कामयाबी...
रोने से तकदीर बदलती नही
वक्त से पहले रात ढलती नही
दूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
कामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही
मिल जाए कामयाबी अगर इत्तेफाक से
यह भी सच है कि वह पचती नही
कामयाबी पाना है,पानी में आग लगाना
पानी में आग ,आसानी से लगती नहीं
ऐसा भी लगता है जिंदगी में अक्सर
दुनिया अपने जज्बात समझती नही है
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
फिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
हाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
अपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही,
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dheerendra
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
जवाब देंहटाएंफिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
waah...
हाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
जवाब देंहटाएंअपने आप कोई जिंदगी संवरती नही..
sach kaamyabi paane ke liye hath bandhkar baithne se kuch nahi banta..
bahut sundar sakaratmak sandesh deti rachna..
bahut achchi abhivyakti.
जवाब देंहटाएंकामयाबी को बेहतरीन ढंग से समझाया है, इस कविता में!!
जवाब देंहटाएंजिंदगी को देखने का अलग नजरिया ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंरोने से तकदीर बदलती नही
जवाब देंहटाएंवक्त से पहले रात ढलती नही
दूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
कामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही../
the main theme is that .... if you want to reach the highest point... you work hard... there is no shortcut in success/
सच है..पानी में आग आसानी से लगती नहीं..जज्बा होना चाहिए बस...फिर क्या मुश्किल है..
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना..
//हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
जवाब देंहटाएंफिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
हाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
अपने आप कोई जिंदगी संवरती नही,
bahut khoob sirji.. bahut khoob.. waah :)
सच है क्म्याबी के लिए मेहनत करनी पड़ती है ... भागी के भरोसे नहीं बैठा जा सकता ...अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक और प्रेरणादायक रचना है...
जवाब देंहटाएं"अपने आप कोई जिंदगी संवरती नही...."
धीरेन्द्र जी बहुत ही शानदार कविता है... वाकई कामयाबी रस्ते में पड़ी कोई वास्तु नहीं की राह चलते मिल जाएगी... और जुगाड़ तुगाड़ से कुछ मिल भी गई तो काबिलियत न होने से पच नहीं पायेगी...
जवाब देंहटाएंजब जीवन दंगल बन जाये,
जवाब देंहटाएंताल ठोंक जीना होता है,
दूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
जवाब देंहटाएंकामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही
sahi kaha hai ....
बहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंऐसा भी लगता है जिंदगी में अक्सर
जवाब देंहटाएंदुनिया अपने जज्बात समझती नही है
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
फिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
पर बहुत सार्थक पंक्तियाँ हैं यह मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया का मर्म समझाती बुझती सी .
बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंहाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
जवाब देंहटाएंअपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही…………………सार्थक संदेश देती सुन्दर रचना।
बढ़िया... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंसच्ची सच्ची कहती सुन्दर रचना आदरणीय धीरेन्द्र जी.
जवाब देंहटाएंसादर बधाई..
हाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
जवाब देंहटाएंअपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही,
aikdam sahi kaha.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव संयोजन के साथ लिखी गई सार्थक संदेश देती रचना...बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंहाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
जवाब देंहटाएंअपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही,
जी हाँ...प्रेरणादायी
गहरी अभिव्यक्ति लिए पंक्तियाँ
सार्थक मार्गदर्शन करती रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ।
बड़ा ही क़ामयाब नुस्ख़ा बताया है आपने क़ामयाबी के।
जवाब देंहटाएंअपने आप ज़िंदगी संवरती नहीं
जवाब देंहटाएंसौ बात की एक बात, वाह !!!!!!!!!!!
कामयाबी का फ़लसफ़ा समझती रचना .....!
जवाब देंहटाएंआभार!
हाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
जवाब देंहटाएंअपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही,ekdam sahi likhe.....
जिंदगी का सच।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना।
बहुत खूब .. प्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंसीख देती हुई सी
bahut khub...
जवाब देंहटाएंदूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
जवाब देंहटाएंकामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही
shi kaha aapne bahut khoob
rachana
आशा का संचार करती सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंsatya baat...bahut achchhe tarike se pesh kiya..aapne...
जवाब देंहटाएंSakaratmak sandesh deti uttsah se bharpoor rachna
जवाब देंहटाएंkamyabi milti hai mehnat se and duro ki duaao se..
जवाब देंहटाएंपानी में आग भी लगेगी,
जवाब देंहटाएंजब ऐसी कविता रचेगी !
आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-791:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
अति उत्तम विचार .............!!!! यहाँ पर मै एक बात कहना चाहता हूँ की इस तरह की कामयाबी आज विरले लोग ही पाना चाहते है....बाकियों के लिये तो कामयाबी पैसे से खरीदने की चीज लगती है.........समय के साथ लोगो ने कामयाबी के मायने ही बदल डाले है !!!!!!
जवाब देंहटाएंसही कहा सर ,,,,
जवाब देंहटाएंकामयाबी के साथ मन कि शांती भी जरुरी है...
इसलिये मेहनत से मिली कामयाबी हि सच्ची कामयाबी है ..
बहूत हि बेहतरीन रचना......
कामयाबी की राह का सही निरूपण !
जवाब देंहटाएंहकीकत की बयानी बड़ी ही खूबसूरत अंदाज़ में किया है...
जवाब देंहटाएंसादर
bahut khoob
जवाब देंहटाएंऐसा भी लगता है जिंदगी में अक्सर
जवाब देंहटाएंदुनिया अपने जज्बात समझती नही है
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
फिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
LAJABAB RACHANA DHEERENDR JI ....BADHAI.
रोने से तकदीर बदलती नही
जवाब देंहटाएंवक्त से पहले रात ढलती नही
दूसरों की कामयाबी लगती आसान मगर
कामयाबी रास्ते में पडी मिलती नही
bahut sundar rachna...Prerak...
बढिया.... सबक़आमेज़॥
जवाब देंहटाएंहर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
जवाब देंहटाएंफिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति है आपकी.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभार.
'मेरी बात' पर आईएगा, जी.
अपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही...waah bahut khoob...aap ki is utsahit kardene wali rachna ke liye dhanywad.
जवाब देंहटाएंprerak aur sandeshprad rachna. badhai.
जवाब देंहटाएंअपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही.. ekdam sach... bina karm kiye kuch hota nahin...
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक एवं सुन्दर संदेश देती रचना। बधाई......
जवाब देंहटाएंनेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
प्रेरणा देती हुई , जीवन का संदेश देती हुई बेहतरीन रचना के लिये बधाई स्वीकार करें........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....सकारात्मक एवं प्रेरक रचना हेतु बधाई स्वीकारें !!
जवाब देंहटाएंBahut Khoob. Sakaratmak sandesh deti kavita.
जवाब देंहटाएंहर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
जवाब देंहटाएंफिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
....बहुत खूब! सकारात्मक सोच दर्शाती बहुत सुंदर रचना...
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
जवाब देंहटाएंफिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
aage badhne ke liye yahi soch chahiye ,bahut hi badhiya likha hai aapne .
इस छोटी सी जिंदगी का सच लिख दिया आपने ....आभार
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने ,कामयाबी ऐसे ही नहीं मिलजाती राह पड़े हुए ............बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमिल जाए कामयाबी अगर इत्तेफाक से
जवाब देंहटाएंयह भी सच है कि वह पचती नही
कामयाबी पाना है,पानी में आग लगाना
पानी में आग ,आसानी से लगती नहीं
कुछ सीख देती हुई एक अच्छी रचना।
हर शिकस्त के बाद जो टूटकर संभल गया
जवाब देंहटाएंफिर कौन सी बिगड़ी बात बनती नही
वाह! सकारात्मक सोच से भरी पंक्तियाँ...|
wah. bahut prabhavshali rachna
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही सच्ची बात कही आपने....
जवाब देंहटाएंbahut badhiya likha haa apne.......keep it up......nice blog
जवाब देंहटाएं"कामयाबी पाना है,पानी में आग लगाना
जवाब देंहटाएंपानी में आग ,आसानी से लगती नहीं"
जवाब नहीं!
मिल जाए कामयाबी अगर इत्तेफाक से
जवाब देंहटाएंयह भी सच है कि वह पचती नही
कामयाबी पाना है,पानी में आग लगाना
पानी में आग ,आसानी से लगती नहीं ...
बहुत खूब ... सच कहा है ... कामयाबी आसानी से मिल जाए तो महत्त्व नहीं रहता और कामयाबी सतही लगती है ... लाजव्वाब प्रस्तुति ...
सच है!
जवाब देंहटाएंअपने रिश्तेदारों को टिकट दिला रहे हैं साले.....
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी, अपने को यह बात जंच गई।
satya vachan...bahut achchi prastuti
जवाब देंहटाएंअर्थ के चक्कर में जीवन जीने का मूल्य भूल जाते है
जवाब देंहटाएंबहुत,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....
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कामयाबी बैठे बैठे मिलती नही
जवाब देंहटाएंपर बिगडी बात मेहनत से ही बनती है ।
सुंदर सार्थक रचना ।