीरुभाई जी,
हटाएंआपके बताये अनुसार रचना में सुधार कर दिया है,नेक सलाह के लिए बहुत२ आभार....
एकदम सटीक
जवाब देंहटाएंहम अपने अधिकारों का सही उपयोग नही ना करते ।
जवाब देंहटाएंमरने के बाद ही सेवा निवृति होती है
जवाब देंहटाएंऔर खतम होती है कहानी
अगर यही हाल रहा तो हमारा देश एक बार फिर गुलाम जरुर होगा...
तीखा,बढ़िया व्यंग..
जवाब देंहटाएंअलग अलग पार्टी बनाकर
जवाब देंहटाएंहमे आपस में लडवाकर
अपना मतलब निकाल रहे है,....
क्या खूब कही है.
सादर...
बाप परेशान बेटा से.
जवाब देंहटाएंदेश परेशान नेता से ।
धीरेंद्र भाई,
अब क्या लिखू. इन दो शब्दों का नाम सुनकर ही मन घृणा से भर जाता है । आज कल आप बहुत अच्छी कविताएं लिख रहे हैं । धन्यवाद ।
नेता हो तो सुभाष चन्द्र बोस जैसा.
जवाब देंहटाएंनेता बन नेताजी का नाम बदनाम न कीजियेगा
बस यही गुजारिश है
सुन्दर व्यंग्य के लिए आभार,धीरेन्द्र जी.
एकदम सटीक हालात बयां किये हैं.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग वैसे नेता का उल्टा ताने होता है ! सार्थक दृष्टिकोण से भरी कविता ! बधाई
जवाब देंहटाएंDhirendra ji I am your follower since long back.pl.check the list board. Thanks sir .
जवाब देंहटाएंमौसम और समय के अनुकूल पोस्ट और चित्र भी बहत अच्छा लगाय है आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ,
जवाब देंहटाएंआभार
wah...bahut khoob
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा व्यंग..आज कल नेताओं का मौसम चल रहा है..
जवाब देंहटाएंपता नहीं कितने नमो से ये बिखरे पड़े हैं कोई डागी है तो कोई कुटिल..सब लुटने की बारी की प्रतीक्षा में
कविता का भाव बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar teekha vyang ....sadar abhar Dheerendr ji .
जवाब देंहटाएंis ke jimmedar hm hi to hain
जवाब देंहटाएंbechare ntaon ko kyon koste ho
jo jnta ne kiya vhi to bhogte ho
is liye utho aur jbab do
aise netaon ko soochi se nikal do
बहुत अच्छा व्यंग., पोस्ट करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंदेरी से आने के लिये क्षमा
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.!!
Active Life Blog
sahi tasviro ki jhalak hai
जवाब देंहटाएंनेताओं पर अच्छा करारा व्यंग......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार (06-08-2013) के "हकीकत से सामना" (मंगवारीय चर्चा-अंकः1329) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
करारा व्यंग्य . आदरणीय धीरेंद्र जी, शानदार रचना हेतु बधाई............
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